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मित्रो सादर नमश्कार . आपके समक्ष यह मेरा प्रथम प्रयास हैं आशा करता हु कि आप मेरे विचारो से सहमत होंगे , आज भारत में पितृ दिवस मनाया जा रहा है लेकिन क्या एक पिता का सम्मान केवल एक दिन के ही लिए है
इछाये डूबती उतरती है जीवन के समंदर में कुछ अधूरी से कुछ पूरी से हर पल ये डर पूरा न होने का डर पूरी हो तो हर रिश्तें को खोने का डर जीवन की लहरों मे