,,,, क्या इसे महोब्बत नहीं कहते ?
,, बिना देखे बिना सोचे हो जाता है,,
,, क्या उसे मोहब्बत नहीं कहा जाता,,
,, आंखें तो सुंदर देख कें,,
,, रूप रंग पर हां कहती है,,
,, या रिश्ते में अच्छी संपति,,
,, देख लें तब चुप रहती है,,
,, या कोई बड़े नाम के पीछे,,
,, प्रशंसा के लिए बहती है,,
,, और ये कहानी कविता पर,,
,, ऐसे ही दिल फेंक आता ,,
,, क्या इसे ,,,,,
,,,मोहब्बत नहीं कहा जाता,,
,, अच्छा क्या है बुरा क्या है,,
,, वो भी जिन को नहीं है पता,,
,, मेरा स्वार्थ अपना पराया,,
,, वो दुनियादारी से हैं लापता,,
,, उनकी ओर देखे या ना देखे,,
,, सबको अपनापन दिखाता,,
,, किसी की मना के बावजूद,,
,, उसी पर सब इच्छाएं जलाता,,
,, क्या उसे,,,,,
,,,, मोहब्बत नहीं कहा जाता,,
,, ना अपने तन की पड़ी है,,
,,, ना अपने मन की पड़ी है,,
,, ना बचपन न कोई उम्र,,
,, सामने हर समस्या खड़ी है,,
,, सब कुछ छोड़कें उसकी,,
,, नज़रें कैसे कैसे कुचलवाता,,
,,नफरत की दीवारों से टकरा के,,
,, वो चाहत से नजरें मिलाता,,
,, क्या इसे,,,,,
,,, मोहब्बत नहीं कहा जाता,,
,, क्या इसे,,,
,,,, मोहब्बत नहीं कहा जाता,,
,,हिंदम,,
,,नटवर बारोट,,
,,मो,,9998884504,,