वो हमेशा माँ की नाक में दम किये रहता था।
माँ हमेशा हैरान रहा करती थी। उसकी एक आदत बड़ी खराब थी, घर में रखे "सिरके" को चाटने की । सिरके का खट्टा स्वाद उसे बहुत पसंद था, जब भी मौका देखता दो चार चम्मच मार लेता ।
माँ ने इस तरह से सिरके को जूठा करने के लिये जमकर लताड़ा ,लेकिन उसे न समझना था। सो नही समझा ।
आख़िरकार माँ ने पकड़ ही लिया रंगे हाथो और कान पकड़ते हुये कहा "सिरका बहुत पसंद है न तुझे? आज पिलाती हु जी भरके"
कहते हुये माँ ने आधा लोटा सिरका उसके सामने रखा ।
"चल पि इसे ,पूरा खत्म कर "
वह खुश हो गया और झट से लोटे को मुंह से लगाया किन्तु चम्मच से चाटने में और लोटे से पिने में फर्क समझ में आया और पिया नही गया।
"चल पि इसे," माँ बेंत लिये दहाड़ी ।
और पूरा पिलाकर ही मानी । लोटा खत्म हुवा और वह जान छुड़ा कर भाग,लेकिन लोटे ने पीछा नही छोड़ा और दो दिन तक "लोटा" लिये खेत में दौड़ता रहा ।
फिर सिरके की आदत तो छूटनी ही थी,अब तो खाने में भी सिरके के नाम से खौफ खाता है वह ।
भईया जरुरी नही के मदर्स डे पर हर पोस्ट भावनात्मक ही हो