आओं लौट चले
तिनका तिनका जोड़कर, चिड़ियाँ बना लेती हैं बबूर मे घोसला |
उड़कर-उड़कर पंख पसार, करती नदी सागर घर आँगन पार |
पर ना जाने क्यो? चुँगने उड़ने के बाद, घर को वापस आती हैं |
भर चोंच मे दाना लिए ऊँची उड़ान, लौट आती हैं बच्चो के लिए |
भोर भई चहचाई चिड़ियाँ अपनी डाली मे, अब तो जागो रे मनवा |
खुली आँख किसान की, हर कांधे चले बैल सरपट गलियारे मे |
होत सबेरे हर घर आँगन मे, बहूँ बेटियो का चूल्हा जलने लगा |
चढ़ सूरज तपने लगा, ले किसान हर बैल घर को लौटने लगा |
कर स्कूल पढ़ाई भाई बहन, लै तख्ती झोरा अपने घर को भागे|
कर जवान प्रदेश कमाई, हर त्योहार लौटे अपने शहर गाँव को |