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धर्म के सेल्समैन !

19 मई 2015

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आज शाम को ऑफिस से आकर ज्यो ही आराम करने बैठा के दरवाजे पर दस्तक हुयी ! मैंने दरवाजा खोला तो सामने दो युवक खड़े थे ,दोनों के हाथ में हैंडबैग थे , मैंने पहले उन्हें देखा उन्होंने मुस्कुराहट दिखाई और न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा के ये या तो सेल्समैन है या किसी धर्म के प्रचारक ! मन तो किया के दरवाजा तुरंत बंद कर दू ,किन्तु ऐसा करना उचित नहीं लगा , ‘जी कहिये ‘ मैंने कहा ‘सर मै आपके सिर्फ कुछ मिनट्स लूँगा ,यदि आपको कोई आपत्ति न हो तो ?’ उसने कहा . ‘हा क्यों नहीं ‘ सोचा के सुन लेने में क्या जाता है ? ‘’ सर एक टोपिक पर आपसे बात करना चाहता हु ,आपको क्या लगता है जिन लोगो की मृत्यु हो जाती है ,क्या वे दुबारा जिवित हो सकते है ? क्या हम उन्हें दुबारा उन्हें देख पाएंगे ? ‘ उसने मुस्कुराते हुए मेरी जिज्ञासा को बढाने के इरादे से कहा , लेकिन ऐसी बेसिरपैर की बातो से भला अपनी जिज्ञासा कभी बढ़ी है ? मै समझ गया के ये वही लोग है ,’बड़ी बड़ी बाते और शौचालय में जाकर वडा पाँव खाते ‘’ यानी प्रचारक ,या कहे प्रलोभन या ऐसा ही कुछ ! मैंने कहा ‘ सो फाईनली इट्स रिलेटेड टू ‘’बाईबल ‘’ आई थिंक ?’’ एक पल में बंदा थोडा प्रभावित हुवा ,उसे शायद चड्डी बनियान में खड़े देहाती जैसे दिखनेवाले शख्स से अंग्रेजी की उम्मीद नहीं थी ( अब ये खुद मुझे नहीं पता के इन नमूनों को देखकर पता नहीं कहा से अंग्रेजी निकल गई ,ग्रामर की माता बहन हुयी हो तो अलग बात है ) ‘ यस सर ,बट वी आर नोट गोइंग टू एनी रिलीजियस वे ‘’ उसने समझाने के स्वर में कहा ( अपने को यही सुनाई दिया ) हम आपको यह दिखाना चाहते है ,कहकर उसने बैग खोली और मुझे पर्चिया दिखी ‘चंगाई का दिन ,परिवर्तन का अनुभव ,प्रभु बुलाते है , आपसे प्यार करते है ‘ यानी ऐसी ही मोहब्बत भरे कुछ खत भरे पड़े थे ! उसने एक पर्ची निकाली और थमा दी जिसका नाम था ‘ क्या मरे हुवो को दोबारा जीवन मिलेगा ?’’ मैंने कहा ‘ भाई आदमी जी के तो कुछ कर नहीं पा रहा ,वापस आकर भला क्या कर लेगा ? यहाँ मरे हुवो को जीवन मिलेगा से ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल है ‘’ क्या मुझे कन्फर्म टिकट मिलेगा ?’’ मैंने कहा ‘ जी मै समझा नहीं ? ‘’ उसने न समझने का अभिनय किया . मैंने कहा ‘ दुनिया की आबादी पहले ही अधिक है , उसमे से यदि मरनेवाले भी जीवित होने लगेंगे तो भाई रहेंगे कहा ? खायेंगे क्या ? उसने दुसरे बंदे की तरफ देखा , दूसरा बंदा मुस्कुराया , ( मै समझ गया अब यह आगे आनेवाला है ) ‘’ देखिये सर ,हर कोई जीवित नहीं होगा ,सीर्फ वो ही जीवित होंगे और अपनी कब्रों में से निकलेंगे जो भले होंगे ‘ कहते हुए उसने एक नीली जिल्द चढ़ी पॉकेट साईज पुस्तक निकाली ,और तुरंत एक पृष्ठ खोला , और कुछ पंक्तिया दिखाने लगा पृष्ठ के उपरी कोने पर कुछ ‘युहन्ना या यहोबा ‘ लिखा था . ‘देखिये सर ,हम आपको उदाहरण भी दिखायेंगे ,ऐसे आठ उदाहरण है जहा परमेश्वर ने लोगो को जीवित किया ‘ ‘’भाई लेकिन मेरे ख्याल से जो भी परमेश्वर की शरण में गया उसके पाप क्षमा हो जायेंगे और वह भी परमेश्वर की सानिध्य का हकदार होगा ,सही है न ?’’ मैंने पुछा , ‘’ जी बिलकुल सही समझे आप ‘’ ‘यानी इसका मतलब तो यह हुवा संसार में मौजूद सारे व्यक्ति मरेंगे तो भी वे भले ही कहलायेंगे ? यानी के जो भी मरेगा वो दोबारा आएगा ? इसका मतलब दुनिया में पैदा होनेवाले पैदा होते रहेंगे और मरनेवाले आते रहेंगी ! धीरे धीरे संसाधन खत्म होंगे ,जलवायु दूषित होगी ,अन्न की कमी होगी ,फिर दुबारा ....’’ नहीं सर ...( उसने मेरी बात बिच में काटी ) ‘देवेन ,मेरा नाम देवेन पाण्डेय है , और मैंने जिस पुस्तक को पढ़ा है या कभी देखा है ,उतने में इतना समझा है , के आप मरने के बाद जीने की तमन्ना लिए फिरोगो तो आपका जीवन भी मृत्यु सदृश्य हो जायेगा , कर्म से मोक्ष को प्राप्ति होगी ,न की किसी पुस्तक को रटने से , मनुष्य नहीं मरता देह मरती है , आत्मा तो आदि है अनंत है फिर चोला बदलेगी किसी रूप में ,तो क्यों इस आत्मा को देह रूपी बंधन में बांधे रखे, हमेशा मर के जीने की आस लिए ? मेरे जो मुंह में आया मै बकता गया . कुछ देर तक दोनों चुप रहे ,मुस्कान गायब हुयी ,लेकिन दोबारा मुस्कान चेहरे पर लाते हुए कहा , ‘’सर यह विषय एक मिनट में समझने का नहीं है ,यह वृहद विषय है ! हम इसके लिए दुबारा आएंगे तब विस्तार से चर्चा करेंगे और आपकी शंकाओ को दूर करेंगे ‘’ ‘आपके पहले भी कुछ महीने पहले दो लोग आये थे , उन्होंने दो पुस्तके दी थी ‘नया नियम ,और पता नहीं क्या ,’’ मैंने कहा . ‘’ तो आपने उन्हें पढ़ा ? ‘’ उन्होंने चहकते हुए कहा . ‘’ नहीं शुरुवात की और बोर हो गया ,रखी है वैसे ही, आपको चाहिए तो ले जाओ वापस , वरना पुस्तको को कही पड़े रहने देना ,धुल खाने देना मुझे अच्छा नहीं लगता ! ‘’ मैंने कहा तो उन्होंने कहा . ‘परमेश्वर आपकी सहायता करे ‘’ ‘’आपकी भी ‘’ मैंने कहा और दरवाजा बंद कर दिया . धर्म न हुआ ससुरा फ्लिपकार्ट बिग बैंग सेल हो गया
शब्दनगरी संगठन

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20 मई 2015

anamika

anamika

धर्माडंवरों की अच्छी प्रस्तुती।

19 मई 2015

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गहन खामोशी

7 मई 2015
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माँ और सिरका

10 मई 2015
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वो हमेशा माँ की नाक में दम किये रहता था। माँ हमेशा हैरान रहा करती थी। उसकी एक आदत बड़ी खराब थी, घर में रखे "सिरके" को चाटने की । सिरके का खट्टा स्वाद उसे बहुत पसंद था, जब भी मौका देखता दो चार चम्मच मार लेता । माँ ने इस तरह से सिरके को जूठा करने के लिये जमकर लताड़ा ,लेकिन उसे न समझना था। सो नही समझा

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बुफे सिस्टम

12 मई 2015
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गाँव कथा दिनांक 14 अप्रैल 2015 चंदनवा के यहाँ तिलक था ! राम आसरे यु तो न्योता खाने के बड़े शौक़ीन थे ,किन्तु उस दिन ज्यो न्योते में गए तो तुरंत ही वापस आ गए ! कल्लन ने भी सोचा न्योते में जाने के लिए राम आसरे को लेता चलु ,अकेले जाने से थोडा संकोच तो होता ही है खाने में ! दो जन रहेंगे तो थोड़ी बेफिक्

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फिल्म एक नजर में ( क्लासिक्स ) : गाईड ( १९६५ )

14 मई 2015
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निर्देशन: विजय आनंद निर्माता: देव आनंद कलाकार: देव आनंद, वहीदा रहमान, किशोर साहू,लीला चिटनिस लेखक: आर. के. नारायण (उपन्यास) संगीत: एस.डी.बर्मन

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धर्म के सेल्समैन !

19 मई 2015
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आज शाम को ऑफिस से आकर ज्यो ही आराम करने बैठा के दरवाजे पर दस्तक हुयी ! मैंने दरवाजा खोला तो सामने दो युवक खड़े थे ,दोनों के हाथ में हैंडबैग थे , मैंने पहले उन्हें देखा उन्होंने मुस्कुराहट दिखाई और न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा के ये या तो सेल्समैन है या किसी धर्म के प्रचारक ! मन तो किया के दरवाजा तुरंत ब

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फिल्म एक नजर में : बॉम्बे वेलवेट

20 मई 2015
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अग्ली ‘ के बाद अनुराग कश्यप अपनी नई फिल्म लेकर आये है , जो उनकी अब तक बनाई गई सभी फिल्मो से अलग है ! वैसे ‘बॉम्बे वेलवेट’ अनुराग का सपना रही है ,जिस पर उन्होंने वर्षो मेहनत की है , फिल्म देखते वक्त आपको वह मेहनत साफ़ नजर आती है ,उनकी लगन फिल्म में साफ़ झलकती है ! किन्तु सिर्फ फिल्मांकन तक ही ,कह

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पुस्तक समिक्षा : कोहबर की शर्त

28 मई 2015
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बड़े दिनों से इस पुस्तक की तलाश थी , बड़ी मुश्किल से मिली और मैंने एकाध पृष्ठ पलट कर देखे , पुस्तक कोई नया संस्करण नहीं था ! पुराना ही संस्करण था ,जिसमे से पुरानी पुस्तक की महक आ रही थी ,जो भीनी भीनी सी थी ! और इसी महक के कारण पुस्तक पढने का वातावरण भी तैयार हो गया , गंवई भाषा को देखकर पुस्तक से अप

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पुस्तक समीक्षा : बनारस टाकिज

10 जुलाई 2015
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बनारस टॉकीज : इस पुस्तक का मैंने हाल ही में बड़ा नाम सुना था ,काफी चर्चा हो रही थी शोशल जगत की आभासी दुनिया में ! हम तो ठहरे पुस्तक प्रेमी ,तो भला हम इससे कैसे अछूते रहते भला ! वैसे भी आजकल हिंदी लेखन भी अपनी पुख्ता पहचान बना रही है ,जो कुछ समय पहले तक लुप्तप्राय समझी जाती थी ,किन्तु नए लेखको ने इस

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फिल्म एक नजर में : बाहुबली दी बिगनिंग

12 जुलाई 2015
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एस राजामौली इ ऐसे निर्माता निर्देशक है जिनकी फिल्मो की प्रतीक्षा केवल टोलीवूड ही नहीं अपितु हिंदी दर्शक भी बेसब्री से करता है , उनकी पिछली फिल्मो के बारे में कुछ कहने की जरुरत नहीं है ! बाहुबली जैसी वरिश्द कथानक देने के पश्चात उनका नाम इसी फिल्म से जाना जायेगा यह कहना कोई आतिश्योक्ति नहीं ह

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फिल्म एक नजर में : बजरंगी भाईजान

19 जुलाई 2015
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कबीर खान ने बतौर निर्देशक अपनी फिल्म ‘काबुल एक्सप्रेस ‘ से काफी प्रशंषा बटोरी थी , कुछ समय बाद वे सलमान के साथ ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘ एक था टाईगर ‘ में नजर आये जो उनकी पिछली फिल्म से एकदम अलग थी और मसालेदार एक्शन से भरी थी ! सलमान भी लगातार एक्शन भूमिकाओं में दिखने लगे जिसमे वे काफी जमते

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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा

2 अगस्त 2015
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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा कारवां : एक खुनी यात्रा , कुछ अरसे पहले कॉमिक्स जगत काफी सदमे झेल चूका था , बड़ी बड़ी दिग्गज कॉमिक्स कम्पनीज बंद हो रही थी ! वजह कुछ भी रही हो ,पाठको की बदलती रूचि ,मनोरंजन के बढ़ते साधन , पढने में रूचि कम होना , एवं बदलते समय के साथ कॉमिक्स पाठको के विचार बदलना .

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मांझी दी माउन्टन मैन : ‘शानदार ,जबरजस्त ,जिंदाबाद ‘

22 अगस्त 2015
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बिहार के अतिपिछडे इलाके में जन्मे ‘दशरथ मांझी ‘ की सत्य कथा पर आधारित इस फिल्म के निर्माण होने की घोषणा होने पर उत्सुकता जगी थी के अब बॉलीवूड में कुछ तो सार्थक देखने को मिलेगा .और फिल्म देखने के पश्चात यह बात सत्य प्रतीत हुयी ,वैसे भी बॉलीवूड की हवा आजकल कुछ बदली हुयी है ! काफी रचनात्मक प्रयास आ रहे

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टैक्सीवाले भाईजान

21 सितम्बर 2015
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कल कही से वापसी में ऑटो मिल नहीं रही थी ! बारिश की वजह से ट्रैफिक बहुत थी .रिक्शा मिल नहीं रही थी ,एक काली पिली वैगन मिली जिसमे बैठ गया .ड्राइवर चालु भाषा का इस्तेमाल कर रहा था ,,ट्रैफिक लगेली है ,मूड की माँ बहन हो रेली है !!!!!! वगैरह वगैरह .खैर बैठा और गाडी चल पड़ी , रस्ते में ट्रैफिक की वजह से काफ

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फिल्म एक नजर में : वजीर

13 जनवरी 2016
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वजीर के ट्रेलर ने ही काफी उत्सुकता जगा दी थी ,जिसकी मुख्य वजह इसकी स्टारकास्ट भी थी .अमिताभ बच्चन ,फरहान अख्तर ,जॉन अब्राहम ,नील नितिन मुकेश , आदि ,ऊपर से विधु विनोद चोपड़ा का प्रोडक्शन एवम बिजॉय  नाम्बियार का निर्देशन जिनके निर्देशन में हमेशा कुछ हटके मिला है बोलीवूड को ,किन्तु सफलता हमेशा औसत ही र

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नटसम्राट

13 जनवरी 2016
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नटसम्राट ‘’एक त्रासदीपूर्ण एवम मर्मान्तक कथानक का नाट्य रुपंतरण एवंम फिल्म संस्करण .‘’महाराष्ट्र ‘’ नाम लेते ही आँखों के सामने मुगलों को नाको चने चबवा देनेवाले शिवाजी का चेहरा सामने आता है , यहाँ का इतिहास गौरवशाली है ! यहाँ की संस्कृति में कला को जो सम्मान है वह शायद ही कही और देखने को मिले , यहाँ

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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्ट

25 जनवरी 2016
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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्टपिच्छले कुछ समय से अक्षय काफी बढ़िया फिल्मो में नजर आ रहे है जो लीक से हटकर और उम्दा होती है ,कुछ अपवादों को यदि छोड़ दिया जाए तो .यदि बॉलीवुड के पिछले कुछ सालो को खंगाला जाये तो बेशक अक्षय ऐसे सुपरस्टार के तौर पपर उभरते है जो बिना किसी शोरशराबे के अपनी जगह बना रहे है जिससे

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