चोको से मेरी मुलाकात मेरी शादी के दूसरे दिन हुई थी, घर में नयी बहु के रूप में पहला कदम रखा और उस दिन ससुराल में पुरे परिवार से मिलना हुआ. ससुर जी , सासु माँ , ननदिया, पियाजी और चोको . पहले पहल देखा तो बड़ा ही डर लगा. लगता भी क्यों नहीं, जर्मन शेफर्ड होते ही शिकारी कुत्ते हैं, बड़ा डील डौल , ऊँचा पूरा बदन , इंसान न देख पाए वहां तक देख पाने वाली आँखे, शिकार को क्षण में ढेर कर दे ऐसे नुकीले दांत, पल भर में किसी को आकर्षित कर ले ऐसा सुनेहरा और काला रंग, और एक पल भी शांत न बैठे ऐसी ऊर्जा .
मुझे देखते ही वो मुझे परखने लगी की यह क्या जीव उठा लाए हो, लाल रंग की है, लगती तो मम्मीऔर दीदी जैसे ही है, पर खुशबु ज़राअलग है (कुत्ते इंसानो को खुश्बुओ से पहचानते हैं ) . खैर चलो मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है, बस ये नया जीव याद रखे की ये चोको का घर है.
रात हुई और हम सोने चले गए , पर चोको के लिए ये आशचर्य की सीमा नहीं रही जब वो उसे हमारे कमरे से निकाल दिया गया . और वो रातभर बाहेर सोई. सुबह उठ कर जब दरवाजा खोला तो पाया की वो सारी रात हमारे कमरे के बाहेर सोती रही. इस इंतज़ार में की अब दरवाजा खुलेगा और पियाजी उसे अंदर बुला लेंगे. :)