विवाहोपरान्त राजा दशरथ अपनी बहुओं को विदा कराके अयोध्या आए। अयोध्या वासियों और राजमाताओं ने वर- वधुओं का खुब धुमधाम से स्वागत किया।
विवाहोपरान्त राजा दशरथ ने राजकाज देखना प्रारम्भ किया। धीरे - धीरे उन्हें लगने लगा कि वे अब वृद्ध हो चले हैं। एक दिन अपने मन की बात उन्होंने राजगुरु वसिष्ठ के समक्ष रखी," गुरुदेव! मैं अब वृद्ध हो चला हूं। मैं चाहता हूं कि राम को युवराज पद सौंप दूं।आपकी क्या राय है गुरुवार?"
"यह तो बहुत ही उत्तम विचार है राजन।" गुरूदेव ने कहा।
"फिर तो राज्य में घोषणा कराई दो कि राम को युवराज पद दिया जाएगा और तैयारियां प्रारंभ करा दो।" राजा दशरथ ने प्रसन्न होकर अपने मंत्री सुमंत से कहा