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देश का विकास रुका हुआ है,क्या वो ज़मीनें सोना उगलरही है?????ये अध्यादेश कानून बनकर अमल में आता है तो क्या होगा??

27 फरवरी 2015

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देश का विकास रुका हुआ है,क्या वो ज़मीनें सोना उगलरही है?????ये अध्यादेश कानून बनकर अमल में आता है तो क्या होगा इसेसमझने के लिए जरा इन आंकड़ों पर नजर डालिए.Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE)की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 में अक्टूबर से दिसंबरके मुकाबले साल 2014 में अक्टूबर से दिसंबर के बीचफंसे हुए प्रोजेक्ट में 55फीसदी की कमी आईहै यानी मोदी सरकार के राज में प्रोजेक्ट नेरफ्तार पकड़ी है.2013की तीसरी तिमाही मेंदेश में 2 लाख 50 हजार करोड़ के करीब 155प्रोजेक्ट फंसे हुए थे. जबकि साल 2014की तिमाही में रफ्तार पकड़ने के बाजवूदभी 1 लाख 20 हजार करोड़ के 128 प्रोजेक्ट फंसेहुए हैं. अकेले भूमि अधिग्रहणकी समस्या की वजह से साढ़े 26 हजारकरोड़ के 11 प्रोजेक्ट अटके हुए हैं.स्टील सेक्टर में 32 हजार करोड़ के निवेश वाले 6प्रोजेक्ट रोके जा चुके हैं जिसमें से 3 प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहणकी समस्या से जुड़े हुए हैं. ओडीशा मेंAmtek Metal & Mining का 2 मिलियन टन स्टीलका प्रस्तावित प्लांट रुका हुआ है क्योंकि प्लांट के लिएजरूरी जमीनमुहैया नहीं हो पाई. 6800 करोड़ के 10सीमेंट प्लांट फंसे हुए हैं जबकि राजस्थानकी श्री सीमेंट ने कच्छ में मांगना होने की वजह से 1500 करोड़ का अपना प्रस्तावितप्रोजेक्ट रोक दिया है.इतना ही नहीं जिस भूमि अधिग्रहणअध्यादेश को लेकर हर तरफ विरोध हो रहा हैउसी जमीन से जुड़ी समस्याओंको लेकर ओडीशा में एएसएस एनर्जी का 3मिलियन टन स्टील का प्लांट रुका हुआ है.इन आंकड़ो को देखकर ऐसा लगता है कि देश में मानो विकासथमा हुआ है. प्रोजेक्टकी घोषणा तो हो जाती है लेकिन एलान सेकुछ आगे जाने के बाद तमाम प्रोजेक्ट जमीन से लेकरमंजूरी तक के जाल में फंस जाते हैं.भूमि अधिग्रहण बिल पर बहस के दौरान सरकार को घेरने के लिएविपक्ष भले खेती को देशकी रीढ़ बता रहा हो लेकिनहकीकत ये है कि आजादी के बाद जिसखेती का जीडीपी मेंयोगदान 52 फीसदी था वो अब घटकर2012-13 में 14 फीसदी रह गया था. दससाल पहले यानी 2004-05 में भी ये सिर्फउन्नीसफीसदी ही था. इसमेंखेती से जुड़े क्षेत्रों का योगदान शामिल है.यानी किसानों की जमीन को लेकरहल्ला तो मच रहा है लेकिन देश के विकास मेंउद्योगों की बढ़ती भूमिका को नजरअंदाजनहीं किया जा सकता जिसके लिए जमीनकी जरूरत पड़ती है.खेती पर क्यों नहीं निर्भर हैं हम ?आजादी के बाद पिछले 67 सालों में अर्थव्यवस्था मेंबदलाव हुआ है. 30 करोड़की आबादी सवा अरब तक पहुंचचुकी है. खेती और जुड़े क्षेत्रों का योगदानजहां घटा है वहीं आजादी के वक्त जिसउद्योग और सर्विस सेक्टर का हिस्सा सिर्फ 20-20फीसदी था उसमें सर्विस सेक्टर अब 50फीसदी तक पहुंच गया है.स्टील सेक्टर में 32 हजार करोड़ के निवेश वाले 6प्रोजेक्ट रोके जा चुके हैं जिसमें से 3 प्रोजेक्ट भूमि अधिग्रहणकी समस्या से जुड़े हुए हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये हैकि मोदी सरकार जिस भूमि अधिग्रहण कानून को लानेजा रही है क्या उससे नौकरियां बढ़ेंगी?प्रधानमंत्री मोदी ने भी साफकर दिया है कि सरकार इस अध्यादेश पर पीछेनहीं आएगी. बिल बिल्कुल ठीकहै हालांकि सरकार ने ये भी साफ किया कि वो किसानसंगठनों से इस मुद्दे पर चर्चा को तैयार है .बीजेपी नेभी अपनी ओर से 8 नेताओंकी एक कमेटी बनाई है जो किसानों औरउससे जुडे संगठनों की शिकायत सुनेगी
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सुब्रमनियम स्वामी का खुलाशा

23 फरवरी 2015
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श्री सुब्रमनियन स्वामी जी नेखुलासा किया की वहसोनिया गांधी (विदेशी डायन)ही थी, जिसने ओबामा से ईसाईयों के भारत मेंअसुरक्षित होने की बातकही थी | और इस बात का समर्थनतत्कालीन विदेश सचिव सुजाता सिंह नेभी किया था | अमेरिकी राष्ट्रपति बराकओबामा की यात्रा के तत्काल बाद सुजाता सिंहको इसी कारण विदेश सचिव के पद

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न्यूटन से 1500 वर्ष पहले पता था आर्यभट्टको गुरुत्वाकर्षण के बारे में

23 फरवरी 2015
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न्यूटन से 1500 वर्ष पहले पता था आर्यभट्टको गुरुत्वाकर्षण के बारे में -- जी माधवननायर (इसरो प्रमुख)ये है सनातन संस्कृति की ताकत इसेपहचानो और पश्चिम भ्रामक प्रभाव सेनिकलो।भारत विश्वगुरु रहा है अपनी सनातनसंस्कृति को पहचानो और इससे फिर सेजुडो पुनः भारत को विश्वगुरु बनने से कोईनही रोक सकता।वेदों की और लो

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भारत चंद मिनटों में तोड सकता है पाकिस्तान का गुरूर

23 फरवरी 2015
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भारत चंद मिनटों में तोड सकता हैपाकिस्तान का गुरूरपाकिस्तान की थल सेना में महज 6 लाख 17हजार सैनिक :- जल, थल और नभतीनों रणक्षेत्रों में भारतीयसेना का पलड़ा भारी है। युद्धकी स्थिति में भारती की तीनों सेनाएंतबाही मचा सकती हैं। भारत के पासतीनों सेनाओं में सैनिकों की संख्या औरअतिआधुनिक हथियारों और साजो-सा

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सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कम्पनी BSNL के एकटेक्नोक्रेट से बात कर आज कुछ सच्चाइयों से वाकिफहुआ जो रोंगटे खड़े करने वाली हैं ।

24 फरवरी 2015
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वन्देमातरमसार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कम्पनी BSNL के एकटेक्नोक्रेट से बात कर आज कुछ सच्चाइयों से वाकिफहुआ जो रोंगटे खड़े करने वाली हैं । मैंआपकी जानकारी में लाना अपना फर्ज समझकरfacebook पर post कर रहा हूँ ।ये तो सभी जानते हैं कि विकिरण कैंसर का एक कारणहै और इससे अन्य कई बीमारियाँ भी पैदा होती हैं ।

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इन आठ दिनों में कोई भी शुभ काम करना अशुभ होगा

24 फरवरी 2015
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इन आठ दिनों में कोई भी शुभ काम करना अशुभ होगा=========================होली के महज एक हफ्ते ही बचे हैं।और इन एक हफ्तों में कोई भी शुभ कामनहीं होंगे। क्यूंकि होलाष्टक २६-०२-२०१५ से प्रारंभहो रहे है | इन 8 दिनों तक शुभ काम न करें।इसका ज्योतिषीय कारण अधिक वैज्ञानिक, तर्क सम्मततथा ग्राह्य है। ज्योतिष के

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मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर संसद सेसड़क तक हंगामा है।

25 फरवरी 2015
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मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर संसद सेसड़क तक हंगामा है। विपक्षी जहां इसे किसानविरोधी बता रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे किसानफ्रेंडली बताकर पेश कर रही है। जानिए बिल के पक्ष मेंबीजेपी की ओर से क्या-क्या तर्क दिए जा रहे हैं...1-जून 2014 में 32 राज्य सरकारों और केंद्र शासितप्रदेशों के प्रतिनिधियों

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देशभक्ति के ऐसे उदाहरण विरले ही मिलते है जब एकपत्नी ने अपनेपति को देशद्रोह के लिए मौत के घाट उतार करअपना सुहागउजाड़ा हो|

25 फरवरी 2015
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संवत 1368 (ई.सन 1311) मंगलवार बैसाख सुदी 5.को विका दहिया जालौर दुर्ग के गुप्त भेदअल्लाउद्दीनखिलजी को बताने के पारितोषिक स्वरूप मिली धनकी गठरी लेकरबड़ी ख़ुशी ख़ुशी लेकर घर लौट रहा था|शायद उसके हाथ में इतना धनपहली बार ही आया होगा| चलते चलते रास्ते में सोचरहा था कि इतना धन देखकर उसकी पत्नी हीरादे बहुतख

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हिंदू धर्म पर विश्वास करने के लिए 22 कारणविज्ञान पर आधारित है

25 फरवरी 2015
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हिंदू धर्म पर विश्वास करने के लिए 22 कारणविज्ञान पर आधारित हैवृक्षलोग सुबह में नीम और बरगद के पेड़ की पूजा करने केलिए सलाह दी जाती है. इन पेड़ों के पासहवा inhaling, स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.योगआप तनाव प्रबंधन के लिए तरीके देखने की कोशिश कररहे हैं, (inhaling और नाक में से एक का उपयोग धीरेधीरे हवा ex

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देश का विकास रुका हुआ है,क्या वो ज़मीनें सोना उगलरही है?????ये अध्यादेश कानून बनकर अमल में आता है तो क्या होगा??

27 फरवरी 2015
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देश का विकास रुका हुआ है,क्या वो ज़मीनें सोना उगलरही है?????ये अध्यादेश कानून बनकर अमल में आता है तो क्या होगा इसेसमझने के लिए जरा इन आंकड़ों पर नजर डालिए.Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE)की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 में अक्टूबर से दिसंबरके मुकाबले साल 2014 में अक्टूबर से दिसंबर के बीचफंस

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देश का विकास रुका हुआ है,क्या वो ज़मीनें सोना उगलरही है?????ये अध्यादेश कानून बनकर अमल में आता है तो क्या होगा??

27 फरवरी 2015
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देश का विकास रुका हुआ है,क्या वो ज़मीनें सोना उगलरही है?????ये अध्यादेश कानून बनकर अमल में आता है तो क्या होगा इसेसमझने के लिए जरा इन आंकड़ों पर नजर डालिए.Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE)की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 में अक्टूबर से दिसंबरके मुकाबले साल 2014 में अक्टूबर से दिसंबर के बीचफंस

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प्रधानमन्त्री श्री Narendra Modi जी ने आजलोकसभा में सभी की बोलती की बन्द

28 फरवरी 2015
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प्रधानमन्त्री श्री Narendra Modi जी ने आजलोकसभा में सभी की बोलती की बन्द, सभी शंकाओं केदिए जवाब, संसद को किया सम्बोधित,....जानिये प्रमुख-प्रमुख बातें....मनरेगा कांग्रेस की विफलताओं का जीता-जागता स्मारक, गाजे-बाजे के साथ स्मारक का ढोलपीटता रहूंगा-पता चलेगा कि इतने साल बाद भई गड्ढे खोदने परकिसने मजबूर

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सरस्वती नदी और उसकी सभ्यता

28 फरवरी 2015
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सरस्वती नदी और उसकी सभ्यताहमें उस विदेशी धारणा को दूरकरना होगा जो सभ्यता के पूरे कालखण्ड को महज10 हजार साल के अन्दर समेट देती है।जबकि आज वो खुद सभ्यता के काल को लाखों वर्षपूर्व मानते हैं।वैदिक साहित्य हजारों वर्षों से मानव मस्तिष्क परमानों रिकार्ड किया जाता रहा होऔर इसे भारतीय मनीषा का चमत्कारही कहा

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कम्पुटर के 85 % virus , Anti virus softwareवाली कंपनियाँ बनाती है ।

4 मार्च 2015
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कम्पुटर के virus कौन बनाता है ??कम्पुटर के 85 % virus , Anti virus softwareवाली कंपनियाँ बनाती है ।पहले virus बनाओ ! फिर anti virus बेचो !!अर्थात पहले swine flu का वैक्सीन बनाओ !फिर swine flu के वाइरस का डर बैठाओऔर फिर वैक्सीन बेचो !विदेशी कंपनियाँ और निजी हास्पिटल वालेसाधारण FLU को ही swine flu बता

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न्यूयॉर्क टाइम्स ने की बजट की तारीफ

4 मार्च 2015
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न्यूयॉर्क टाइम्स ने की बजट की तारीफ देश ही नहीं विदेशी मीडिया मेंभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के पहले पूर्ण आमबजट की जोरदार चर्चा रही है। कई अखबारों ने बजटकी एकसुर में तारीफ की है। अमेरिका, ब्रिटेन,पाकिस्तान और चीन समेत दुनिया भर के कईअखबारों ने इस पर अपनी सकारात्मकप्रतिक्रिया दी है।प्रसिद्ध अ

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ram mil gaye

5 मार्च 2015
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38 साल पहले खोजी गई थी "रामायणकी लंका"अशोक वाटिका, राम-रावण युद्ध भूमि, रावण की गुफा औरऐसे 35 रामायणकालीनस्थलों की जानकारी मिली थी -आलोक गोस्वामीश्रीलंका में रामायणकालीनस्थलों की खोज के संबंध में पिछले दिनों कुछ प्रमुखटेलीविजन चैनलों पर अनेक समाचार दिखाये गये थे। "मिलगये राम" और "लंका में रामायण" जैसे शीर्षकों सेजी टीवी,इंडिया टीवी, आईबीएन-7आदि अनेक चैनलों ने कैमरे के विभिन्न कोणों के जरिएश्रीलंका के पहाड़ों और विस्तृतमैदानों की तस्वीरें दिखाईं थीं औररिपोर्टरों ने बहुत गर्मजोशी से उस स्थानों पर खड़े होकरखबरें प्रसारित की थीं-"वो रही गुफा जहां, कहते हैं, रावण का शव रखा है","यही वो स्थान है जहां रावण अपने विमान खड़ेकिया करता था", "लगभग इसी बीचश्रीलंका सरकार की तरफ से उस देश केपूर्व क्रिकेट खिलाड़ियों अर्जुन राणातुंगा और अरविंद डि सिल्वा नेश्रीलंका के पर्यटन विभाग द्वारा तैयारकी गयी सीडी जारी करतेहुए श्रीलंका में रामायणकालीनस्थलों की सैर का आमंत्रण दिया था। येदोनों खिलाड़ी पर्यटन विभाग के एम्बेसेडर हैं।श्रीलंका सरकार को इस बातकी पूरी उम्मीद हैकि रामायणकालीन स्थलों की "खोज" केप्रति आकर्षित होकर बड़ी संख्या में पर्यटक, विशेषकरभारत के यात्री, वहां पहुँचेंगे और उसेभारी मुनाफा होगा। अभी तकमिली जानकारी के अनुसार,"श्रीलंकाज रामायण ट्रेल" नामक "स्प्रिच्युअल टूरिज्म"की इस योजना को लेकर श्रीलंका सरकार केपास काफी पत्र और ज्यादा जानकारी मांगनेके लिए पहुंच रहे हैं। पिछले दिनों भारत से एक संत 400 शिष्यों केसाथ इस "ट्रेल" के लिए पहुंचे। तीन सप्ताह में इस"ट्रेल" में 25 स्थान घुमाए जाते हैं।मगर क्या ये बात सच है कि टेलीविजन चैनलों नेअथवा श्रीलंका सरकार ने ‚ंचे पर्वत पर स्थित था। मगरसमय के साथ दो तिहाई लंका सागर में समा चुकी है।आज भी दक्षिण एशिया की ओर जाने वालेजहाज सागर में कुछ हिस्सों में जाने से बचते हैं,क्योंकि पानी के नीचे मौजूद पहाड़ केहिस्सों से टकराने का खतरा होता है। मैंने वह स्थानभी खोजा था जहां हनुमान जी नेअपनी पूंछ की आगबुझायी थी।" अपने विस्तृत अध्ययन के बादडा. विद्यासागर ने सर्चलाइट नामक अखबार मेंअपनी खोज का विवरण चार कड़ियों में प्रकाशित कराया था।बाद में उसपर अंग्रेजी में किताबभी लिखी- रामायणाज लंका। फिर उन्होंनेही इसका हिन्दी में रामायणकी लंका नाम से अनुवाद किया जिसेश्री बालेश्वर

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Holi ke din totke

5 मार्च 2015
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आज करें बड़ के पत्ते का ये एक उपाय, साल भरनहीं होगी पैसों की कमी=================================================आज होली है। तंत्र शास्त्र के अनुसारहोली के दिन कुछ खास उपाय करने सेमनचाहा काम हो जाता है। तंत्र क्रियाओंके लिए प्रमुख चार रात्रियों में से एक रात येभी है। चूंकि ये पर्व पूर्णिमा के दिनमनाया जाता है। इसलिए इस दिन हनुमानको प्रसन्न करने वाले टोटके विशेष रूप से किएजाते हैं। इस दिनहनुमानजी को चोला का भी विशेष महत्वहै। आज के दिन हनुमानजी को प्रसन्न करने केलिए किए गए टोटके से साधक परहनुमानजी की विशेष कृपा होती है।जानिए होली के कुछ खास टोटके-1. होली के दिन सुबह स्नान करने के बाद बड़के पेड़ का एक पत्ता तोडें और इसे साफ स्वच्छपानी से धो लें। अब इस पत्ते को कुछ देरहुनमानजी की प्रतिमा के सामने रखे औरइसके बाद इस पर केसर से श्रीराम लिखें। अबइस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। साल भरआपको पर्स पैसों से भरा रहेगा।अगली होली पर इस पत्ते को किसी नदी मेंप्रवाहित कर दें और इसी प्रकार से एक औरपत्ता अभिमंत्रित कर अपने पर्स में रख लें।2. होली के दिनहनुमानजी को चोला बढ़ाने का भी खासमहत्व है। इस दिन हनुमानजी को चोला इसप्रकार चढ़ाएं- हनुमानजी को चोला चढ़ानेसे पहले स्वयं स्नान कर शुद्ध हो जाएं और साफवस्त्र धारण करें। सिर्फ लाल रंगकी धोती पहने तो और भी अच्छा रहेगा।चोला चढ़ाने के लिए चमेली के तेलका उपयोग करें। साथ ही चोला चढ़ाते समयएक दीपक हनुमानजी के सामने जला कर रखदें। दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोगकरें।चोला चढ़ाने के बाद हनुमानजी को गुलाबके फूल की माला पहनाएं और केवड़े का इत्रहनुमानजी की मूर्ति के दोनों कंधों परथोड़ा-थोड़ा छिटक दें। अब एक साबूत पानका पत्ता लें और इसके ऊपर थोड़ा गुड़ वचना रख कर हनुमानजी को इसका भोगलगाएं। भोग लगाने के बाद उसी स्थान परथोड़ी देर बैठकर तुलसी की माला से नीचेलिखे मंत्र का जाप करें। कम से कम 5माला जप अवश्य करें।मंत्र – रामरामेति रमे रामे मनोरमे।सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।अब अनुमानजी को चढ़ाए गए गुलाब के फूलकी माला से एक फूल तोड़ कर उसे एक लालकपड़े में लपेटकर अपने धन स्थानयानी तिजोरी में रखें। आपको कभी धनकी कमी नहीं होगी।3. ऐसे बनाएं बड़ के पत्तों की माला:होली के दिन सुबह स्नान आदि करने के बादबड़ के पेड़ से 11 या 21 तोड़े लें। ध्यान रखेंकि ये

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ayurved or masahar

9 मार्च 2015
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वर्षों तक आयुर्वेद का विशेष रूप से चरक संहिता व सुश्रुतसंहिता का स्वाध्याय करने के बाद मैं इस निर्णय पर पहुंचा हूँकि आयुर्वेद के विशेषज्ञ महर्षि ना तो स्वयम मांस खाते थे औरना ही चिकित्सा के लिए पशुओ को मारते थे। यद्यपि आजजो चरक संहिता व सुश्रुत संहिता मिलती हैं वह उसमेमांस का स्पष्ट प्रयोग मिलता है परंतु वह बाद मे मिलाया गया है।एसी बहुत सी बाते हैं जो संशोधन के नामपर आयुर्वेद के ग्रन्थों मे मिला दी या पाठही बदल दिया। उसका सबसे बड़ा कारण वहटीकाकार थे जो आयुर्वेद को नहीं जानते थे।उदाहरण –चरक संहिता मे पक्षाघात (Paralysis) कि चिकित्सा मेशिरावस्ति का स्पष्ट वर्णन है। शिरा = VEIN अतः शिरावस्ति = IVInfusion (जैसे आजकल सुई से ग्लूकोज नस मेपहुंचाया जाता है।)अब टीकाकारों की करतूत देखे-11वीं शताब्दी के चरक केटीकाकार चक्रपाणि ने इस पर टीका करतेसमय शिरावस्ति का अर्थ किया – शिरावेध अर्थात शिरा से खूननिकालना...19 वीं शताब्दी के टीकाकारगंगाधर तो इससे भी आगे निकल गए। उन्होने इस पाठको ही बदल कर शिरोवस्ति कर दिया। शिरोवस्ति का अर्थहै सिर पर चमड़े कि टोपी पहना कर उसमे कुछ समयके लिए तेल भरना।इस तरह की धृष्टता सुधार के नाम पर लगातारहोती रही। इस तरह के अनेक उदाहरणदिए जा सकते है। कहीं शब्द बदलदिया कहीं श्लोक आगे पीछे कर दिएकहीं नए श्लोक बना कर मिला दिए।एक और उदाहरण – चरक संहिता मे जंगल मेजड़ी बूटी ढूँढने मे ग्वाले निषादआदि की सहायता लेने का विवरण है।दुष्टों ने वहाँ पर निषाद के स्थान पर शब्द बदल कर व्याध करदिया जब कि दोनों शब्द एक दूसरे से बिलकुल अलग हैं।व्याध—शिकारी/ कसाईनिषाद – वन रक्षकवाल्मीकि रामायण मे निषाद का जो विवरण आता है वहभी वन रक्षक के रूप मे आता है।वाल्मीकि रामायण मे वानप्रस्थी जटायुजी सीता जी के हार्न के बादश्रीराम जी व श्री लक्ष्मणजी को कहते है- जिसे तुम वन मेबूटी की तरह खोज रहे हो वहसीता रावण द्वारा हर ली गई है।इससे पता चलता है कि प्राचीन समय मे वनो मे सेजड़ी बूटी ढूंढ कर लानेकि परम्परा थी।अब बात करते हैं मांसाहार की –1- सुश्रुत संहिता सूत्र स्थान अध्याय 2 मे महर्षि अपने शिष्यको जनेऊ देते समय उपदेश देते है- ब्राह्मण, गुरु, दरिद्र, मित्र,सन्यासी, पास मे नम्रता पूर्वक आए, सज्जन, अनाथ,दूर से आए सज्जनों की चिकित्सा स्वजनों (अपने परिवारके सदस्य) की भांति अपनी औषधियों सेकरनी चाहिए। य

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dharti per bhagwan

9 मार्च 2015
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आइये आज धरती पर भगवान है..सिद्ध करकेदिखाता हूँ!1:-. "अमरनाथजी " में शिवलिंग अपने आप बनता है|2:-. "माँ ज्वालामुखी" मेंहमेशा ज्वाला निकलती है|3:-. "मैहर माता मंदिर" में रात को आल्हा अब भी आतेहैं|4:-. सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर में 3000 बम में सेएकका ना फूटना|5:-. इतने बड़े हादसे के बाद भी "केदारनाथ मंदिर"का बालना बांका होना|6:-. पूरी दुनियां मैं आज भी सिर्फ "रामसेतुके पत्थर" पानी में तैरतेहैं|7:-. "रामेश्वरम धाम" में सागर का कभी उफान न मारना|8:-. "पुरी के मंदिर" के ऊपर सेकिसी पक्षी या विमान का ननिकलना|9:-. "पुरी मंदिर" की पताका हमेशा हवा केविपरीत दिशा मेंउड़ना|10:-. उज्जैन में "भैरोंनाथ" का मदिरा पीना|11:-. गंगा और नर्मदा माँ (नदी) केपानी का कभी खराब न होना|12:-. उनाई (तापी) में 40° गर्म पानी 365दिन जमींन सेनिकलना जहा भगवान राम ने योगी के कुष्ठ रोगठीक करने के लिए गर्म पानी बाण मार करजमींन से निकाला था |13.. भीमगोडा (सिवाना, बाङमेर ) जहा पांडवश्री भीम ने वनवास के समयमाता कुंती को प्यास लगी तब पहाड़को गोडा (घुटना) मारकरपानी निकाला था जहाँ आज भी 365 दिनअमृत समान पानी निकलता हैं । भलेही कितना भी अकाल हो, और भयंकरअकाल के दिनों में भी यह पानी बंदनही होता है।14 चित्तोडगढ बाण माताजी मन्दिर मेआरती के वक्त त्रिशूल का अपने आपहिलना (कम्पन) करना भी एकजीता जागता चमत्कार है।

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kalyani or chankiy

10 मार्च 2015
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प्रत्येक भारतीय स्त्री को ये प्रसंगपढ़ना चाहिए ..चाणक्य कल्याणी से : "जिनमेंस्थितियों को बदलने का साहसनहीं होता, उन्हेंस्थितियों को सहना पड़ता है कल्याणी !कल्याणी : तो क्या आप की व्यवस्था मेंभी मेरी मुक्ति का कोई मार्ग नहीं है ?चाणक्य : यंत्रणाओं से हारकर तो हर कोईमर सकता है, पर यंत्रणाओं पर विजयपा बहुत कम मुक्त होते हैं कल्याणी !कल्याणी मर जाएगी, मुक्त हो जाएगी !पर उससे क्या होगा ? क्या तेरी मुक्ति मेंही तेरे प्रश्नों का समाधान है ? एककल्याणी यंत्रणाओं से मुक्तहो जाएगी तो दूसरी कल्याणी दुसरीयंत्रणाओं से ग्रस्त हो जाएगी !कल्याणी : आपने मेरे प्रश्न का उत्तरनहीं दिया आचार्य !चाणक्य : तो सुन कल्याणी ! इस समाजकी मुक्ति में ही तेरी मुक्ति है !कल्याणी : यानी मेरी मुक्ति का कोईमार्ग नहीं है ......चाणक्य : जिन्हें मार्गदिखाना होता है, आज वे ही मार्ग पूछरहे हैं ?कल्याणी : आचार्य ?चाणक्य : हाँ कल्याणी, तू स्त्री है,इसलिए तेरी ओर मैं और अधिक अपेक्षा सेदेखता हूँ.इस संसार को बदलने का सामर्थ्य स्त्री मेंहै !अपने सामर्थ्य को पहचान !अगर स्थितियाँ स्वीकार नहीं हैं, तो उन्हेंबदल !ये स्थितियाँ ही तो तेरे गर्भ और ज्ञानको चुनौती दे रही हैं !उन्हें स्वीकार कर !याद रख, उत्तर तेरे गर्भ में ही जन्म लेगा !कल्याणी : क्या वो सामर्थ्य मुझे प्राप्तहोगा ?चाणक्य : जिसके भीतर जितना सत्यहोगा, उसे उतना ही सामर्थ्य प्राप्तहोगा कल्याणी !इसलिए कहता हूँ, स्थितियों से भागनेका प्रयत्न मत कर !उनसे लड़ !यदि पुरानी मर्यादाएँ तेरे मार्ग मेंआती हैं, तो नवीन संरचना कर; जहाँ तूमुक्त हो !पुरानी मर्यादाएँ स्वयं तेरा मार्ग छोड़देंगी !उठ !निराश मत हो !अपने को योग्य बना !प्रयास कर !तक्षशिला का भविष्य तो तुझेही लिखना है !

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गाय हि सर्वोत्तम क्यों ?

10 मार्च 2015
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गाय हि सर्वोत्तम क्यों ?गौ और कृषि अन्योन्याश्रित है | इसलिएमहर्षि ने गोकृष्यादिरक्षिणी सभा नामरखा था | गाय का दूध, मूत्र,इत्यादि सर्वोत्तम क्यों है ? इसमेंनिम्नलिखित मुख्य विशेषताए है ---१. गाय का दूध पीला और भैंस का दूधसफ़ेद होता है | इसलिए इसके दूध केविशेषज्ञ कहते है कि गाय के दूध मे सोनेका अंश होता है जो कि स्वास्थ के लिएउत्तम है और रोगनाशक है |२. गाय का दूध बुद्धिवर्धक औरआरोग्यप्रद है |३. गाय का अपने बच्चे के साथ स्नेहहोता है जबकि भैंस का अपने बच्चे के साथऐसा नहीं होता |४. गाय के बछड़े को ५० गाय से अधिक मेभी छोड़ दिया जाय तो वहअपनी माँ को खोज निकलेंगा |जबकि भैंस के बच्चे मे यहउत्कृष्टता नहीं होती |५. गाय का दूध सर्वोत्तमतो होता हि है, साथ हि गाय का गोबरव मूत्र भी तुलना मे श्रेष्ट है | गायका गोबर स्वच्छ व कीटनाशक होता है |गाय कि खाद तीन वर्ष तक उपजाऊशक्ति बढाती रहती है किन्तु भैंसकि खाद १-२ वर्ष बाद हि बेकारहो जाति है | और गौ मूत्र का स्प्रे करकेकिडो के नाश मे भी उपयोगलिया जाता है |६. गौ मूत्र उत्तम औषिधि है | आयुर्वेद केग्रंथो मे पचास से भी अधिक रोगों मेइसका उपयोग मिलता है |७. कृषि के कार्यों के लिए गाय के बछड़ेसर्वोत्तम है | भारतवर्ष मे आज केमशीनी युग मे भी ५ % खेती बैलो सेहोती है |८. गाय ए सहनशील पशु है | वह कड़ी धुप वसर्दी को भी सहन कर लेता है | इसीलिएगाय जंगलो मे घूमकर प्रसन्न रहती है |९. गाय के दूध मे सूरज कि किरणों सेभी निरोगता बढती है | इसीलिए वहअधिक स्वास्थप्रद है |१०.गाय कि अपेक्षा भैंस के बच्चे/भैंसा धुपमे कार्य करने मे सक्षम नहीं होते |११. गाय कि अपेक्षा भैंस के घी मे कणअधिक होते है | जो कि सुपाच्यनहीं होता |१२. गाय का घी सूक्ष्मतम नाडियो मेप्रवेश करके शक्ति देता है | मष्तिष्क व हृदयकि सूक्ष्मतम नाडियो मे पहोच कर गोघृतशक्ति प्रधान करता है | आयुर्वेद मे गोघृतका हि शारीरिक शोधन मे प्रयोगहोता है |१३. विज्ञानवेताओ के अनुसार भैंसका दूध मे लांग चेन फैट कि मात्रा आधिकहोती है, जो कि नाडियो मे जमजाति है | और हृदय के रोग पैदा हो जातेहै | परन्तु ह्रदय के रोगियों के लिएभी गाय का दूध विशेष उपयोगी होता है |१४. गाय का दूध वाट नाशक, पित्तशामकऔर कफनाशक भी है |१५. गाय का दही मधुर, रुचिकारक,अग्निप्रदीपक, हृघ, प्रिय और पोषकहोता है |१६. गाय का मक्खन हितकारक, रंग साफ़करनेवाला,

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क्या वेदों में पशुबलि, माँसाहारआदि का विधान है?

10 मार्च 2015
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क्या वेदों में पशुबलि, माँसाहारआदि का विधान है?डॉ विवेक आर्यवेदों के विषय में सबसे अधिक प्रचलित अगरकोई शंका है तो वह हैं वह हैंकि क्या वेदों में पशुबलि, माँसाहारआदि का विधान है?इस भ्रान्ति के होने के मुख्य-मुख्य कुछकारण है। सर्वप्रथम तो पाश्चात्यविद्वानों जैसे मैक्समुलर[i], ग्रिफ्फिथ[ii]आदि द्वारा यज्ञों में पशुबलि,माँसाहार आदि का विधान मानना,द्वितीय मध्य काल के आचार्यों जैसेसायण[iii], महीधर[iv] आदि का यज्ञों मेंपशुबलि का समर्थन करना,तीसरा ईसाईयों,मुसलमानों आदि द्वारा माँस भक्षण केसमर्थन में वेदों कि साक्षी देना[v],चौथा साम्यवादी अथवा नास्तिकविचारधारा[vi] केसमर्थकों द्वारा सुनी-सुनाईबातों को बिना जाँचें बार बार रटना।किसी भी सिद्धांतअथवा किसी भी तथ्य को आँख बंद करमान लेना बुद्धिमान लोगों का लक्षणनहीं है। हम वेदों के सिद्धांतकि परीक्षा वेदों कि साक्षी द्वाराकरेगे जिससेहमारी भ्रान्ति का निराकरण हो सके।शंका 1 क्या वेदों में मांस भक्षणका विधान हैं?उत्तर:- वेदों में मांस भक्षण का स्पष्टनिषेध किया गया हैं। अनेक वेद मन्त्रों मेंस्पष्ट रूप सेकिसी भी प्राणि को मारकर खानेका स्पष्ट निषेध किया गया हैं। जैसेहे मनुष्यों ! जो गौ आदि पशु हैं वेकभी भी हिंसा करने योग्य नहीं हैं -यजुर्वेद १।१जो लोग परमात्मा केसहचरी प्राणी मात्रको अपनी आत्मा का तुल्य जानते हैंअर्थात जैसे अपना हित चाहते हैं वैसेही अन्यों में भी व्रतते हैं-यजुर्वेद ४०। ७हे दांतों तुम चावल खाओ, जौ खाओ, उड़दखाओ और तिल खाओ। तुम्हारे लिएयही रमणीय भोज्य पदार्थों का भाग हैं। तुम किसी भी नर औरमादा की कभी हिंसा मत करो।-अथर्ववेद ६।१४०।२वह लोग जो नर और मादा, भ्रूण औरअंड़ों के नाश से उपलब्ध हुए मांसको कच्चा या पकाकर खातें हैं, हमेंउनका विरोध करना चाहिए- अथर्ववेद ८।६।२३निर्दोषों को मारना निश्चितही महापाप है, हमारे गाय, घोड़े औरपुरुषों को मत मार। -अथर्ववेद १०।१।२९इन मन्त्रों में स्पष्ट रूप से यह सन्देशदिया गया हैं कि वेदों के अनुसार मांसभक्षण निषेध हैं।शंका २ क्या वेदों के अनुसार यज्ञों में पशुबलि का विधान है?यज्ञ कि महता का गुणगान करते हुए वेदकहते है कि सत्यनिष्ठ विद्वान लोगयज्ञों द्वारा ही पूजनीय परमेश्वरकी पूजा करते है।[vii]यज्ञों में सब श्रेष्ठ धर्मों का समावेशहोता है। यज्ञ शब्द जिस यज् धातु सेबनता है उसके देवपूजा, संगतिकरण और दान

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ए सबसेउपयोगी भाषा अर्थात संस्कृत में बा

11 मार्च 2015
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जिस भाषा को आप गये बीते जमानेकी मानते हैं उस संस्कृत को सीखने में लगे हैंअनेक विकसित देश . आओ देखें क्यों :संस्कृत के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य1. कंप्यूटर में इस्तेमाल के लिए सबसेअच्छी भाषा। संदर्भ: – फोर्ब्सपत्रिका 1987.2. सबसे अच्छे प्रकार का कैलेंडरजो इस्तेमाल किया जा रहा है, भारतीयविक्रम संवत कैलेंडर है (जिसमें नया सालसौर प्रणाली के भूवैज्ञानिक परिवर्तनके साथ शुरू होता है) संदर्भ: जर्मन स्टेटयूनिवर्सिटी.3. दवा के लिए सबसेउपयोगी भाषा अर्थात संस्कृत में बातकरने से व्यक्ति… स्वस्थ और बीपी,मधुमैह , कोलेस्ट्रॉल आदि जैसे रोग सेमुक्त हो जाएगा। संस्कृत में बात करने सेमानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रियरहता है जिससे कि व्यक्ति का शरीरसकारात्मक आवेश(Positive Charges) केसाथ सक्रिय हो जाता है।संदर्भ:अमेरीकन हिन्दू यूनिवर्सिटी (शोध केबाद).4. संस्कृत वह भाषा हैजो अपनी पुस्तकों वेद, उपनिषदों, श्रुति,स्मृति, पुराणों, महाभारत, रामायणआदि में सबसे उन्नतप्रौद्योगिकी (Technology) रखती है।संदर्भ: रशियन स्टेट यूनिवर्सिटी.5.नासा के पास 60,000 ताड़ के पत्तेकी पांडुलिपियों है जो वे अध्ययनका उपयोग कर रहे हैं. असत्यापित रिपोर्टका कहना है कि रूसी, जर्मन, जापानी,अमेरिकी सक्रिय रूप से हमारी पवित्रपुस्तकों से नई चीजों पर शोध कर रहे हैं औरउन्हें वापस दुनिया के सामने अपने नाम सेरख रहे हैं.6.दुनिया के 17 देशों में एक या अधिकसंस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत के बारे मेंअध्ययन और नई प्रौद्योगिकी प्राप्तकरने के लिए है, लेकिन संस्कृत को समर्पितउसके वास्तविक अध्ययन के लिए एकभी संस्कृत विश्वविद्यालयइंडिया (भारत) में नहीं है।7. दुनिया की सभी भाषाओंकी माँ संस्कृत है। सभी भाषाएँ (97%)प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस भाषा सेप्रभावित है। संदर्भ: – यूएनओ8. नासा वैज्ञानिक द्वारा एक रिपोर्टहै कि अमेरिका 6 और 7 वीं पीढ़ी के सुपरकंप्यूटर संस्कृत भाषा पर आधारितबना रहा है जिससे सुपर कंप्यूटरअपनी अधिकतम सीमा तक उपयोगकिया जा सके। परियोजना की समयसीमा 2025 (6 पीढ़ी के लिए) और 2034(7 वीं पीढ़ी के लिए) है, इसके बाददुनिया भर में संस्कृत सीखने के लिए एकभाषा क्रांति होगी।9. दुनिया में अनुवाद के उद्देश्य के लिएउपलब्ध सबसे अच्छी भाषा संस्कृत है।संदर्भ: फोर्ब्स पत्रिका 1985.10. संस्कृत भाषा वर्तमान में “उन्नतकिर्लियन फोटोग्राफी” तकनीक

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औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर!!

12 मार्च 2015
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# छत्रपति #सम्भाजी महाराजशिवाजी महाराज के बेटे औरउत्तराधिकारी थे ।इन्होने अपने छोटे सेजीवनकाल में 120 युद्ध लड़े और एकभी नहीं हारे ।अपने शौर्य और पराक्रम केलिए बहुत प्रसिद्द थे ।औरंगजेब ने कसम खाईथी कि जब तक शम्भा जी को पकड़नहीं लेते वो सर पर ताज नहीं रखेंगे ।एकबार शम्भा जी बहुत कम सैनिकों के साथ संगमनेर सेरायगढ़ जा रहे थे ।किसी धोखेबाज ने ये सूचना मुग़लसम्राट को दे दी ।1 फरवरी 1689 को अपनेमित्र कविकलाश के साथ बंदी बना लिए गए ।औरंगजेबनेजान बख्श देने के बदले इस्लाम कबूल कर लेने की शर्तरखी ।दोनों को मुसलमान बनाने के लिए औरंगजेब ने कईकोशिशेंकी। किन्तु धर्मवीरछत्रपति संभाजी महाराज और कवि कलशने धर्मपरिवर्तन से इनकार कर दिया। औरंगजेब नेदोनों की जुबानकटवा दी, आँखें निकाल दी किन्तु शेरछत्रपति शिवाजी महाराज के इस सुपुत्र ने अंत तकधर्म का साथ नहीं छोड़ा। 11 मार्च 1689 हिन्दूनववर्ष दिन को दोनों के शरीर के टुकडे कर के औरंगजेबने हत्या कर दी। किन्तु ऐसा कहते हैकी हत्या पूर्व औरंगजेब नेछत्रपति संभाजी महाराज से कहा के मेरे 4 पुत्रों में सेएक भी तुम्हारे जैसा होता तो सारा हिन्दुस्थान कबका मुग़ल सल्तनत में समाया होता। जबछत्रपति संभाजी महाराज के टुकडे तुलापुरकी नदी में फेंकें गए तो उस किनारे रहने वालेलोगों ने वो इकठ्ठा कर के सिला के जोड़ दिए (इनलोगों को आज " शिवले" इस नाम से जाना जाता है) जिस के उपरांतउनका विधिपूर्वकअंत्यसंस्कार किया। ऐसे महान वीर हिन्दू धर्म रक्षकको कोटि कोटि नमन !

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सन् 1757 की पलासी की लड़ाई– क्या हम जाहिल थ

12 मार्च 2015
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जैसा कि आप सब जानते हैं कि अंग्रेजों को भारत में व्यापार करनेका अधिकार जहाँगीर ने 1618 में दिया था और 1618 सेलेकर 1750 तक भारत के अधिकांश रजवाड़ों को अंग्रेजों ने छल सेकब्जे में ले लिया था | बंगाल उनसे उस समय तक अछूता था | औरउस समय बंगाल का नवाब था सिराजुदौला | बहुतही अच्छा शासक था, बहुत संस्कारवान था | मतलबअच्छे शासक के सभी गुण उसमे मौजूद थे |अंग्रेजों का जो फ़ॉर्मूला था उस आधार पर वो उसके पासभी गए व्यापार की अनुमति मांगने के लिएगए लेकिन सिराजुदौला ने कभी भी उनको येइज़ाज़त नहीं दी क्यों कि उसके नाना नेउसको ये बताया था कि सब पर भरोसा करना लेकिन गोरों परकभी नहीं और ये बातें उसके दिमाग मेंहमेशा रहीं इसलिए उसने अंग्रेजों को बंगाल में व्यापारकी इज़ाज़तकभी नहीं दी | इसके लिएअंग्रेजों ने कई बार बंगाल पर हमला किया लेकिन हमेशा हारे | मैंयहाँ स्पष्ट कर दूँ कि अंग्रेजों नेकभी भी युद्ध करके भारत मेंकिसी राज्य को नहीं जीता था,वो हमेशा छल और साजिस से ये काम करते थे | उस समय का बंगालजो था वो बहुत बड़ा राज्य था उसमे शामिल था आज का प. बंगाल,बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, बंग्लादेश, पूर्वोत्तर केसातों राज्य और म्यांमार (बर्मा) | हम जो इतिहास पढ़ते हैं उसमेबताया जाता है कि पलासी के युद्ध में अंग्रेजों औरसिराजुदौला के बीच भयंकर लड़ाई हुई और अंग्रेजों नेसिराजुदौला को हराया | लेकिन सच्चाई कुछ और है, मन में हमेशा येसवाल रहा कि आखिर सिराजुदौला जैसा शासक हार कैसे गया ? और येभी सवाल मन में था कि आखिर अंग्रेजों के पास कितनेसिपाही थे ? और सिराजुदौला के पास कितनेसिपाही थे ? भारत में पलासी के युद्ध केऊपर जितनी भी किताबें हैं उनमे सेकिसी में भी इस संख्या के बारे मेंजानकारी नहीं है | इस युद्धकी सारी जानकारी उपलब्ध हैलन्दन के इंडिया हाउस लाइब्ररी में | बहुतबड़ी लाइब्ररी है और वहां भारतकी गुलामी के समय के 20 हज़ार दस्तावेजउपलब्ध है | वहां उपलब्ध दस्तावेज के हिसाब से अंग्रेजों के पासपलासी के युद्ध के समय मात्र 300 -350सिपाही थे और सिराजुदौला के पास 18 हजारसिपाही | किसी भी साधारणआदमी से आप ये प्रश्न कीजियेगा कि एकतरफ 300 -350 सिपाही और दूसरी तरफ18 हजार सिपाही तो युद्ध कौन जीतेगा ?तो जवाब मिलेगा की 18 हजार वाला लेकिनपलासी के युद्ध में 300 -350 सिपाही वालेअंग्रेज जीत गए और 18 हजारसिपाही वाला सिराजुदौला हार गय

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कश्यप मुनि की पहाड़ी अर्थातकश्यपमीर यानी कश्मीर

13 मार्च 2015
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कश्यप मुनि की पहाड़ी अर्थातकश्यपमीर यानी कश्मीर हिन्दूराजा सुहादेव (१३०१-१३२२) के समय तक ज्ञान,विज्ञान,कला,संस्कृति,दर्शन,धर्म एवं आध्यात्म का केन्द्रबनी रही। अलबरूनी ने लिखा हैकि किसी भी संदिग्धव्यक्ति को कश्मीर में तब तक प्रवेशनहीं करने दिया जाता था, जब तककी उसका परिचय वहाँ के किसी सामंत सेनहीं होता था।लेकिन सन १३१३ में ईरान से आये शाहमीर नामक एकमुसलमान को सुहादेव ने उदारतापूर्वक अपने दरबार में शरणदी और उसे अंदरकोट का भार सौंप दिया। इस काल मेंकश्मीर शैवमत का केन्द्र माना जाता था।लेकिन �सन १३२२ में मंगोल सरदार दलूचा ने ६०००० सैनिकों केसाथ कश्मीर पर भयंकर आक्रमण कर दिया ।दलूचा ने पुरुषों के क़त्लेआम का हुक़्म जारी करदिया जबकि स्त्रियों और बच्चों को ग़ुलाम बनाकर मध्य एशिया केव्यापारियों को बेच दिया। शहर और गाँव नष्ट करके जला दिए गए औरभारी तबाही मचाई। शांतिप्रिय राजा सुहादेवइसके विरुद्ध कुछ न कर सका और किश्तवाड़ भाग गया।उस समय लद्दाख के बौद्ध राजकुमार रिनचन ने लुटे-पिटेकश्मीर को संभाला। लेकिन उसकी मृत्यु केपश्चात अनेक षडयंत्र रच कर शाहमीर ने शासनकरती उसकी विधवा बहूकोटारानी को उसके अल्पायु बच्चों के साथ कैद करगद्दी हथिया ली और सुल्तानशम्सुद्दीन के नाम से १३३१ ई. में सिंहासन परजा बैठा।सिंहासन पर बैठते ही वो असली रूप में आगया और उसने कश्मीर में सुन्नी मुस्लिमसिद्धांतों का प्रचार प्रारंभ कर दिया।हालांकि कश्मीर की अंतिम हिन्दू शासककोटारानी के समय मेंही कश्मीर में अरब देशों के मुस्लिमव्यापारियों, इस्लामी धर्मगुरूओं और विशेषकरसैय्यदों का आगमन शुरू हो चुका था एवं हिन्दूराज्यकी धर्मनिरपेक्ष नीतियों के कारणवो बड़ी संख्या में वहाँ बस भी चुके थे परंतुशाहमीर के समय में हमदान (तुर्कीस्तान-फारस) से मुस्लिम सईदों की बाढ़ कश्मीर मेंपहुंचने लगी।मौके का फायदा उठाकर सईदअली हमदानी और सईद शाहेहमदानी, इन दो मजहबी नेताओं के साथहजारों इस्लामिक मत प्रसारक सईदभी कश्मीर में घुस आये (1372)। इन्होंनेऔर सैय्यदों को बुलाया। इन लोगों ने धीरे-धीरेसुल्तानों पर प्रभाव जमा लिया और मुस्लिमशासकों की मदद से कश्मीर के गांव-गांव मेंमस्जिदें, खानकाहें, दरगाहें, मदरसे और इसी प्रकार केइस्लामिक केन्द्र खोले। ऊपर से दिखने वाले इन मानवीयप्रयासों के पीछे ही वास्तव मेंकश्मीरी हिन्दुओं के जबरन धर्मान्तरणकी नापाक दास्ता

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String of Pearls .... चीन औरभारत :

15 मार्च 2015
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String of Pearls .... चीन औरभारत :::**********************************************समाचारों में कई बार सुना कि 28 साल बादकोई भारत का प्रधान मंत्री श्री लंका गया, नेपाल मेंकोई भारत का प्रधान मंत्री 17 साल बाद गया,ऑस्ट्रेलिया 28 साल बाद, Seychelles 34 साल बाद,Fiji 33 वर्ष, म्यांमार 25 वर्ष …… इसके नुक्सानक्या हुवे इसके बारे में तथ्य जुटाने के बादपता चला कि जब दिल्ली के लुटियन जोन वालेघोटाले, आरक्षण, लूट-खसोट, जीरो लॉस, दलाली,तुष्टिकरण में व्यस्त थे तब चीन अलग ही काम में व्यस्तथा - वो था String of Pearls (Indian Ocean)Strategy. इसके तहत चीन ने अपने तट से सूडान तक एकऐसी रेखा बना डाली जिससे भारत समुद्र में फंसनेकी तरफ बढ़ चला। मंडेब, मलक्का, होमरूज़ औरलोम्बोक की खाड़ी से होते हुवे श्री लंका,पाकिस्तान, बांग्लादेश,मालदीव्स औरसोमालिया तक ऐसा सामरिक और व्यापारिकरेखा खड़ी कर दिया जिससे भारत को बड़ी चोटदी जा सके। दक्षिणी चीन सागर के हैनान, वुडी औरपरासल द्वीप में अपने मजबूत बेस बाए। दक्षिणी चीनसागर में कब्ज़ा बनाने के बाद ड्रैगन हिन्द महासागरकी तरफ बढ़ा। बांग्ला देश के चित्तगोंग में एकबड़ा नवल यार्ड बनाने के बाद श्री लंका केहम्बनबोटा में 20 अरब डॉलर का कमर्शियल शिपिंगसेंटर बनाया। उसके बाद पाकिस्तान के ग्वादरबंदरगाह को बनाया जिसपे कहने मात्रको पाकिस्तान का कब्ज़ा है लेकिन इस पोर्टका असलसामरिक और व्यापारिक अधिपत्य चीन केपास है। मालदीवस के मराओ एटोल इलाके में युद्धकक्षमता विकसित किया है। 20 अरब डॉलर के सूडानऔर 10 अरब डॉलर की लागत से तंज़ानिया केबंदरगाहों पे anti - piracy के बहाने से अपनी मज़बूतस्थिति बनाई।इस सब के बीच भारत के क्या किया,2007 में भारतीय नव सेना ने एक “Indian MaritimeDoctrine”भारत सरकार को प्रस्तुत किया जिसकेअनुसार भारत को मलक्का और हेरमूज़ की खाड़ी मेंअपनी उपस्थिति बनानी ही पड़ेगी। चीन केमालदीवस में एयर बेस के जवाब में मारीशियस,मेडागास्कर, मोज़ाम्बीक चैनल में उपस्थिति केसाथसित्तवे, म्यांमार में deep water port आदि की जरूरतपे बल दिया। तत्कालीन सरकार ने कुछ कदम उठाए जैसेसित्तवे, म्यांमार में deep water port बनाना 2010 मेंचालू किया, 2011मारीशियस में एक भारतीयटोही विमान पत्तन और रडार स्टेशन लगाने के लिएवहां की सरकार से बात शुरू किया। बड़ी सफलता तबमिली जब अरब सागर में सोमालिया समुद्री लु

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धर्मनिरपेक्षता

15 मार्च 2015
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धर्मनिरपेक्षता शब्द के जनक जॉर्ज जेकब हेलीयाक(१८१७-१९०६) का जन्म ससेक्स, इंग्लैंड में हुआ था। वेमूलतः एक व्याख्याता संपादक थे। तब यूरोपका इसाई समाज रूढ़िवादी और दकियानूसी सोचसे बुरी तरह ग्रस्त था।सन १८४२ में जेकब हेलीयाक को ईशनिंदा के आरोप में६ महीने के लिए जेल भेज दिया गया। हेलियाकवेल्स के समाजवाद के संस्थापक सदस्यों में से एकराबर्ट ओवेन (१७७१-१८५८) की विचारधारा से बहुतप्रभावित थे।राबर्ट ओवेन के विचार से-"सभी धर्म एक ही हास्यास्पद कल्पना पर आधारितहैं जो मनुष्य को एक कमजोर, मूर्ख पशु, उग्रता से पूर्णधर्मांध, एक कट्टरवादी और पाखंडी बनाती है।"लेकिन अपने इस धर्म विरोधी सिद्धांत के उलट कुछवर्षों बाद ही ओवेन ने आश्चर्यजनक रूप से हिन्दू योगऔर आध्यात्म की राह पकड़ ली।जेकब हेलीयाक ने अपने गुरू के धर्मनिरपेक्ष विचारको आगे बढ़ाने की ठानी और हवालात से बाहरआकर इसने द मूवमेंट और द रिजनर नामक पत्रनिकालना शुरू किया। इन पत्रों के मूल में था धर्मविरोध ।हेलियाक ने इस पत्र के माध्यम से एक नईव्यवस्था का आह्वान किया जो धर्म को खारिजकरके विज्ञान और तर्कों पर आधारित हो। इसव्यवस्था का नामकरण उसने सेकुलरिज्म किया।जिसे हम भारतीय "धर्मनिरपेक्षता" कहते हैं।इसकी कुछ परिभाषाएं हैं-१. वो जीवन पद्धति जिनका आधार आध्यात्मिकअथवा धार्मिक न हो।२. धार्मिक व्यवस्था से पूर्णतया मुक्त जीवन शैली।३. वो राजनैतिक व्यवस्था जिसमें सभी धर्मो केलोग सामान अधिकार के पात्र हो एवं प्रशासन एवंन्याय व्यवस्था निर्माण में धार्मिकरीती रिवाजों का हस्तक्षेप नहो।४. ऐसी व्यवस्था जो किसी धर्म विशेष परआधारित न हो और प्रशासनिकनीतियों का नियमन किसी धर्म विशेषको ध्यान में रख कर न किया जाए।इस शब्द के इतिहास और परिभाषा से यह बिल्कुलस्पष्ट हो जाता है की इस शब्द का जन्मही धर्मविरोध के लिए हुआ था।अब हम आते हैं अपने भारतीय परिवेश में-इस शब्द की उत्पत्ति ईसाई धर्म केदकियानूसी परम्पराओं के विरोध मे हुई थी। येमेरी समझ के बाहर है की विश्व कल्याण,सर्वधर्मसमभाव प्रत्येक मनुष्यको समानता का अधिकार और पेड़-पौधों तथा कीड़े-मकोड़ों से भी प्रेमकी शिक्षा देने वाले हिन्दू धर्म के देश भारत में येकैसे और क्यों लागू किया गया..!!!इस परिकल्पना को मूर्त रूप देते समय क्या हमारेसंविधान निर्माताओं ने ये नहीं सोचा की, भारतऐसा देश है जहाँ हर १० किलोमीटर परपानी क

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गौहत्या पर प्रतिबन्ध के विरोध में दिए जा रहेकुतर्कों की समीक्षा

16 मार्च 2015
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गौहत्या पर प्रतिबन्ध के विरोध में दिए जा रहेकुतर्कों की समीक्षाहरियाणा सरकारद्वारा गौ हत्या पर पाबन्दी लगाने एवं कठोरसजा देने पर मानो सेक्युलर जमात की नींद ही उड़ गईहै। एक से बढ़कर एक कुतर्क गौ हत्या के समर्थन मेंकुतर्की दे रहे है। इनके कुतर्कों की समीक्षा करने में मुझेबड़ा मजा आया। आप भी पढ़े।कुतर्क नं 1.गौ हत्या पर पाबन्दी से महाराष्ट्र के 1.5 लाखव्यक्ति बेरोजगार हो जायेगे जो मांस व्यापर से जुड़ेहैसमीक्षा- गौ पालन भी अच्छा व्यवसाय हैं। इससेनकेवल गौ का रक्षण होगा अपितु पीने के लिएजनता को लाभकारी दूध भी मिलेगा। येव्यक्ति गौ पालन को अपना व्यवसाय बना सकते हैं।इससे न केवल धार्मिक सौहार्द बढ़ेगा अपितुसभी का कल्याण होगा।कुतर्क नं 2. गौ मांसगरीबों का प्रोटीन हैं। प्रतिबन्ध से उनके स्वास्थ्य परदुष्प्रभाव होगा।समीक्षा- एक किलो गौ मांस 150से 200 रुपये में मिलता हैं जबकि इतने रुपये में 2किलो दाल मिलती हैं। एक किलो गौमांस से केवल 4व्यक्ति एक समय का भोजन कर सकते हैं जबकि 2किलो दाल में कम से कम 16-20 आदमी एक साथभोजन कर सकते हैं। मांस से मिलने वाले प्रोटीन से पेटके कैंसर से लेकर अनेक बीमारियां होने काखतरा हैंजबकि शाकाहारी भोजन प्राकृतिक होनेके कारणस्वास्थ्य के अनुकूल हैं।कुतर्क नं 3. गौ मांस परप्रतिबन्ध अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हैं क्यूंकि यहउनके भोजन का प्रमुख भाग है।समीक्षा- मनुष्यस्वाभाव से मांसाहारी नहीं अपितु शाकाहारी हैं।वह मांस से अधिक गौ का दूध ग्रहण करता है। इसलिएयह कहना की गौ का मांस भोजन का प्रमुख भाग हैंएक कुतर्क है। एक गौ अपने जीवन में दूधद्वारा हज़ारों मनुष्यों की सेवा करती हैंजबकि मनुष्य इतना बड़ा कृतघ्नी हैं की उसे सम्मान देनेके स्थानपर कसाइयों से कटवा डालता है।कुतर्क नं 4.अगर गौ मांस पर प्रतिबन्ध लगाया गया तो बूढ़ी एवंदूध न देनी वाली गौ जमीन पर उगनेवाली सारी घास को खा जाएगी जिससेलोगों को घास भी नसीब न होगी।समीक्षा-गौ घास खाने के साथ साथ गोबर के रूप में प्राकृतिकखाद भी देती हैं जिससे जमीन कीन केवलउर्वरा शक्ति बढ़ती हैं अपितु प्राकृतिक होने केकारण उसका कोई दुष्परिणामनहीं है। प्राकृतिकगोबर की खाद डालने से न केवल धन बचता हैं अपितुउससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती हैं। साथ मेंऐसी फसलों में कीड़ा भी कम लगता हैं जिनमेंप्राकृतिक खाद काप्रयोग होता है। इस कारण सेमहंगे कीटनाशकों की भी

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भारतीय नववर्ष का ऐतिहासिक महत्व :

21 मार्च 2015
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आप सभी मित्रों, शुभचिंतकों और सहयोगियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...!!! परम पिता परमेश्वर आप लोगों पर सदैव कृपा बनायें रखें...!!! . भारतीय नववर्ष का ऐतिहासिक महत्व : 1. यह दिन सृष्टि रचना का पहला दिन है। इस दिन से एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 109 वर्ष पूर्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने जगत की रचना प्रारंभ की। . 2. विक्रमी संवत का पहला दिन: उसी राजा के नाम पर संवत् प्रारंभ होता था जिसके राज्य में न कोई चोर हो, न अपराधी हो, और न ही कोईभिखारी हो। साथ ही राजा चक्रवर्ती सम्राट भी हो। सम्राट विक्रमादित्य ने 2067 वर्ष पहले इसी दिन राज्य स्थापित किया था। . 3. प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक दिवस : प्रभु राम ने भी इसी दिन को लंका विजय के बाद अयोध्या में राज्याभिषेक के लिये चुना। . 4. नवरात्र स्थापना : शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात्, नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन। . 5. गुरू अंगददेव प्रगटोत्सव: सिख परंपरा के द्वितीय गुरू का जन्म दिवस। . 6. समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को आर्य समाज स्थापना दिवस के रूप में चुना। . 7. संत झूलेलाल जन्म दिवस : सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए..!!! . 8. शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस : विक्रमादित्य की भांति शालिनवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। . 9. युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन : 5112 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ। . भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व : . 1. वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है। . 2. फसल पकने का प्रारंभ यानिकिसान की मेहनत का फल मिलनेका भी यही समय होता है। . 3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता ह

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धनुषकोडी – एक ध्वस्त और उपेक्षित तीर्थस्थल !

21 मार्च 2015
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धनुषकोडी – एक ध्वस्त और उपेक्षित तीर्थस्थल ! धनुषकोडी, भारतके दक्षिण-पूर्वी शेष अग्रभागपर स्थित हिन्दुआेंका यह एक पवित्र तीर्थस्थल है ! यह स्थान पवित्र रामसेतुका उगमस्थान है । ५० वर्षोंसे हिन्दुआेंके इस पवित्र तीर्थस्थलकी अवस्था एक ध्वस्त नगरकी भान्ति हुई है । २२ दिसम्बर १९६४ मेें इस नगरको एक चक्रवातने ध्वस्त किया । तदुपरान्त गत ५० वर्षोंमें इस तीर्थस्थलका पुनरूत्थान करनेकी बात तो दूर, अपितु शासनद्वारा इस नगरको ‘भूतोंका नगर’ घोषित कर उसकी अवमानना की गई । इस घटनाको आज ५० वर्ष पूर्ण हो गए हैं । इस निमित्त बंगाल, आसाम, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यके हिन्दुत्ववादी संगठनोंके नेताआेंके अभ्यासगुटने धनुषकोडीको भेंट दी । इस अभ्यासगुटमें हिन्दू जनजागृति समितिके प्रतिनिधि भी सम्मिलीत हुए थे । इस भेंटमें धनुषकोडीका उजागर हुआ भीषण वास्तव इस लेखमें प्रस्तुत किया है । मीठे पानीका गढ्ढा धनुषकोडीका मीठा पानी, एक प्राकृतिक आश्चर्य ! धनुषकोडीके दक्षिणका हिन्दी महासागर गाढा नीला दिखता है, तो उत्तरका बंगालका उपसागर मैले काले रंगका दिखता है । इन दोनों सागरोंमें १ कि.मी की भी दूरी नहीं है । दोनों सागरोंका पानी नमकीन है । ऐसा होते हुए भी धनुषकोडीमें ३ फूटका गढ्ढा खोदनेपर उसमें मीठा पानी आता है । क्या यह प्रकृतिद्वारा निर्मित चमत्कार नहीं है ? धनुषकोडीका भूगोल तमलिनाडु राज्यके पूर्वी तटपर रामेश्वरम नामक तीर्थस्थल है । रामेश्वरमके दक्षिणकी ओर ११ कि.मी. दूरीपर ‘धनुषकोडी’ नगर है । यहांसे श्रीलंका केवल १८ कि.मी. दूरीपर है ! बंगालके उपसागर (महोदधि) और हिन्दी महासागर (रत्नाकर) के पवित्र संगमपर बसा और ५० गज (अनुमानतः १५० फूट) चौडा धनुषकोडी, बालुसे व्याप्त स्थान है । रामेश्वरम और धनुषकोडीकी धार्मिक महिमा ! उत्तर भारतमें काशीकी जो धार्मिक महिमा है, वही महिमा दक्षिण भारतमें रामेश्वरमकीे है । रामेश्वरम हिन्दुआेंके पवित्र चार धाम यात्रामेंसे एक धाम भी है । पुराणादि धर्मग्रन्थोंनुसार काशी विश्वेश्वरकी यात्रा रामेश्वरमके श्री रामेश्वरके दर्शन बिना पूरी नहीं होती । काशीकी तीर्थयात्रा बंगालके उपसागर (महोदधि) और हिन्दी महासागर (रत्नाकर) के संगमपर स्थित धनुषकोडीमें स्नान करनेपर और तदुपरान्त काशीके गंगाजलसे रामेश्वरको अभिषेक करनेके उपरान्त ही पूरी होती है । धनुषकोडीका इतिहास और रामसेतुकी प्राचीनता !

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भारत के बारे मे कुछ रोचक जानकारिया

24 मार्च 2015
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भारत के बारे मे कुछ रोचक जानकारियाँ ============================== =================== सबसे उँची पर्वत चोटी - गॉडविन ऑस्टिन (क2) सबसे ऊंचा बांध - भाखड़ा नांगल बाँध सबसे ऊंचा जलप्रपात - कुंचिकल झरना, कर्नाटक सबसे बड़ा गेटवे - बुलंद दरवाजा, फतेहपुर सीकरी, उत्ताप प्रदेश सर्वोच्च पुरस्कार - भारत रत्न सर्वोच्च वीरता पुरस्कार - परमवीर चक्र सबसे उँचा उंचे युद्ध क्षेत्र - सियाचिन ग्लेशियर सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान - मौसिनराम, मेघालय सबसे ऊंचे हवाई अड्डे - लेह, लद्दाख सबसे ऊंचे झील -चॉलमू झील, सिक्किम सबसे ऊंची मीनार - कुतुब मीनार, दिल्ली सबसे अधिक आबादी घनत्व वाला राज्य - बिहार सबसे अधिक आबादी वाला राज्य - उत्तर प्रदेश सबसे अधिक उँचाई पा स्थित रेडियो स्टेशन - आकाशवाणी का लेह स्टेशन सबसे उँची मूर्ति - जैन संत गोमटेस्वरा, कर्नाटक ताजे पानी की सबसे बड़ी झील - वुलर झील, कश्मीर सबसे बड़ा मंदिर - श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, तमिलनाडु सबसे बड़ी मस्जिद - जामा मस्जिद, दिल्ली सबसे बड़ा चर्च - एसई कैथेड्रल, गोवा सबसे बड़ा गुरुद्वारा - स्वर्ण मंदिर, अमृतसर सबसे बड़ा मठ - तवांग मठ, अरुणाचल प्रदेश सबसे बड़ी आबादी वाले शहर - मुंबई, महाराष्ट्र सबसे बड़ी इमारत - राष्ट्रपति भवन, दिल्ली सबसे बड़ा संग्रहालय - राष्ट्रीय संग्रहालय, कोलकाता सबसे बड़ा सभागार - श्री षणमुखानन्दा हॉल, मुंबई सबसे बड़ा सिनेमा थिएटर - थंगम, मदुरै सबसे बड़ा बैराज - फरक्का बैराज गंगा सबसे बड़ा डेल्टा - सुंदरबन डेल्टा, पश्चिम बंगाल सबसे बड़ा गुंबद - गोल गुम्बद, बीजापुर, कर्नाटक सबसे बड़ा चिड़ियाघर - जूलॉजिकल गार्डन, अलीपुर, कोलकाता सबसे बड़ी प्रदर्शनी ग्राउंड - प्रगति मैदान परिसर, नई दिल्ली सबसे बड़ा रेगिस्तान - थार, राजस्थान ..........किसी ने कहा है की ज्ञान बाँटने से बढ़ता है इसलिए ज़रूर शेयर करें........

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शिव का त्रिशुल, तीसरी आंख और नंदी का रहस्य?

3 अप्रैल 2015
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शिव का त्रिशुल, तीसरी आंख और नंदी का रहस्य? _____________________________________ हमारी परंपरा में भगवान शिव को कई सारी वस्तुओं से सजा हुआ दिखाया जाता है। उनके माथे पर तीसरी आंख, उनका वाहन नंदी, और उनका त्रिशूल इसके उदाहरण हैं। क्या सच में शिव के माथे पर एक और आंख है? और क्या वे हमेशा नंदी और त्रिशूल को अपने साथ रखते हैं? या फिर इन्हें चिन्हों की तरह इस्तेमाल करके हमें कुछ और समझाने की कोशिश की गई है? आइये जानते हैं … तीसरी आंख का मतलब है कि आपका बोध जीवन के द्वैत से परे चला गया है। तब आप जीवन को सिर्फ उस रूप में नहीं देखते जो आपके जीवित रहने के लिए जरूरी है। बल्कि आप जीवन को उस तरह देख पाते हैं, जैसा वह वाकई है। शिव की तीसरी आंख शिव को हमेशा त्रयंबक कहा गया है, क्योंकि उनकी एक तीसरी आंख है। तीसरी आंख का मतलब यह नहीं है कि किसी के माथे में दरार पड़ी और वहां कुछ निकल आया! इसका मतलब सिर्फ यह है कि बोध या अनुभव का एक दूसरा आयाम खुल गया है। दो आंखें सिर्फ भौतिक चीजों को देख सकती हैं। अगर मैं अपना हाथ उन पर रख लूं, तो वे उसके परे नहीं देख पाएंगी। उनकी सीमा यही है। अगर तीसरी आंख खुल जाती है, तो इसका मतलब है कि बोध का एक दूसरा आयाम खुल जाता है जो कि भीतर की ओर देख सकता है। इस बोध से आप जीवन को बिल्कुल अलग ढंग से देख सकते हैं। इसके बाद दुनिया में जितनी चीजों का अनुभव किया जा सकता है, उनका अनुभव हो सकता है। आपके बोध के विकास के लिए सबसे अहम चीज यह है – कि आपकी ऊर्जा को विकसित होना होगा और अपना स्तर ऊंचा करना होगा। योग की सारी प्रक्रिया यही है कि आपकी ऊर्जा को इस तरीके से विकसित किया जाए और सुधारा जाए कि आपका बोध बढ़े और तीसरी आंख खुल जाए। तीसरी आंख दृष्टि की आंख है। दोनों भौतिक आंखें सिर्फ आपकी इंद्रियां हैं। वे मन में तरह-तरह की फालतू बातें भरती हैं क्योंकि आप जो देखते हैं, वह सच नहीं है। आप इस या उस व्यक्ति को देखकर उसके बारे में कुछ अंदाजा लगाते हैं, मगर आप उसके अंदर शिव को नहीं देख पाते। आप चीजों को इस तरह देखते हैं, जो आपके जीवित रहने के लिए जरूरी हैं। कोई दूसरा प्राणी उसे दूसरे तरीके से देखता है, जो उसके जीवित रहने के लिए जरूरी है। इसीलिए हम इस दुनिया को माया कहते हैं। माया का मतलब है कि यह एक तरह का धोखा है। इसका मतलब यह नहीं है कि अस्तित्व एक कल्पना है। बस आप उसे जिस

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लव जेहाद: क्यों, कैसे, नुकसान और बचाव क्यों?

8 मई 2015
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लव जेहाद: क्यों, कैसे, नुकसान और बचाव क्यों?भारत में जब इस्लामी सेनाए हमला करने को तैयार ना होती थी क्यों की आर्य भूमि से इस्लामिक सेनाए जिंदा वापस नहीं जाती थी , उस वक्त भारत के मंदिरों से ज्यादा भारत की औरतो का लालच दे कर जेहादी नेता अपनी सेनाओ को मना पाते थे भारत पर हमला करने के लिए | “औरतो की लूट” नामक एक किताब तक लिखी जा चुकी हैं जिसमे दिल देहला देने वाले आकडे हैं मुसलमानों द्वारा हिंदू स्त्रियों को लूट के सामान की तरह ले जाने के लिए | उन आकडो से तो सिर्फ यही साबित होता हैं के अफगानिस्तान और तुर्की की ९० फ़ीसदी आबादी हिंदू औरतो से ही पैदा हैं | समय बदल गया हैं, आज औरतो को मुस्लमान एक गैर इस्लामिक देश में ऐसे ही उठा के नहीं ले जा सकते बंगलादेश या पाकिस्तान की बात अलग हैं | भारत में या यूरोप में इन्होने अलग तरीके अपना रखे हैं गैर मुस्लमान औरतो से बच्चे पैदा कर के इस्लाम को बढ़ाने के | तो यहाँ शुरू होता हैं लव जेहाद |कैसे?१. मुस्लिम लडको को मौलवियो व अन्य इस्लामिकसंगठन द्वारा हिंदू लडकियो को फ़साने को ना केवल प्रोत्साहित किया जाता हैं अपितु इनामके तौर पर या कहे घर बसाने के नाम पर बड़ी रकम भी रखी जाती हैं | ये रकम जेहाद के नाम पर, जकात के नाम पर, जिज्या के नाम या आपके द्वारा पेट्रोल पर दी हुई रकम से ली जाती हैं |२. कम से कम ४-५ लड़के (ज्यादा भी हो सकते हैं) आपस में मिल के हिंदू लडकियो को चुनते हैं फ़साने के लिए | मुस्लमान हमेशा समूह में रहते हैं अपने कायर स्वाभाव की वजह से इसलिएउन हिंदू लडकियो को बचाना इतना सरल नहीं होता |३. ये लड़के गर्ल्स कालेज के बाहर, कंप्यूटर संसथान के बाहर या अंदर, या कोचिंग संस्थानों के आसपास रहते हैं | कभी-२ लेडिस टेलर की दुकान पर ४-५ लड़के लगे ही रहते हैं| इन्टरनेट पर सोशल नेटवर्क से लेकर याहू चैट रूम तक हर वो जगह जहा इन्हें हिंदू लड़किया मिल सकती हैं वहा ये लगे रहते हैं घात में |४. ज्यादातर मौको पर ये लड़के खुद को हिंदू ही दिखाने का प्रयास करते हैं | अच्छा मोबाइल सेट, कपडे, वा मोटर साइकिल आकर्षण के तौर पर इनका हथियार होते हैं | जिम में घंटो कसरत भी ये लोंग इसी लिए करते हैं ताकि अधिक से अधिक हिंदू लड़किया फसा सके |५. दक्षिण भारत में तो मुल्ला मौलवी इन लडको के लिए पर्सोनालिटी डेवेलोप्मेंट कोर्से चलवा देते हैं | किस तरह बात की जाए लडकियो से

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