कुछ ज्ञानात्मक विषयवस्तु पर आधारित लेख व कविता
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बन्द हो गया जब बाहर आना जाना चलो खंगाले भीतर का अनमोल खजाना।। खालीपन है, क्षमताओं का क्षरण नही है, कहीं व्यस्तताओं का भी आवरण नही है , स्पष्ट सामने अपनी छवि दिखती दर्पण मे, सावधान करती हमें वही