"बहुत भूक लगी है कल से कुछ खाया नहीं,"
"ख़ुदा का शुक्र है बस स्टैंड के पियाऊ में ठंडा पानी मिल जाता है , अब जीने के लिए खाना ना सही पानी पर गुज़ारा हो जाता है।" अनाथ 11 वर्षीय राजू छोटे छोटे अपने ही जैसे अनाथ दोस्तों के बिच बैठ बहुत उदास लहजे में कह रहा था।
"अब तो कोई होटल में भी काम नहीं देता , जब से चोरी में पकडे गए।"
"चोरी, कैसी चोरी?" बच्चों के पीछे बैठे रामु काका ने पूछा।
"हाँ काका, चोरी!! राजू ने सर झुकाते हुए कहा।
"सतपाल काका जी की होटल में काम करते थे, बहुत ही स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते है वहाँ, पिछले हफ्ते की ही बात है काम करते करते हम बहुत थक गए थे और ज़ोरदार भूक लगी थी और लज़ीज़ खाने की ख़ुश्बू ने हमारी और भूक बढ़ा दी, हम सब होटल के रसोई घर तक पहूच गए , हमने किसी भी चीज़ को हाथ ना लगाया बस वही खड़े खड़े थोड़ी देर स्वादिष्ट पकवानों से निकलती हुई बाप की ख़ुश्बू से ही अपना पेट भर लिया था, उतने में ही सतपाल काका ने हमें वहाँ देख लिया और हम पर बरस पड़े और चोरी के इलज़ाम में हमे काम से निकाल दिया।"
"रामु काका यही चोरी की थी हमने भाप की चोरी" ।राजू की आवाज़ ये कहते कहते धीमी हो गई।
अश्मीरा अंसारी 28/06/2019 01:30 pm