मोहन के घर से हर शाम उसकी बीवी की बहुत ज़ोर ज़ोर रोने बिलखने की आवाज़ आया करती थी । मोहन रोज़ शराब पि कर आता और घर में ख़ूब तमाशा करता। उसे बस बहाना चाहिए अपनी बीवी पर हाथ उठाने का,
आज भी वो नशे में धुत घर में दाखिल होते ही अपनी बीवी पर बरस पड़ा " उमा , उमा कहा हो ज़रा मेरे लिए पानी ले आना, और लड़खड़ाते हुए हाल में रखे सोफे पर गिर गया, काम की वयस्तता से उमा ने पानी लाने में थोड़ी देरी कर दी फिर क्या था मोहन ने उस पर उलटे सीधे शब्दों की बौछार शुरू कर दी और पानी पि कर गिलास उमा को दे मारा, गिलास उमा के पैरों पर ज़ोर से जा पड़ा और दर्द से उसकी चीख़ निकल पड़ी "आप के लिए ही खाना बना रही थी अगर खाना त्यार न होता तब भी आप मुझे जली कटी सुनाते या मुझ पर हाथ उठाने लगते उमा रुहांसि आवाज़ में कहते हुए किचन की तरफ पलटी,
फिर क्या था उमा का जवाब सुन कर मोहन आग बगुला हो गया और लड़खड़ाते हुए उमा को झपट पड़ा "बहुत ज़बान हो गई तेरी" मोहन उमा के बालों को हाथों में लपेट कर बोला। मगर इस बार अत्याचार की हद हो चुकी थी उमा एक पतिव्रता पत्नी थी , भगवान की लाठी देर से ही मगर बहुत ज़ोर से पड़ती है हर बार मोहन से यूं कह कर सब्र कर लेती मगर कभी न कभी सब्र का बान टूट ही जाता है और इंसान अत्याचार के विरोध खड़ा ही हो जाता है उमा के सब्र का बान टूट गया उसने मोहन को ज़ोरदार धक्का दिया और मोहन दरवाज़े से टकरा कर गिर गया और इस बार उसने अपने अंतर मन की आवाज़ सुन ही ली उसने दरवाज़े के पीछे से एक लाठी उठाई और एक ही बार में मोहन से सारा बदला ले लिया।
"""आई, उई माँ बचा लो माफ़ कर दो मुझे , भगवान की लाठी तुम्हें कहा से मिली, हाँ सच में ये बहुत ज़ोर से पड़ती है ।
अब कभी ऐसा नहीं करूंगा ना तुम पर हाथ उठाऊंगा ""'मोहन के पडोसी भी हैरान थे मोहन की दर्द भरी आवाज़ सुन कर "।
अशीमिरा 31/05/19 12:45 PM.