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चोको :और भी बातें

6 जनवरी 2022

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 चोको ने सोसाइटी में अपनी पहचान  मुहैया करवा ली थी , इसकी वजह सिर्फउसका डील डॉल और मस्तानी चाल  ही  नहीं थी , वरन वो सबसे ज्यादा शांत और मिलनसार  थी , हम रोज़ शाम मेंसोसाइटी में   घूमने जाते  , जो की हमे डॉक्टर कीहिदायत थी,  परन्तु हमसे ज्यादा कब वो चोको का समय बन गया पता ही नहींचला. रोज़ नियत समय पर हम उसे ले कर निचे गार्डन में जाते , वहां पर उसे चौकीदार के केबिन के पास बांध  दिया जाता ताकि हम अपनी वाक करसके , और उसने इसीबीच  सरेचौकीदारों से दोस्ती कर ली. सभी उसेदेखते ही खुश हो जाते  , कभी कभी उसके लिए बिस्कुट लाये जाते,  सर सहलाया जाता  , बदले मे वो अपनी पूँछ  हिला कर उनका धन्यवाद करती.  धीरे धीरे उसे सोसाइटी में सभी पहचानने लगे. 

 कुछ बच्चे उसके साथ खेलते और ज़िद करते की हम चोको को उनके  घर छोड़ दे. जो की मुमकिन नहीं था , तो कुछ बच्चे चोको के साथ खेलते हुए घर आ जाते. हम उन्हें बताते की    कैसे जानवरो का लालन  पालन किआ जाता है, उन्हें क्या कैसे कब खिलाना होता है,   कैसे उनके साथ खेलते  हैं वगैरह वगैरह. 

उन कुछ पलो  में मुझे महसूस हुआ की मैं कब एक माँ की तरह बन गयी हूँ , सच में पहले     देख कर  जो डर लगा था अब उसकी जगह अनन्य प्रेम ने ले ली थी.                                                                                                                                                                                                                   

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