shabd-logo

छात्र आंदोलन -- कारण और निवारण !

21 मार्च 2022

13 बार देखा गया 13

 मेरे द्वारा यह लेख लगभग 55 वर्ष पूर्व ,मेरे विद्यार्थी काल मेंलिखा गया था ,जो आज भी प्रासंगिक है I 

विगत कुछ वर्षों से यह परंपरा सी बन गई है कि सत्र के मध्य कोई ना कोई छात्र आंदोलन उठ खड़ा होता है I
छात्र-पुलिस मुठभेड़, ईट-पत्थर, आंसू गैस ,लाठीचार्ज ,गोली और फिर हफ्तों महीनों के लिए स्कूल- कॉलेज बंद I वारंट ,मुकदमे ,जेल और बस पूरा सत्र समाप्त I यह परंपरा कब तक चलेगी यह बताना कठिन है I
 

शासन करता कांग्रेश पार्टी द्वारा विरोधी पार्टियों को इन आंदोलनों का करता बताया जाता है ,जबकि विरोधी पार्टियों के अनुसार, आंदोलन छात्रों द्वारा ही , सरकार द्वारा छात्रों के उत्पीड़न केकारण ,किए जाते हैं I 

छात्रों की ओर से यही कहा जाता है कि सरकार उनकी मांगों की उपेक्षा कर दमन नीति बनाती हैं I अत: उनके सामने आंदोलन करने के अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं होता I मैंने अपनी दृष्टि से इसका विश्लेषण किया है

 आंदोलनों का प्रारंभ लगभग 90 से 100 वर्ष पूर्व हुआ I स्वतंत्रता आंदोलन में भी ,जनता के साथ साथ तत्कालीन छात्रों ने भी भाग लिया और अंग्रेज सरकार के अनाचार और अत्याचार का विरोध किया I अत: तत्कालीन विद्यार्थियों (वर्तमान नेताओं ) के उत्तराधिकारी उनके अन्याय और अत्याचार का विरोध करते हैं तो इसमें कहीं भी कुछ भीअस्वाभाविक नहीं है

वर्तमान में आंदोलनों के मुख्य कारण निम्न है :  

1. नैतिकता का पतन  

2. दोषयुक्त शिक्षा प्रणाली 

 3. राजनीतिक कारण 

नीचे हम प्रत्येक का विस्तृत विवेचन करेंगे I  

नैतिकता का पतन : 

भारत में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर होने वाली सबसे बड़ी हानि यह है कि विद्यालयों में नैतिक शिक्षा लगभग समाप्त कर दी गई है I इसी का परिणाम है कि विद्यार्थियों के अंदर से राष्ट्रप्रेम, दूरदर्शिता तथा उत्तरदायित्व की भावनाएं लोप् हो गई हैं I उनका उद्देश्य किसी भी प्रकार से डिग्री हासिल करना रह गया है I उधर चल चित्रों का जाल इस प्रकार से फैला हुआ है कि विद्यार्थी उनके आकर्षण में बुरी तरह जकड़ा हुआ है

2. दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली : 

आज देश की शिक्षा प्रणाली है खराब होने के साथ-साथ हानिकारक भी है I राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखित यह पंक्तियां वर्तमान शिक्षा प्रणाली का स्पष्ट विवेचन करती हैं

" शिक्षा को हम और हमें शिक्षा रोती है  

पूर्ण आयु बस घास खोदने में होती है " 

 वास्तव में देखा जाए तो कवि की वाणी में यह कटु सत्य है I आज की शिक्षा प्रणाली के कुछ दोष निम्न हैं

( क) शिक्षा के स्तर में गिरावट :

हमारे देश में शिक्षा का स्तर बहुत गिरा हुआ है I इस गिरे हुए स्तर का एकमात्र कारण यह है के देश में प्रत्येक विद्यार्थी को समान शिक्षा देना आवश्यक समझा गया , भले ही वह योग्य हो या ना हो I अत: शिक्षा का स्तर गिरतI चला गया

(ख ) बेरोजगारी का भय :

क्योंकि उच्च शिक्षा सभी के लिए आवश्यक समझी गई और शिक्षित वर्ग ने अपना धर्म नौकरी करना ही समझा इसलिए जब बहुत से लोगों ने डिग्री हासिल कर ली, नौकरियों की मांग स्वाभाविक थी जो पूरी न हो सकी I पढ़ लिख कर भी लोग अपने भविष्य के प्रति आशाबान न हो सके I बेरोजगारी का एक कारण यह भी है कि हमारे देश में शारीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम को आदर की दृष्टि से देखा जाता है और झूठे आदर और झूठे स्वाभिमान की भावना से भरे शिक्षित
वर्ग में दासता की मनोवृत्ति ने जन्म ले लिया

गांधीजी ने एक बार कहा था कि अगर सरकार देश को बेरोजगारी से मुक्त रखना चाहती है तो उसे लघु उद्योगों को पूरा महत्त्व देना चाहिए I परंतु ऐसा न किया गया और सरकार द्वारा लघु उद्योगों की उपेक्षा बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण
है
I  

()शिक्षक छात्र संबंध :

आज शिक्षकों और छात्रों के बीच वैसे संबंध नहीं हैं जैसे कि होने चाहिए I भारतीय संस्कृति में गुरुकुल की संकल्पना तो समाप्त हो चुकी है I वास्तविक रूप से देखा जाए तो न तो विद्यार्थी विनय और श्रद्धा पूर्वक शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं
और न ही शिक्षक के मन में उसे ऊंचा उठाने की और योग्य बनाने की अभिलाषा होती है
I शिक्षक अपना ध्यय कक्षा में जाकर सिर्फ पुस्तक ज्ञान देनI शिक्षा समझते हैं और छात्र येन केन प्रकारेण परीक्षा पास करना

3. राजनीतिक कारण : आज विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने छात्रों को आंदोलन कराने की मशीन समझ लिया है I यह पार्टियां छात्रों को उकसा कर/ भड़का कर आंदोलन कराती हैं I इन आंदोलनों की आड़ में, जिसका दोष छात्रों को
दिया जाता है
,तोड़फोड़ कराई जाती है I पार्टियां चुनावों मेंअपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए मनमाना पैसा खर्च करती हैं और इसके परिणाम स्वरूप जीते हुए प्रत्याशी उनके एहसानमंद होते हैं I और समय आने पर उनके आदेशानुसार छात्रों को गुमराह करके आंदोलन कराते हैं I यह भारत का बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि बड़े बड़े राजनीतिज्ञ अपने थोड़े से लाभ
के लिए छात्रों के जीवन से खिलवाड़ करते हैं और उन्हें भी गंदी राजनीति में घसीट ले जाते हैं
I  

विजय स्वरुप जैन की अन्य किताबें

किताब पढ़िए