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चलो पाषाण युग में चलें

28 फरवरी 2023

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वर्तमान में करके बहस अतीत की

मोहब्बतों और रंजिशों का हिसाब किताब करें,

लौट जर सदियों पीछे आइए इतिहास पर बात करें,

अंग्रेज़ हों या मुग़ल, गुप्त, चंदेल या मौर्य

कहानियाँ हैं खून खराबे की,

चर्चे हैं उनके दिखाए हैं जिन्होने शौर्य

काल हो पुराणों या महाकाव्यों का,

किस्सा है अभिमान और स्वाभिमान के टकराने का,

जीत है कहीं अच्छाई और कहीं बुराई की

पर, कहानियाँ हैं सिर्फ इन्सान से इन्सान की लड़ाई की,

फिर क्यूँ करें हम कालखण्ड पर बहस,

कर दें आज को भी तहस नहस

 देख कर अपना मतलब जाएं सिर्फ वहीं तक,

जहां से ला सकें रंजिशें आसमां से ज़मीं तक,

क्यूँ ना हम आरम्भ से ही शुरुआत करें,

चलो एक बार फिर पाषाण युग में चलें,

जहां पहली बार समझा था इंसान ने, इन्सान का इन्सान से,

रिश्ता है क्या,

रह कर साथ जूझना है हर मुसीबत से,

एकता का मतलब है क्या,

ना था झगड़ा ज़मीनों, सरहदों और रियासतों का,

ना थीं बहसें धर्म और समुदायों की,

जनता नहीं था कोई,रंगों और नस्लों का किस्सा है क्या,

विकसित होने की फिर से शुरुआत करें,

चलो एक बार फिर पाषाण युग में चलें......


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