मैं नन्ही सी जां थी लेकिन
फिर भी तरस ना उसको आया
अपनी भूक मिटाने क्यों
उसने बचपन को खाया
चंचल सा जीवन मेरा क्यों उसने
पलभर में बलि चढ़ाया
घबराती हूँ देख कर अब मैं
ये बदसूरत दुनिया की मोह माया
कितनी सांसें टूट गई है
#इंसाफ़ किसी ने अब तक कहाँ है पाया
हर दम सच का गला घोंट कर
दरिंदों ने दुनिया का दिल दहलाया
हमेशा से ही मुजरिम महफ़ूज़ हुआ है
हुकूमत ने मासूमों को कहाँ इंसाफ़ दिलाया
लगता है डर क़ानून के रखवालों से अब
हर किसी को मैंने जिस्म का भूका ही पाया
अब तक वो भूल बैठा है लेकिन
देगा सज़ा ज़रूर देख रहा है सब मेरा ख़ुदाया
अश्मीरा 05/08/19 01:30 PM