भारत
मेरे भारत की सीमा विशाल,
हिमालय सा उज्जवल है भाल,
पद पखारती है स्वयं मां गंगा,
प्रकृति करती सभी को चंगा,
खुशबू बिखेरते है वृक्ष चंदन,
करते सब ही मिलकर वंदन,
ज्ञान की पुण्य सलिला यहां,
श्री राम-कृष्ण की लीला यहां,
भारत ही था जग में विश्वगरू
यहीं से हुआ सभी ज्ञान शुरू,
खगोल गणित योग का ज्ञान,
विश्व को किया भारत ने दान,
पर कुछ आधुनिकता की सोच,
भारत माता का गला रही घोट
मन में आधुनिकता की चोट
सब कर रहे देश के साथ खोट
देशभक्ति तभी जागति नेता की
पांच साल में जब आते हैं वोट।।
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