कैकयी के वर मांगने और राजा दशरथ के मूर्छित हो जाने का समाचार जब राम के पास पहुंचा तो राम तत्काल कैकयी के महल में आए और कैकयी से बोले," माताश्री! पिताश्री के वचन कभी भंग नहीं होंगे। मैं आपकी इच्छा को आदेश मानकर पालन करुंगा।"
राम अपने पिताश्री को समझा- बुझाकर जब वन को जाने लगे तो सीता तथा लक्ष्मण भी उनके साथ आ खड़े हो गए और वन में उनके साथ जाने का हठ करने लगे। किसी के समझाने पर भी जब वे नहीं माने तो राम ने अपनी सहमति दे दी।
राम, लक्ष्मण और सीता जब तपस्वी का वेष धारण कर वन जाने के लिए तैयार हुए तो सारा राजपरिवार और संपूर्ण नगर शोक में डूब गया। सभी रोने लगे।उनका मार्गं रोकने लगे। परन्तु राम नहीं रूके। वे मंत्री सुमंत्र के साथ वन को चल दिए।