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चोको : नॉएडा में प्रवेश

24 सितम्बर 2021

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आठ घंटो का सफर तय  करके जब चोको कानपूर से नॉएडाआयी   तो ये  मेरे लिए एक सरप्राइज था.  अमित  सोच रहे थे  की उनके साथ चोको को देखकर मैं ख़ुशी से उछल पड़ूँगी . पर हुआ इसके उलट ....  मैंने जैसे ही उसे देखा तो  मेरा गुस्सा सातवे आसमान को पहुंच गया की इसे क्यों  लेते आये ,  अब ये घर गन्दा करेगी.  जगह जगह इसके बाल बिखरे पड़े होंगे ,  रसोई में घुस गयी तो,  काट किया तो ,  उफ़ तुम कभी नहीं सुनते . वगैरह  वगैरह . अपने गुस्से के बीच  मैं भूल गयी थी चोको के हाव भावदेखना , जो की डरी  सेहमी सी खड़ी  थी कोने में ,  उसे तो  समझ भी नहीं आ रहा था की उसके साथ हुआ  क्या है ??

ये कौन सी जगह है और ये मुझे देख कर गुस्सा क्यों हो रही है ?? ये घर कितनाऊपर है  और छोटा भी है    ,मम्मी पापा का घर  तो काफी बड़ा था  .  यहाँ तो हर समय पट्टा  पहने रहो.  और ये कहाँ से मुझे ऊपर लाये हैं .लिफ्ट .  अजीब सा कमरा है वो तो .   सब तरफ से बंद है और अचानक से खुल जाता है बंद हो जाता है . जाने कौन सा अजायबघर है ??

(मुझे याद है जब चोको को पहली बार लिफ्ट में लाया जा रहा था तो वो लिफ्ट के  अंदर जाना ही नहीं चाह रही थी , उसके मन में इतना डर था की जैसे इस कमरे (लिफ्ट ) में जाते ही उसे कुछ हो जाएगा , फिर अमित  ने उसे अंदर उठा के    अंदर बिठाया और उसके सर है पर हाथ फेरते रहे तब जाके  वो हमारे घर तक पहुंच पायी .

 एक  दो दिन  लगा फिर वो धीरे धीरे घर  माहौल  में घुलने मिलने लगी , धीरे धीरे उसे नियमो से अवगत करायागया  की सोफे पे नहीं बैठना है,  चाहे कोई देखे या न देखे , रसोई में नहीं जाना है , खाना खाते वक़्त अपने कटोरे से निचे कुछ    नहीं गिराना है  ,     दूसरे कुत्तो को देख कर नहीं भौंकना है , कमरे में बिस्तर पे नहीं चढ़ना है इत्यादि .  कभी कभी बो भूल भी जाती की इतने सारेनियम हैं . पर क्या ही फर्क पड़ता था, यह नियम तोड़ने पर कोई सजा भी तो नहीं मिलती थी.                             

                                               

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रचनाएँ
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