प्रातःकाल मुझसे नहीं रहा गया। उस चकोर-नयनी को देखने की मुझे छटपटी पड़ी। मैं उसके घर की ओर चला। यहां पहुंचकर उसके पिता की फूल-वाटिका में इधर-उधर मैं घूमने लगा कि कहीं उसके दर्शन हो जाएं। मेरा मनोरथ सफल हुआ। घर की खिड़की में मलिन चंद्रमा का सा उदय हुआ। मेरे नेत्र उसी ओर दौड़ गए और उसके दर्शनों से कृतार्थ होने लगे। उपकोशा एक क्षण से अधिक वहां न ठहर सकी। लज्जा के वश होकर उसने अपना मुंह फेर लिया और मुझ पर वज्रपात-सा करके वह लोप हो गई। मेरे सारे शरीर में प्रचंड ज्वाला जलने लगी। मैं संताप से पीड़ित होकर गिरने ही को था कि उपकोशा की एक सखी वहां अकस्मात् आकर उपस्थित हुई। उसने मुझे गिरते देख मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं संभल गया।
मेरी देशा पर उसने खेद प्रकट किया। उसने कहा, ‘‘उपकोशा की भी बुरी दशा है। जिस क्षण से उसने तुम्हें देखा है, काम ने अपने पैने बाणों की वर्षा उस पर आरंभ की है। उनसे उसकी किसी प्रकार कहीं भी रक्षा नहीं हो सकती। उनसे बचने का एक ही शिरस्त्राण है। वह आप हैं।’’ यह सुनकर मुझे बड़ा धीरज हुआ। मैंने कहा, ‘‘मेरी जो दशा है वह तुम देख ही रही हो। यदि तुम न आती तो शायद मैं भूमि पर मूर्च्छित होकर गिर पड़ता। जितना शीघ्र हो उतना ही उपकोशा-रूपी अमृतवल्ली के सेवन से मैं अपने शरीर का असह्य दाह शांत करना चाहता हूं। परंतु गुरुजनों की आज्ञा बिना अपना मनोरथ सफल करना मैं अपने लिए अकीर्ति का कारण समझता हूं। अकीर्ति से मर जाना अच्छा है। इसलिए तुम अपनी सखी के मन की बात उसके पिता से कहो; जिसमें वे मेरे गुरू की आज्ञा लेकर विधिपूर्वक विवाह का प्रबंध कर दें। ऐसा ही होने से मेरा और तुम्हारी सखी का कल्याण है।’’
सखी ने यह सब वृत्तांत उपकोशा की माता से कहा। माता ने उपकोशा के पिता से। पिता मेरे रूप, शील और विद्या आदि की बड़ाई सुन चुका था। इसलिए उसने इस बात को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया और मेरे गुरू विद्याविभूति की भी अनुमति प्राप्त कर ली। इस प्रकार मेरा उपकोशा के साथ विवाह निश्चय हो जाने पर मेरा साथ विष्णु कौशाम्बी से मेरी माता को ले आया। उसे वहां जाकर माता को लाने में दो दिन लगे। ये दो दिन मेरे लिए युग हो गए। इन दोनों की प्रतीक्षा में जो-जो मनोरथ मेरे मन में हुए और जो-जो मनोव्यथा मैंने सहन की, उसका अनुमान वे नहीं कर सकेंगे जिनको कभी इस प्रकार की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ी। किसी प्रकार वह शुभ दिन आया और उपकोशा का पाणिग्रहण करके मैंने अपने मनोरथ सफल किए।