जंगल - जंगल विविध स्थानों पर भ्रमण करते हुए राम ने दक्षिण भारत के पंचवटी नामक स्थान पर पर्णकुटी बनाकर रहने लगे। एकदिन एक सुंदर स्त्री राम प्रभु के पास आई और बोली -" है अति सुन्दर युवक! तुम कौन हो? मैं लंकापति रावण की बहन शूर्पणखा हूं। मैं तुमसे विवाह करना चाहती हूं।"
उसकी बात सुनकर राम प्रभु ने सीता जी के तरफ इशारा करके कहा -" मैं तो विवाहित हूं। यहां वन में पत्नी के साथ रहता हूं।मेरा भाई जो वहां बैठा है ,वह अकेला है। तुम निःसंकोच उससे अपनी मन की बात कहो।"
शूर्पणखा लक्ष्मण के पास पहूंची और विवाह का प्रस्ताव उनके साथ भी रखा। लक्ष्मण ने शूर्पणखा से कहा कि स्वामी के रहते एक दास अपना विवाह कैसे कर सकता है।वह तो दास है अपने भैया के सेवा में समर्पित है।
लक्ष्मण की बात सुनकर शूर्पणखा को क्रोध आ गया।वह अपने असली राक्षसी रुप में आकर सीता पर झपटी तो लक्ष्मण ने कटार से उसकी नाक काट डाली। शूर्पणखा रोती- कलपती अपने भाईयों कर और दूषण के पास पहूंची तथा उनसे अपनी व्यथा - कथा सुनाई।इसपर खर- दूषण एक भारी दैत्य सेना लेकर आए।पर राम - लक्ष्मण ने उन सभी को यमलोक पहुंचा दिया।