पर्वत के सबसे ऊंचे शिखर पर राजकुमारी हिमांगिनी ने अपना घर बनाया। संसार के साधारण जीवों के पास रहना, या उनके साथ हंसना-खेलना उसे जरा भी पसंद न आया।
‘‘सुंदरता और गोरेपन में मैं अपना सानी नहीं रखती; फिर में राजकुमारिका हूं। तब भला क्यों मैं मामूली लोगों के पास बैठना पसंद करूं? संसारी जीवों की संगति मुझे जरूर अपवित्र कर डालेगी।’’ इस तरह अपने मन में सोच-विचारकर वह पहाड़ों की तरफ चली। वहां सबसे ऊंचे पहाड़ की चोटी पर वह जा बैठी। वहां रहते उसे कई युग बीत गए। अपनी चमक-दमक और रूप-रंग के गर्व से फूली नहीं समाई।
चिरकाल तक वह वहीं सर्वांग शीतल अवयवों और सुंदरता के मद से मतवाली रही।उसका समय का रूप सफेद कमल के समान सुंदर वस्त्र धारण किए हुए नई वधू के रूप को भी मात करता था। पर वहां एकांत में अकेली रहते-रहते वह ऊब उठी। धीरे-धीरे उसे दूसरे की संगति की चाहत हुई। कुछ दिनों में, क्रम-क्रम से, उसकी उत्सुकता बढ़ गई। उसने विवाह करना चाहा। पर उसके पाणिग्रहण का सौभाग्य प्राप्त हो किसे? उसे खुद ही न मालूम था कि कौन ऐसा भाग्यवान् युवक है जिसे उसका यौवन-रत्न प्राप्त हो सकेगा। मारूत महाराज, पवन देव, झकोर सिंह इत्यादि राजों और राजकुमारों ने उसके साथ अनेक प्रेमलाप किए; हर प्रयत्न से उसका चित्त अपनी ओर आकर्षित करना चाहा, पर सब व्यर्थ हुआ। उनमें से एक को उसने पसंद न किया। उसकी समझ में उन सबका प्रेम दो ही चार दिनों का था। ऐसे कच्चे प्रेमियों को कौन कुमारिका अपना सर्वस्व दे डालने का साहस करेगी?
जलदेन्द्र बहादुर सिंह तक हिमांगिनी के प्रेम के भिखारी हुए। उन्होंने उसके पास कई दूतियां भी भेजीं। उन्होंने उसकी विरह-कथा की कहानियां, खूब नमक-मिर्च लगाकर, कही। वे अपने साथ पहनने-ओढ़ने की कुछ चीजें भी उपहार के तौर पर लाईं। उनको हिमांगिनी अब तक धारण किए हुए हैं। पर जलदेन्द्र भी उसे पसंद न आए। पुरुषत्व के गुणों की उनमें जरा कमी नजर आई। पुरुष वह है जिसमें शक्ति भी हो, कठोरता भी हो, धैर्य भी हो और समय पर दुःख, क्लेश या दूसरों की दो-चार बातें सहने का भी सामर्थ्य हो। इन सब गुणों के न होने से हिमांगिनी ने उसकी भी प्रार्थना स्वीकार न की। क्या करे? बेचारी चुपचाप अपने घर बैठी रही। उसका भव्य वेश, उसका रूप-लावण्य और उसका गर्वव्यंजक चेहरा देखने लायक था। पर यौवन की ऊष्मा उसमें न थी; उसका बदन ठंडी बर्फ के समान ठंडा था। इसी से उसे देखकर तबीयत खुश नहीं होती थी; जान पड़ता था कि उसका शरीर निर्जीव है।