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“चिराग जलना चाहिए ”

24 फरवरी 2020

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“चिराग जलना चाहिए ”

सिल गये हों होठ तो भी गुनगुनाना चाहिए
अब पिटारी से कोई खुशबू निकलनी चाहिए |
बदनुमा इस शहर की अब शाम ढलनी चाहिए
खट्टे मीठे स्वाद को भी बदलना चाहिए |
रहनुमा सारे किनारों को मचलना चाहिए
ठूठी सियासत बहुत बदरी अब सम्हलना चाहिए |
विद्रोह की ज्वाला न भड़के जतन करना चाहिए
जनता सारी समझ रही खुद समझना चाहिए |
बुझ चुके वस्ती के चिराग पुन: जलने चाहिए
दीपक जलते महलो में दिल में भी जलना चाहिए|
गाँव के सारे शहर को फिरअन्न मिलना चाहिए
अमन हो परदेश सारा रहमों करम होना चाहिए ।

सुखमंगल सिंह

सुखमंगल सिंह

शब्दनगरी के साथ साथ सुधी पाठकों को भी स्वागत आभार

25 फरवरी 2020

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"मंगल गीत "-------------जालिम सर चढ़ बोल रहा है बंदूकों के साये में वन्देमातरम में कब तक हम कौम को जगायेंगे | नरमुण्ड माला वाली माँ, कितना उसे दिखाएँगेखून के प्यासे कातिल भरमाते आएंगे, भरमाएंगे ||तीर -त्रिशूल पे कहाँ तक विषधर का थूक लगाएंगे जवान खड़ा भारत मेरा कब हम जय हिंद गाएंगे | माना युद्ध भूमि पर शहादत देने से स्वर्ग पाना है वीर शहीदों के शान में वन्देमातरम गाये जाएंगे ||केशरिया बाना वीरों के रणभेरी रण में बजायेंगे शहीदों को गीत समर्पित हिन्द से लिखते आये | देशपे मरने वालों को श्रद्धासुमन अर्पित करते आयेवन्देमातरम में कब तक हम कौम को जगायेंगे || हिन्दू- मुस्लिम सिक्ख- ईसाई माना भाई -भाई त्राहि-त्राहि मची विश्व में हरहद पार बढ़ी कठिनाई काली का आवाहन माँ'मंगळ मंगल होगा सुखदाई दुश्मन को वन्देमातरम से दुःख हो तो हो दुखदाई || बढ़ता जुल्म देख नौकरशाही का प्रजा घबराई हैं सन्नाटे में गूँज देख देख रही अब तो माई - ताई | बड़ी - खड़ी - कढ़ी मूछें रखते आये हैं मेरे दादा- भाई कौम को वन्देमातरम में कब तक हम जगायेंगे || फुलवा - सोनवा की थी टाठी में सबने जेवना खाई मुछमुंडों के हाथों में जब से राष्ट्र की सत्ता आई | उनने वन्देमातरम गीत पर निरंकुश अंकुश लगाईंवन्देमातरम से दुश्मन को दुःख हो तो हो दुखदाई || वीर तुम बढे चलो धीर तुम बढे चलो सिंह दहाड़ लायें अपनी जननी के गौरव की अविरल गाथा मिल गायें संसद की दहलीज जगाने तिरंगा - मंगल गीत गवाई वन्देमातरम गीत को गाने जच्चा बच्चा उमड़ते आई | |-सुखमंगल सिंह ,वाराणसी ,मोबाइल ९४५२३०९६११

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