चलो यूं निभाते हैं रस्म ए उल्फ़त हम दोनों
मैं हर दुआ में तुम्हारा नाम लूँ
हर बार तुम आमीन कह देना
मेरा हर सजदा हो आगे तुम्हारे
तुम हर बार मेरा काबा बन जाना
मेरी उँगलियों पे तुम तस्बीह की तरह
इश्क़ की आयत लिख जाना
दोहराती रहूँ बार बार तुम्हें ही
मेरे लबों का तुम कलमा बन जाना
अश्मीरा 19/8/19 05:10 PM