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चोको : नॉएडा में

24 सितम्बर 2021

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चोको  को छोड़  कर हम नॉएडा आ गए थे क्यूंकि अब शादी के लिए ली हुई छुट्टिया भी ख़तम हो गयी थी  और  काम  पर भी वापिस जाना था. घर पर   फ़ोन से अक्सर बातें  हुआ करतीथी पर चोको उसका हिस्सा नहीं थी. फिर एक दिन पापा  ने कहा की जब तुमलोगो का फ़ोन आता है और वीडियो पर तुम लोगो की आवाज़ सुनती है तो पास आ जाती है और सुनने कीकोशिश  करती है चोको.  तब ये बात सिर्फ  कहने वाली लगी पर आज जब उसे याद  करती हु तो लगता है की सच में जानवरो में भी हम जैसी ही भावनाये होती हैं, वो भी चाहते हैं की जिससे वो सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं वो भी उन्हें वैसे ही प्रेम करे.

कभी कभी उसे वीडियो में दिखा दिया जाता पर टेक्नोलॉजी किसी श्वान के लिए तो  दूसरी ही  दुनिआ की चीज़ हो जैसे.

हमारी आवाज़ सुनती तो  देखने  लगती कि   कहाँ से आ रही हैआवाज़   ,   हमआस पास तो नहीं,  और आवाज़ आ रही है तोखुशबु  क्यों नहीं रही .  उसकेचेहरे पर किसी अबोध बालक से भाव होते, जैसे उसे कह दिया हो की कान कौव्वा ले गया और वो बच्चा कान को नहीं बल्कि कौव्वे को खोजने लगता.

उसकी इन्ही सब हरकतों को देख कर ही तो उस पर और भी प्रेम उमड़ पड़ता.  

 अमित को अचानक  काम से घर जाना था औरमेरे  पास छुट्टिया थी नहीं  तो उन्होंने अकेले जाना ही तय किआ. घर जाके देखा तो चोको बीमार पड़ी हुई थी , न ठीक से चल पा रही थी और चेहरे पर उदासी छायी थी.  अमित ने पूछा की इसे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाया, माँ ने कहा  की  एक दो दिन से ही है.  और कोई डॉक्टर   जल्दी से घर नहीं आता, फिर अमित उसे  दिखने क  लिए ले गए. पता चला की उसे आर्थराइटिस हो गया  है.  जो की उसकी उम्र में आमतौर पर कुत्तो को हो जाता है . 

कुछ दवाइया दी गयी और डॉक्टर ने एक नसीहत भी दी की ये बीमार से ज्यादा दुखी लगती है ,  कोई  खास वजह ??वजह तो थी ही, घर में उसे दो वक़्त खाना पानी तो मिल जाता पर हर समय का लाड तो नहीं मिलता था. और ये  बात तो मैं अनुभव से कह सकती हु की दुनिआ का हर प्राणी प्रेम का भूखा होता  है.  चोको को डॉक्टर के क्लिनिक से घर लाते लाते अमित ने सोच लिया था की अब वो चोको को नॉएडा लेते चलेंगे. 

घर पहुंचे और सबसे पहले तो येविचार कियागया की अब चोको को नॉएडा लेकर कैसे जाया जाए?  ट्रैन  में तो नहीं ले जा सकते. चोको खुद भी डर जाएगी , और सहयात्रियों  का खौफ अलग . अमित ने अपने ट्रैन की टिकट कैंसिल की और एक टैक्सी बुक कर ली.  

दूसरे दिन टैक्सी में एक तरफ से चोको को बिठाया गया और उसके बाजू में बैठे अमित खुद . उसे सँभालते हुए ,  सहलाते हुए . ऐसा नहीं था की उसे कार की सवारी नहीं पसंद थी पर ये  पहली बार था जब अमित ड्राइव नहीं कर रहे थे. उसे लगा   की कहीं उसे छोर की आने के कवायद तो नहीं चल रही.   थोड़ी देर वो शीशे से बाहेर झांकती रही और फिर जब थक गयी  तो सो गयी अमित की हीें  गोद  में  सर रखकर.                                 

                 

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