कितना कौतूहल होता है यह सुनकर कि "भारत तो एक स्वतंत्र देश है, और हम उस देश के वाशी हैं"। परंतु शाश्वत सत्य तो यह है कि हम अभी भी गुलाम है, अंतर तो मात्र इतना है कि पहले गोरे चमङे वालों के थे अब काले चमङे वालों के। अाखिर कब तक हम भारतीयों को इस मानसिक गुलामी के जंजीरों से अाजादी मिलेगी।
आखिर कब तक हम इस गुलामी के कङवे जहर को पीते रहेंगे़, अौर गर्व से छाती फुलाकर हुंकार भरेंगे कि" भारत माता की जय।" वह रे माँ ये कैसी तेरी लीला है.
जय हिंद जय भारत।
हे माँ भारती हमारे सोते हुए शेरों को जागरूक कर क्योंकि अब जागने का वक्त आ गया है। बन्दें गौ मातरम्।।।।भारत माता की जय!!!! सुबीर कयाल।