- मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” (इस लेख का कोई भी अंश अथवा सम्पूर्ण लेख प्रकाशित करने से हेतु लेखक की पूर्व अनुमति अनिवार्य है) आजकल ब्राह्मण समाज का अपमान करना और उनका खुलेआम विरोध करना मानों एक फैशन सा बन गया है. जिसे देखो वही ब्राह्मणों को देश और समाज की तथाकथित दुर्
जाति (caste) और उसमें भी क्रमिकऊँच-नीच के वर्ण !!! एक ईश्वर की संतान होने के बावजूद, भारतीय समाज में कुछ विशेषजाति के लोग तो विशेष काम ही कर सकते है अथवा कुछ विशेष कामों पर कुछ विशेष जातिका ही हक है अथवा कुछ काम विशेष विशेष जाति के द्वारा ही किए जाने चाहिए और दूसरेनही
ब्राह्मण विरोधी राजनीति जिसकी जड़ 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में ज्योतिबा फुले के सत्यशोधक समाज के रूप में रखा गया था, और जिसका राजनीतिक स्वरूप 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में जस्टिस पार्टी के द्वारा रखा गया था, वह आंदोलन अपने उतरार्द्ध