"फासलों का सफर इतना ज्ञात होगा
मैंने चाँद से सीख लिया है दूर से नजदीकियाँ बनाना" {4}
“जमीं भी तेरी आसमां भी तेरा
पर तेरे साथ बिताया वो एक याद गार लम्हा ही मेरा
जिसके बाद कुछ न पाने की चाह न खोने की इच्छा झोली
झोली मे आया अंतहीन सार तेरा” {5}
30 मार्च 2022
"फासलों का सफर इतना ज्ञात होगा
मैंने चाँद से सीख लिया है दूर से नजदीकियाँ बनाना" {4}
“जमीं भी तेरी आसमां भी तेरा
पर तेरे साथ बिताया वो एक याद गार लम्हा ही मेरा
जिसके बाद कुछ न पाने की चाह न खोने की इच्छा झोली
झोली मे आया अंतहीन सार तेरा” {5}
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मैं दिल्ली की रहने वाली हूं और एक गृहणी हूं| कविता पढ़ने और लिखने का शौक रखती हूं| कबीर,ओशो और गुलज़ार से बहुत प्रभावित हूं| मन के उदगार को भावों में पिरोने का प्रयास लिए हूं।D