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श्री राम प्रभु का केवट से भेंट --

11 अप्रैल 2023

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सुमंत्र राज्य से बाहर वन के किनारे उन्हें छोड़कर वापस लौटने को तैयार नहीं थे।राम ने समझा-बुझाकर मंत्री सुमंत्र को वापस भेजा। राम - लक्ष्मण और सीता पैदल चलते हुए गंगा के किनारे पहुंचे जहां उनकी केवट से भेंट हुई। राम ने केवट से गंगा पार कराने के लिए कहा। परन्तु केवट ने रामजी द्वारा अहिल्या उद्धार की बात सुन रखा था।वह हाथ जोड़कर राम से कहा -" प्रभु! मैं आपको गंगा पार अवश्य उतार दूंगा परन्तु पहले आप मुझे अपने चरण पखार लेने दीजिए।आपके चरणों के स्पर्श से पत्थर की अहिल्या, नारी रूप धारण कर स्वर्ग को चलीं गईं थीं।अगर आपके चरण स्पर्श से मेरी यह नौका भी स्वर्ग सिधार गई तो मैं अपने बाल - बच्चों का पेट कैसे पालूंगा ?

 केवट की भक्ति और प्रेम देखकर राम मुस्कुराए। उन्होंने केवट की अपने चरण   पखारने की अनुमति दे दी। केवट ने बड़े प्रेम से गंगा जल से राम - लक्ष्मण और सीता के चरण धोए और फिर उन्हें गंगा पार उतार दिया पर उतराई नहीं ली। उसने श्री राम प्रभु से आग्रह की -" आप तो सबसे बड़े पार-करैया हो, जो भवसागर से पार उतारते हो प्रभु , मुझे भी बिना उतराई मांगें पार उतार देना प्रभु ।" ये कहते हुए केवट फुट - फुटकर रो पड़ा।

रामजी ने उसे गले लगा लिया और उससे कहा कि वह चिन्ता ना करे।





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