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पागल (आजाद भगतसिंह)

16 सितम्बर 2021

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राख का हर एक कण
मेरी गर्मी से गतिमान है
मैं एक ऐसा पागल हूं
जो जेल में भी आजाद हैं।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सीने पर जो जख्म हैं
सब फूलों के गुच्छे है
हमें पागल ही रहने दो
हम पागल ही अच्छे हैं 
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏( भगतसिंह)

प्रिया ✍️✍️
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माटी के लाल
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