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रस्म ए उल्फ़त

20 अगस्त 2019

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चलो यूं निभाते हैं रस्म ए उल्फ़त हम दोनों

मैं हर दुआ में तुम्हारा नाम लूँ

हर बार तुम आमीन कह देना

मेरा हर सजदा हो आगे तुम्हारे

तुम हर बार मेरा काबा बन जाना

मेरी उँगलियों पे तुम तस्बीह की तरह

इश्क़ की आयत लिख जाना

दोहराती रहूँ बार बार तुम्हें ही

मेरे लबों का तुम कलमा बन जाना

अश्मीरा 19/8/19 05:10 PM

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चलो यूं निभाते हैं रस्म ए उल्फ़त हम दोनोंमैं हर दुआ में तुम्हारा नाम लूँहर बार तुम आमीन कह देनामेरा हर सजदा हो आगे तुम्हारेतुम हर बार मेरा काबा बन जानामेरी उँगलियों पे तुम तस्बीह की तरहइश्क़ की आयत लिख जानादोहराती रहूँ बार बार तुम्हें हीमेरे लबों का तुम कलमा बन जानाअश्मीरा 19/8/19 05:10 PM

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वो चलता हुआ नींद में कहाँ जाता है ऐसा लगता है दूर से उसे कोई बुलाता है !! माँ को ढूंढ़ती है शायद उसकी नज़र उसीकी गोद में सर रख के सोना चाहता है !!अब नहीं भूक से बिलख के वो रोता है ना जाने इतना सब्र अब कहाँ से लाता है !!हर बात की ज़िद करते देखा था उसे अब तो हर बात में ख़ुशी मनाता है !!अश्मीरा 18/8/19 11:

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