shabd-logo

#सपनों_का_गुल्लक

2 अगस्त 2019

4516 बार देखा गया 4516
featured image

नानी के यहाँ से जब लौटा था तो नाना जी ने 50/-नानी जी ने 50/-मामा जी और मासी ने 100/- -100/- रुपये दिए थे स्कूल की छुट्टी लगे हुए भी लग भग २० दिन से अधिक हो रहे है वो पैसे भी गुल्लक में रोज़ डालता हूँ और आज पापा ने 50/- रुपये और दे दिए राजू गुल्लक में पैसे डालते हुए अपने गुल्लक से बत्या रहा था।

अब इन पैसों से मैं रानी [बहन ]के लिए एक गुड़िया खरीद लाऊंगा, माँ कितने दिनों से वही चूड़ियाँ पहनी हुई है लाल रंग की चूड़ियाँ माँ को बहुत पसंद है, हाँ माँ के लिए लाल रंग की चूड़ियां भी खरीद लूँगा। पापा बहुत दिनों से टूटी हुई चप्पल पहन कर काम पे जाते है पिछली दफा जब उन्हें पेमेंट मिला था तब भी माँ ने पापा से कहा था के खुद के लिए एक चप्पल ले आना बहुत टूट गई है मगर पापा ने मेरे स्कूल के टूटे हुए जूते देख लिए थे और अपने लिए चप्पल न लेते हुए मुझे स्कूल के लिए जूते दिला दिए थे। तो इन पैसों में पापा के लिए एक चप्पल भी खरीद लाऊंगा। हाँ एक दो दिन में और भी पैसे जमा हो जाएंगे अलका बुआ और फुफ्फा जी भी तो आने वाले है फुफ्फा जी तो मुझ से बहुत प्यार करते है जब भी आते है मुझे पैसे दे कर ही जाते है।
राजू को खुद ही में बात करते देख मैं ने किचन से आवाज़ लगाईं ।
"कौन है राजू किस्से बातें कर रहा है तू "?
राजू हड़बड़ा कर !!!!!!!
"क , कोई तो नहीं है माँ कोई नहीं"
"हाँ ,हाँ कोई नहीं तो तू बातें किस से कर रहा है", माँ ने हस्ते हुए राजू से कहा ।
"वो माँ मैं, मैं अपने सपनों के गुल्लक से बात कर रहा था," राजू ने फिर से जवाब दिया ।अब राजू के चेहरे पर हलकी सी मुस्कराहट आ गई ।
अशीमिरा 29/5/19 03:45 pm

अश्मीरा अंसारी की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

मासूम सी रचना प्रिय अश्मीरा , पर आपकी अशुद्धियाँ बहुत हीन , वे ठीक हो जाएँ तो रचना द्विगुणित हो जायेगी | हार्दिक स्नेह आपके लिए |

3 अगस्त 2019

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत सुन्दर , सराहनीय |

3 अगस्त 2019

1

पत्थर दिल

19 जुलाई 2019
0
6
4

नीरजा और उसकी फॅमिली को आज पुरे आठ दिन हुआ था इस फ्लैट में आये, तक़रीबन सभी पड़ोसियों से बातचीत होने लगी थी।बस अब तक सामने वाले ग्राउंड एरिया के दामोदर जी और उनकी पत्नी से परिचय नहीं हुआ था,उनके घर अब तक किसी पड़ोसी को ना आते-जाते देखा ना बात करते बस हर रोज़ खिड़की से कभी

2

आनंद

19 जुलाई 2019
0
4
2

अजमेर की सैर के लिए मैं सहपरिवार नागपुर के रेलवे स्टेशन पर ट्रैन के इंतज़ार में बैठी थी अभी ट्रैन आने में कुछ समय बाकि था के उसी प्लाट फॉर्म पर एक लड़का लग भाग २२-२३ साल मतलब मेरा ही हम उम्र अपनी माँ का हाथ थामे हुए हमारे बेंच के बिलकुल बाज़ू वाले बेंच पर आ बैठे, थोड़ी ही

3

बाज़ार ए इश्क़ की सैर ...

20 जुलाई 2019
0
3
1

बाज़ार ए इश्क़ की सैर कर आए वफ़ा ओ बेवफ़ाओं से मिल आए बहुत हुजूम ए साहूकार था वहाँ हर एक इंसां ख़रीदार था वहाँ दिलों के ढ़ेर चंद रुपियों में सरे आम बिक रहे थे ख़ुशी ओ मायूसी का मुज़ाहरा हो रहा था वहाँ कोई अपना दिल ख़ुशी से फ़रोख़्त करता कोई मायूस हो के बेचता कोई कच्ची उम्र वाला कोई अधेड़ उम्र वाला कही नक़द सौदा

4

याद

21 जुलाई 2019
0
5
3

आज चांदनी दरीचे से छनती हुईहलकी सी मेरे चेहरे पर पड़ने लगीमैं अपने कमरे में बैठीदूर से दालान में झाँकने लगीजहाँ मैं तुम्हारे इंतज़ार मेंचाय की दो कप लिए बैठा करती थीआज हवाओं मेंबिलकुल वही आहट थीजैसे तुम अक्सर शाम मेंचुपके से आ करमेरी आँखों को अपने हाथों सेबंद कर दिया करते थेऔर मैं तुम्हारे एहसास सेहर

5

#भाप_की_चोरी

26 जुलाई 2019
0
3
0

"बहुत भूक लगी है कल से कुछ खाया नहीं,""ख़ुदा का शुक्र है बस स्टैंड के पियाऊ में ठंडा पानी मिल जाता है , अब जीने के लिए खाना ना सही पानी पर गुज़ारा हो जाता है।" अनाथ 11 वर्षीय राजू छोटे छोटे अपने ही जैसे अनाथ दोस्तों के बिच बैठ बहुत उदास लहजे में कह रहा था।"अब तो कोई होटल में भी काम नहीं देता , जब से च

6

बहु ही क्यों बेटी क्यों नहीं?

26 जुलाई 2019
0
3
0

शादी के पुरे तीन साल बाद भी शोभा हमेशा ही अपनी सासु माँ के ताने, और जली कटी बातों का शिकार होती रही है, सास भी बस हर वक़्त मौके की तलाश में रहती है अगर बहु की कोई ग़लती ना मिले तो उसका अपने रूम में रहना भी उन्हें खटकने लगता है, आज भी सारा काम काज निपटाने के बाद जब शोभा

7

#भगवान_की_लाठी

29 जुलाई 2019
0
5
2

मोहन के घर से हर शाम उसकी बीवी की बहुत ज़ोर ज़ोर रोने बिलखने की आवाज़ आया करती थी । मोहन रोज़ शराब पि कर आता और घर में ख़ूब तमाशा करता। उसे बस बहाना चाहिए अपनी बीवी पर हाथ उठाने का,आज भी वो नशे में धुत घर में दाखिल होते ही अपनी बीवी पर बरस पड़ा " उमा , उमा कहा हो ज़रा मेरे लिए पानी ले आना, और लड़खड़ाते हुए ह

8

इंद्रधनुष / धनक

30 जुलाई 2019
0
2
4

एक रोज़ चले आए थे तुम चुपके से ख़्वाब में मेरे मेरे हाथों को थामे हुए दूर फ़लक पर सजे उस धनक के शामियाने तक हमसफ़र बनाया था मुझे सुनोअपनी ज़िन्दगी के सियाह रंग छोड़ आई थी मैं उसी धनक के आख़िरी सिरे पर जो ज़मीन में जज़्ब होने को थे उसी धनक के रंगों से ख़ूबसूरत रंग मेरे दामन में जो तुमने भर दिए थे वो रंगों में

9

#सपनों_का_गुल्लक

2 अगस्त 2019
0
3
2

नानी के यहाँ से जब लौटा था तो नाना जी ने 50/-नानी जी ने 50/-मामा जी और मासी ने 100/- -100/- रुपये दिए थे स्कूल की छुट्टी लगे हुए भी लग भग २० दिन से अधिक हो रहे है वो पैसे भी गुल्लक में रोज़ डालता हूँ और आज पापा ने 50/- रुपये और दे दिए राजू गुल्लक में पैसे डालते हुए अपने गुल्लक से बत्या रहा था। अब इन

10

#इंसाफ़

5 अगस्त 2019
0
1
1

मैं नन्ही सी जां थी लेकिन फिर भी तरस ना उसको आया अपनी भूक मिटाने क्यों उसने बचपन को खाया चंचल सा जीवन मेरा क्यों उसने पलभर में बलि चढ़ाया घबराती हूँ देख कर अब मैं ये बदसूरत दुनिया की मोह माया कितनी सांसें टूट गई है #इंसाफ़ किसी ने अब तक कहाँ है पाया हर दम सच का गला घोंट कर दरिंदों ने दुनिया का दिल दहल

11

रिश्ते

9 अगस्त 2019
0
0
0

यूं रिश्तों में समझौते का पेवंद लगा कर उसे कब तक जोड़ा जाए क्यों ना ज़बरदस्ती वाले रिश्तों की गांठों को आज़ाद किया जाए घुटन में रहने से तो बेहतर है आज़ाद फ़िज़ा में सांस ली जाए क़समों , वादों में उलझी हुई दुनिया से अब क्यों ना चलो किनारा किया जाए अश्मीरा 8/8/19 11:30 am

12

देश का चौकीदार

16 अगस्त 2019
0
1
0

आमिर रोज़ सुबह सवेरे बड़ी ख़ुशी ख़ुशी त्यार हो कर अपने पिताजी के साथ स्कूल के लिए निकल जाता । आज भी वो अपने पिता के साथ स्कूल के लिए निकल पड़ा, स्कूल के गेट पर चौकीदार हर दिन की तरह सभी बच्चों को अंदर दाख़िल कर रहा था, आमिर हर रोज़ उसे देखता । आज स्कूल , से वापसी के बाद खाने की मेज़ पर आमिर ने पिताजी से कह

13

रस्म ए उल्फ़त

20 अगस्त 2019
0
1
0

चलो यूं निभाते हैं रस्म ए उल्फ़त हम दोनोंमैं हर दुआ में तुम्हारा नाम लूँहर बार तुम आमीन कह देनामेरा हर सजदा हो आगे तुम्हारेतुम हर बार मेरा काबा बन जानामेरी उँगलियों पे तुम तस्बीह की तरहइश्क़ की आयत लिख जानादोहराती रहूँ बार बार तुम्हें हीमेरे लबों का तुम कलमा बन जानाअश्मीरा 19/8/19 05:10 PM

14

वो चलता हुआ नींद में कहाँ जाता है

30 अगस्त 2019
0
1
0

वो चलता हुआ नींद में कहाँ जाता है ऐसा लगता है दूर से उसे कोई बुलाता है !! माँ को ढूंढ़ती है शायद उसकी नज़र उसीकी गोद में सर रख के सोना चाहता है !!अब नहीं भूक से बिलख के वो रोता है ना जाने इतना सब्र अब कहाँ से लाता है !!हर बात की ज़िद करते देखा था उसे अब तो हर बात में ख़ुशी मनाता है !!अश्मीरा 18/8/19 11:

15

💞💞 तुम्हारी यादें 💞💞

17 सितम्बर 2019
0
1
0

💞💞 सुनो ................................💞💞जब जब तुम्हारी यादें !!मन के भीतर नृत्य करती है !!मैं रंग जाती हूँ !!तुम्हारे रंग में !!मैं झूम उठती हूँ ख़ुशी से !!तुम्हारे एहसासों को गले लगा कर !!फ़िर क़दमों तले ज़मीन नहीं होती मेरे !!आसमान की सैर पे निकल जाते है जज़्बात !!तोड़ लाते है वो अनमोल तारों को वह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए