,,,,चाहत हमें क्या सिखाएगी??
,,हम खुद चाहत को सिखाते हैं,,
,,जब उन पर गम के ,,
,,काले बादल छा जाते हैं,,
,,नफरत की बिजली से,,
,, वो आकें टकराते हैं,,
,, बंधनों की बुंद बुंद से,,
,,बहाव में बह जाते हैं,,
,,तब तैरकर बाड़ से हम,,
,,बालक की तरह उठाते हैं,,
,, वो चाहत हमें सिखाएगी,,??
,,हम खुद चाहत को सिखाते हैं,,
,, उंगली थाम के हम उसे,,
,, सोच के चमन में सहलाते हैं,,
,, जिगर मे टुकड़े की तरह,,
,, जी भर के झूला झूलाते है,,
,, कहां जाना है कहां नहीं,,
,, ये वृतांत से पूरा बताते हैं,,
,, फिर भी फालतू इर्षा इसे,,
,, जब जी चाहे तब झुकाते हैं,,
,, वो चाहत हमें क्या सिखाएगी ??
,, हम खुद चाहत को सिखाते हैं,,
,,दिल का ठिकाना हमसे पुछकर,,
,, ये दूसरों के दिलों में जाते हैं,,
,, पहुंचने से पहले जाते जाते,,
,, रास्ते में ही कई सपने रचाते हैं,,
,, सपना अगर किसने तोड़ा तो,,
,, बेखबर ख़ुदको हीं उलझाते है,,
,, और पत्थर से सर पटकातें है,,
,, तब जाकर हम उसे समझाते हैं,,
,, वो चाहत हमें सिखाएगी,,??
,, हम खुद उसे सिखाते हैं,,
,, लड़की का हो या लड़के का,,
,, कोई भी तुरंत कहां अपनाते हैं,,
,, धैर्य देकर हम उसे मनचाहा,,
,, पात्र के पीछे दिल से लगाते हैं,,
,, वहीं भी वो ना कामयाबी के,,
,, झंड़े गाड के बहुत गंवाते है,,
,, अपनों के मार ख़ाके आते हैं,,
,, तब हम ही इलाज करवाते हैं,,
,,वो चाहत हमें सिखाएगी,,??
,, हम खुद उसे सिखाते है,,
,,हिदम,,
,, नटवर बारोट,,
,,मो,,9998884504,,