भूली बिसरी सुखद -दुःखद
कुछ मीठी - मीठी यादें दिल में छुपी है
जब मैं कुछ गाता या गुनगुनाता
मुझे ये रूला के चली जा रही है
भूली बिसरी यादें ,रूलाये जा रही है
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कभी ये उलझाती, कभी ये रूलाती
कभी ये तपाती, कभी ये मनाती
जब कभी कुछ मैं भूलने की कोशिश हूं करता
समुद्री लहरों सी हिलोरें मार रही है
भूली बिसरी यादें रूलाये जा रही है
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मुरझाया सा फूल कुछ यूं खिल रहा है
जब भावना का जल उसे सिंच रहा है
बेजान जिस्म में जैसे रूह आ रही है
जिस्म मानो रूह को संभाल न पा रहा है
भूली बिसरी यादें बस रूलाये जा रही है।
भूली बिसरी यादें बस रूलाये जा रही है।
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