,,,, चाहत ,,
,, चाहत से जिंदगी को संवारलो की,,
,, रिस्ते नाते खासमखास हों ,,
,, समाज के जहरीले मुंह से निकलें,,
,, ना अभिमानी टाणें का त्राह हों,,
,, और आप मरने के लिए तैयार हो,,
,, वो बचाने में बाज़ी लगा दे,,
,, एक चाहत हीं है संसार को फिर से ,,
,, सजा सकें, जब आप उदास हो,,
,, हिंदम् ,,, ✍️