🌺मृत्यु🌺
चीर निद्रा तेरा आलिंगन,
हर मनुज को होना हैं।
एक शयन अनूठा देखों
न चाहकर भी सोना हैं।।
हर एक श्वास छूटकर,
तेरे करीब हीं आती हैं।
प्रतिदिन प्रतिपल सखी,
तु मुझें निहारें जाती हैं।।
जीवों के जीवनपथ पर
सब और तेरा भय है,
हार मनुज के जीवन में,
तेरे हिस्से सदा जय है।।
तु जब भी आये आना
ना कोई प्रतिबंधन है।
हें सखीं! इस जीवन में
तेरा सस्नेह निमंत्रण हैं।।
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