shabd-logo

बीती विभावरी , जाग री

8 सितम्बर 2021

42 बार देखा गया 42

बीती विभावरी जाग री!

अम्बर पनघट में डुबो रही
तारा-घट ऊषा नागरी!

खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा
किसलय का अंचल डोल रहा
लो यह लतिका भी भर ला‌ई-
मधु मुकुल नवल रस गागरी

अधरों में राग अमंद पिए
अलकों में मलयज बंद किए
तू अब तक सो‌ई है आली
आँखों में भरे विहाग री!

- जयशंकर  प्रसाद  



 

9
रचनाएँ
कविताएं जो मन में बस गयी
5.0
कुछ काव्य जो मेरे मन में बस गए | उन्हें संगृहीत करने का एक छोटा सा प्रयास ...
1

घर की याद

2 सितम्बर 2021
6
6
0

<p>“घर की याद” कविता के कवि भवानी प्रसाद मिश्र जी हैं। कवि ने सन 1942 के “भारत छोड़ो आंदोलन” में बढ़

2

अग्निपथ

6 सितम्बर 2021
1
7
0

<p>वृक्ष हों भले खड़े,<br> <br> हों घने हों बड़े,<br> <br> एक पत्र छाँह भी,<br> <br> माँग मत, माँग म

3

बालिका से वधु

6 सितम्बर 2021
1
7
0

<p>माथे में सेंदूर पर छोटी<br> दो बिंदी चमचम-सी,<br> पपनी पर आँसू की बूँदें<br> मोती-सी, शबनम-सी।</p

4

यह धरती कितना देती है

7 सितम्बर 2021
2
13
0

<p>मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे, <br> सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे, <br> रुपयों की कलद

5

पुष्प की अभिलाषा

8 सितम्बर 2021
0
10
0

<p>चाह नहीं, मैं सुरबाला के <br> गहनों में गूँथा जाऊँ,<br> चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध<br> प्यारी

6

नर हो , ना निराश करो मन को

8 सितम्बर 2021
6
10
5

<p>नर हो, न निराश करो मन को<br> कुछ काम करो, कुछ काम करो<br> जग में रह कर कुछ नाम करो</p> <p><br> यह

7

हिमाद्रि तुंग श्रृंग

8 सितम्बर 2021
0
7
0

<p>हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती<br> स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती<br> 'अमर

8

बीती विभावरी , जाग री

8 सितम्बर 2021
4
8
0

<p>बीती विभावरी जाग री!<br> <br> अम्बर पनघट में डुबो रही<br> तारा-घट ऊषा नागरी!<br> <br> खग-कुल कुल-

9

हम पंछी उन्मुक्त गगन के

8 सितम्बर 2021
1
7
0

<p>हम पंछी उन्‍मुक्‍त गगन के<br> <br> पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,<br> <br> कनक-तीलियों से टकराकर<br> <br>

---

किताब पढ़िए