बन्द हो गया जब बाहर आना जाना
चलो खंगाले भीतर का अनमोल खजाना।।
खालीपन है, क्षमताओं का क्षरण नही है,
कहीं व्यस्तताओं का भी आवरण नही है ,
स्पष्ट सामने अपनी छवि दिखती दर्पण मे,
सावधान करती हमें वही क्षण क्षण में,
संभव वहाँ न होता कोई तर्क बहाना
चलो खंगाले भीतर का अनमोल खजाना।।
मन मे ही रहता पुरा ब्रम्हांड समाया,
यहाँ न कोई होता अपना और पराया ,
सबमे होता एक शक्ति का वास निरंतर ,
होता रहता जिसका आभास निरंतर ,
सीखें इन्ही दिनों उससे संपर्क बढ़ाना ,
चलो खंगाले भीतर का अनमोल खजाना।।
घर मे अब तक वंचित परित्यक्त रहे थे,
जिनके भाव विचार सदा अव्यक्त रहे थे,
जो तरसा करते थे केवल एक झलक को,
और दबाये रहते थे प्रत्येक ललक को,
शुरू करें अपने उन बच्चों से बतियाना
चलो खंगाले भीतर का अनमोल खजाना।।
समय मिला है अपने भीतर भी हम झांके,
अपनी अपनी कीमत आज स्वयं हम आंके
स्वयं उघाड़े एक एक कर मन की परतें ,
देखें कहाँ शांति है कहाँ भरी आवर्तें,
सीखे कुछ पल को निर्वेयक्तिक हो पाना,
चलो खंगाले भीतर का अनमोल खजाना।।