वो ह्रदय भी क्या ह्रदय है जिसमे स्वदेश प्रेम नही निर्भाव, पाषाण सा प्रतीत हो जिस ह्रदय मे देश प्रेम नही वो कलम भी क्या कलम है जिसने स्वदेश लिखा नही वो कवि भी क्या कवि है जिसमे स्वदेश बसा नही वो कविता
आजादी का जश्न है हर ओर खुशहाली छाई है बड़ी-बड़ी कुर्बानियां देकर हमने यह आजादी पाई है पीढ़ीदर पीढ़ी गुलामी की बेड़ियां सही हमारे पुरखों ने जाने क्या-क्या यातनाएं पीड़ायॆंसही हमारे पुरखों ने जाने कितने
मातम के बाद घर में कोहराम मचा हुआ है। पिताजी की अस्थियां नहीं मिल रही
सैनिक तो सैनिक है ।
युद्ध हो या ना हो ।
सैनिक तो सैनिक है ।
शत शत नमन हमारा है। दूसरी सर्जिकल स्टाइक पर मेरी आसू रचना।। आज गर्व से
सचिन 16 साल का लड़का था।। बहुत ही होशियार बहुत ह