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फिल्म एक नजर में ( क्लासिक्स ) : गाईड ( १९६५ )

14 मई 2015

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निर्देशन: विजय आनंद निर्माता: देव आनंद कलाकार: देव आनंद, वहीदा रहमान, किशोर साहू,लीला चिटनिस लेखक: आर. के. नारायण (उपन्यास) संगीत: एस.डी.बर्मन यह फिल्म भारतीय फिल्म के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है , फिल्म ‘आर के नारायण ‘ की पुस्तक ‘’दी गाईड ‘’ पर आधारित है ! फिल्म की शुरवात होती है ‘राजू ‘( देव आनंद ) की जेल रिहाई से , उसकी बीती जिन्दगी काफी त्रासद रही है ,उसने अपने अपनों को काफी तकलीफ दी है ! इसलिए वह दुबारा अपनी बीती जिन्दगी में लौट के नहीं आना चाहता और जेल से रिहा होकर खानाबदोशो की तरह यहाँ से वहा भटकता रहता है ! राजू एक गाईड था ,जिसका अपना रुतबा था ! एक दिन राजू की मुलाक़ात ‘’रोजी ‘’(वहीदा रहमान ) से होती है , जो एक पुरातत्ववेत्ता ‘’मार्को ‘’ की पत्नी है ! रोजी का अपना अतीत है जिसे वह छिपाना चाहती है ,वह एक देवदासी की बेटी है ,और उसकी माँ नहीं चाहती के उसकी बेटी भी बदनामी का जीवन जिए ,इसलिए वह उसकी शादी एक ऊँचे घराने में करवा देती है ,रोजी का पति मार्को रुतबे वाला व्यक्ति है ,जिसके पास सबकुछ है ! रोजी को उससे शादी करके इज्जत ,पैसा ,तो मिलता है लेकिन प्यार नही मिलता ! मार्को को नृत्य से नफरत है और वह इसे बाजारू औरतो का पेशा मानता है ,जिसके रोजी को नृत्य से दूरी बनानी पडती है ,मार्को भी अपनी पत्नी से ज्यादा अपने काम को तवज्जो देता है ! जिससे रोजी अवसाद में है ,और उनके रिश्ते तनावपूर्ण है ! जयपुर में कुछ गुफाओ की खोज में मार्को ,रोजी के साथ आता है जहा उनका गाईड है ‘’राजू ‘ ! मार्को के पास समय नहीं है ,जिसकी वजह से अवसाद में रोजी आत्महत्या का प्रयत्न करती है ,किन्तु राजू उसे बचा लेता है ! राजू उसका अवसाद दूर करने के प्रयत्न में उसके पास आ जाता है , और मानसिक रूप से हुयी रोजी राजू से प्यार कर बैठती है और मार्को को सदा के लिए छोड़ राजू के घर आ जाती है ! रोजी के इस तरह से राजू के घर पर रहने से ,राजू की माँ और मामा परेशांन है ,नाते रिश्तेदार और लोग, तरह तरह की बाते बनाते है ! किन्तु इन सबकी परवाह किये बगैर राजू रोजी को नृत्य के लिए प्रेरणा देता है ,माँ राजू को छोड़ कर अपने भाई के घर चली जाती है , राजू का रोजी के प्रति प्रेम फिर भी कम नही होता ,समय बीतता जाता है और राजू के प्रयास और रोजी की लगन रंग लाती है ! अब रोजी एक प्रसिद्ध नृत्यांगना है ,पैसे और प्रसिद्धि से राजू बदल जाता है ,शराब और जुवे की लत उसे लग चुकी है ,रोजी की व्यस्तता की वजह से दोनों के पास एकदूसरे के लिए समय नहीं है ! जिससे राजू चिडचिडा हो जाता है ,आये दिन होते झगड़ो की वजह से दोनों के रिश्ते खत्म होने की कगार पर है , ऐसे में मार्को फिर आता है और उसे रोजी से दूर रखने के प्रयत्न में राजू पैसो के लेनदेन में एक घपला करता है और जेल पहुँच जाता है ! जेल जाने के बाद उसे अपने जीवन से विरक्ति हो जाती है ,और सजा खत्म करके वह एक गाँव पहुँचता है ! जहा कुछ गाँव वाले उसे उसकी बहकी बहकी बातो से कोई महात्मा समझ लेते है ,राजू फटेहाल उसी गाँव में ठहर जाता है , गांव वालों को एक कहानी सुनाते हुये राजू उनको एक साधु के बारे में बताया कि एक बार एक गांव में अकाल पड़ गया था और उस साधु ने १२ दिन तक उपवास रखा और उस गांव में बारिश हो गई। संयोग से उस गांव के इलाके में भी अकाल पड़ जाता है। गांव का एक मूर्ख राजू से वार्तालाप के दौरान सुनता कुछ और है और गांव वालों को आकर बताता है कि स्वामी जी ने वर्षा के लिए १२ दिन का उपवास करने का निर्णय लिया है। पहले तो राजू इसका विरोध करता है, वह गाँव वालो को बताता है कि वह एक सज़ायाफ़्ता मुजरिम है जिसे एक लड़की के कारण सज़ा मिली है। लेकिन इस पर भी गांव वालों की उस पर आस्था कम नहीं होती! उनके विश्वास और अकाल से हुयी दयनीय अवस्था को देखकर राजू उपवास रखता है ! और इस दौरान राजू का आध्यात्मिक साक्षात्कार होता है ,और वह अपने जीवन की सभी बुराईयों और अंतर्मन की सभी कामनाओं पर विजय पा लेता है ! उसका प्रयत्न और लोगो का विश्वास रंग लाता है ,और राजू ,राजू गाईड से एक संत बनकर अपना जीवन त्याग देता है ,और मृत्यु के साथ ही वर्षा होती है जिससे लोगो का ईश्वर में विश्वास दृढ हो जाता है ! यह है फिल्म की कहानी ,जो दो हिस्सों में चलती है ! एक राजू और रोजी के जीवन की जटिलताओ को दर्शाती है ,राजू की कामनाये और रोजी की महत्वकांक्षाओ को दिखाती है ,और दिखाती है सब कुछ पा लेने के पश्चात भी किस तरह से मनुष्य संतोष को नहीं पा सकता ! राजू और रोजी ने सब कुछ पाया लेकिन उनके जीवन में संतोष नहीं पाया कभी ,जब तक राजू सिर्फ एक गाईड था तब तक वह खुश था ,इच्छाए छोटी थी ! किन्तु जब वह सिर्फ राजू बना और सफलता का स्वाद चखा तो वह वास्तविक सुखो को भुलाकर भौतिक सुखो में रम गया ,जिसने उसके जीवन को सिर्फ जटिल बनाया ! रोजी भी पहले मार्को से खुश नहीं थी क्योकि वह उसे प्यार नहीं करता था और उसके नृत्य पर भी बंदिश लगाये रखता था ,जिसके चलते उसका संबंध टूटा ,राजू ने उसे प्यार भी दिया और पूर्ण स्वतन्त्रता भी ,रोजी ने नलिनी बनकर वह सब हासिल किया जिसका उसने स्वप्न देखा था ! किन्तु सफलता की कीमत उसके रिश्ते को चुकानी पड़ी ! न वह मार्को के साथ संतुष्ट रह सकी और न राजू के साथ ,दरअसल दोनों ने अपनी संतुष्टि को मात्र अपनी इच्छाओ के इर्द गिर्द सिमित कर लिया इसलिए सब कुछ पाकर भी दोनों खाली हाथ थे ! राजू ने जब इच्छाओ का त्याग किया और सब कुछ खो दिया ,तब उसने सबकुछ खोकर भी संतुष्टि को प्राप्त किया ! कहानी राजू और रोजी की नहीं है ,कहानी है मनुष्य की इच्छाओ की ,उसकी महत्वकांक्षाओ की ,जिससे वह सदा ग्रसित रहता है ! वह यह नहीं समझता के इच्छाए पूर्ण होने पर भी मात्र बढती जाती है , ऐसी फिल्मो को देखकर अफ़सोस होता है के आज की फिल्मे किस हद तक गर्त में जा चुकी है ! फिल्म का पहला गीत जब राजू जेल से रिहा होकर संसार से विरक्ति की और बढ़ता है ,बेहद अर्थपूर्ण है ‘’वहा कौन है तेरा ,मुसाफिर जाएगा कहा ‘ सचिन देव बर्मन की अर्थपूर्ण आवाज ने इस गीत को फिल्म की आत्मा का रूप दे दिया है ! सचिन जी की आवाज की पूर्णता उनके फिल्म के अंतिम गीत ‘अल्लाह मेघ दे पानी रे ‘’ में साफ झलकती है !फिल्म में कुल दस गीत है ,और हर गीत कर्णप्रिय एवं अर्थ लिए हुए है ! ‘पीया तोसे नैना लागे ‘’,तेरे मेरे सपने ,क्या से क्या हो गया रे ,गाता रहे मेरा दिल ,दिन ढल जाए ,आज फिर जीने की तमन्ना है , आदि गीत जो उस दौर की पहचान बने और आज भी लोग गुनगुनाते है ! लता मंगेशकर ,सचिन देव बर्मन ,मन्ना डे ,मोहम्मद रफ़ी ,किशोर कुमार ,जैसे लिजेंड गायकों की सुरीली आवाज ने गीतों में प्राण फूंके है ,जो आज भी ताजगी लिए हुए है !
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गहन खामोशी

7 मई 2015
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माँ और सिरका

10 मई 2015
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वो हमेशा माँ की नाक में दम किये रहता था। माँ हमेशा हैरान रहा करती थी। उसकी एक आदत बड़ी खराब थी, घर में रखे "सिरके" को चाटने की । सिरके का खट्टा स्वाद उसे बहुत पसंद था, जब भी मौका देखता दो चार चम्मच मार लेता । माँ ने इस तरह से सिरके को जूठा करने के लिये जमकर लताड़ा ,लेकिन उसे न समझना था। सो नही समझा

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बुफे सिस्टम

12 मई 2015
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गाँव कथा दिनांक 14 अप्रैल 2015 चंदनवा के यहाँ तिलक था ! राम आसरे यु तो न्योता खाने के बड़े शौक़ीन थे ,किन्तु उस दिन ज्यो न्योते में गए तो तुरंत ही वापस आ गए ! कल्लन ने भी सोचा न्योते में जाने के लिए राम आसरे को लेता चलु ,अकेले जाने से थोडा संकोच तो होता ही है खाने में ! दो जन रहेंगे तो थोड़ी बेफिक्

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फिल्म एक नजर में ( क्लासिक्स ) : गाईड ( १९६५ )

14 मई 2015
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निर्देशन: विजय आनंद निर्माता: देव आनंद कलाकार: देव आनंद, वहीदा रहमान, किशोर साहू,लीला चिटनिस लेखक: आर. के. नारायण (उपन्यास) संगीत: एस.डी.बर्मन

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धर्म के सेल्समैन !

19 मई 2015
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आज शाम को ऑफिस से आकर ज्यो ही आराम करने बैठा के दरवाजे पर दस्तक हुयी ! मैंने दरवाजा खोला तो सामने दो युवक खड़े थे ,दोनों के हाथ में हैंडबैग थे , मैंने पहले उन्हें देखा उन्होंने मुस्कुराहट दिखाई और न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा के ये या तो सेल्समैन है या किसी धर्म के प्रचारक ! मन तो किया के दरवाजा तुरंत ब

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फिल्म एक नजर में : बॉम्बे वेलवेट

20 मई 2015
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अग्ली ‘ के बाद अनुराग कश्यप अपनी नई फिल्म लेकर आये है , जो उनकी अब तक बनाई गई सभी फिल्मो से अलग है ! वैसे ‘बॉम्बे वेलवेट’ अनुराग का सपना रही है ,जिस पर उन्होंने वर्षो मेहनत की है , फिल्म देखते वक्त आपको वह मेहनत साफ़ नजर आती है ,उनकी लगन फिल्म में साफ़ झलकती है ! किन्तु सिर्फ फिल्मांकन तक ही ,कह

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पुस्तक समिक्षा : कोहबर की शर्त

28 मई 2015
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बड़े दिनों से इस पुस्तक की तलाश थी , बड़ी मुश्किल से मिली और मैंने एकाध पृष्ठ पलट कर देखे , पुस्तक कोई नया संस्करण नहीं था ! पुराना ही संस्करण था ,जिसमे से पुरानी पुस्तक की महक आ रही थी ,जो भीनी भीनी सी थी ! और इसी महक के कारण पुस्तक पढने का वातावरण भी तैयार हो गया , गंवई भाषा को देखकर पुस्तक से अप

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पुस्तक समीक्षा : बनारस टाकिज

10 जुलाई 2015
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बनारस टॉकीज : इस पुस्तक का मैंने हाल ही में बड़ा नाम सुना था ,काफी चर्चा हो रही थी शोशल जगत की आभासी दुनिया में ! हम तो ठहरे पुस्तक प्रेमी ,तो भला हम इससे कैसे अछूते रहते भला ! वैसे भी आजकल हिंदी लेखन भी अपनी पुख्ता पहचान बना रही है ,जो कुछ समय पहले तक लुप्तप्राय समझी जाती थी ,किन्तु नए लेखको ने इस

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फिल्म एक नजर में : बाहुबली दी बिगनिंग

12 जुलाई 2015
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एस राजामौली इ ऐसे निर्माता निर्देशक है जिनकी फिल्मो की प्रतीक्षा केवल टोलीवूड ही नहीं अपितु हिंदी दर्शक भी बेसब्री से करता है , उनकी पिछली फिल्मो के बारे में कुछ कहने की जरुरत नहीं है ! बाहुबली जैसी वरिश्द कथानक देने के पश्चात उनका नाम इसी फिल्म से जाना जायेगा यह कहना कोई आतिश्योक्ति नहीं ह

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फिल्म एक नजर में : बजरंगी भाईजान

19 जुलाई 2015
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कबीर खान ने बतौर निर्देशक अपनी फिल्म ‘काबुल एक्सप्रेस ‘ से काफी प्रशंषा बटोरी थी , कुछ समय बाद वे सलमान के साथ ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘ एक था टाईगर ‘ में नजर आये जो उनकी पिछली फिल्म से एकदम अलग थी और मसालेदार एक्शन से भरी थी ! सलमान भी लगातार एक्शन भूमिकाओं में दिखने लगे जिसमे वे काफी जमते

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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा

2 अगस्त 2015
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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा कारवां : एक खुनी यात्रा , कुछ अरसे पहले कॉमिक्स जगत काफी सदमे झेल चूका था , बड़ी बड़ी दिग्गज कॉमिक्स कम्पनीज बंद हो रही थी ! वजह कुछ भी रही हो ,पाठको की बदलती रूचि ,मनोरंजन के बढ़ते साधन , पढने में रूचि कम होना , एवं बदलते समय के साथ कॉमिक्स पाठको के विचार बदलना .

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मांझी दी माउन्टन मैन : ‘शानदार ,जबरजस्त ,जिंदाबाद ‘

22 अगस्त 2015
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बिहार के अतिपिछडे इलाके में जन्मे ‘दशरथ मांझी ‘ की सत्य कथा पर आधारित इस फिल्म के निर्माण होने की घोषणा होने पर उत्सुकता जगी थी के अब बॉलीवूड में कुछ तो सार्थक देखने को मिलेगा .और फिल्म देखने के पश्चात यह बात सत्य प्रतीत हुयी ,वैसे भी बॉलीवूड की हवा आजकल कुछ बदली हुयी है ! काफी रचनात्मक प्रयास आ रहे

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टैक्सीवाले भाईजान

21 सितम्बर 2015
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कल कही से वापसी में ऑटो मिल नहीं रही थी ! बारिश की वजह से ट्रैफिक बहुत थी .रिक्शा मिल नहीं रही थी ,एक काली पिली वैगन मिली जिसमे बैठ गया .ड्राइवर चालु भाषा का इस्तेमाल कर रहा था ,,ट्रैफिक लगेली है ,मूड की माँ बहन हो रेली है !!!!!! वगैरह वगैरह .खैर बैठा और गाडी चल पड़ी , रस्ते में ट्रैफिक की वजह से काफ

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फिल्म एक नजर में : वजीर

13 जनवरी 2016
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वजीर के ट्रेलर ने ही काफी उत्सुकता जगा दी थी ,जिसकी मुख्य वजह इसकी स्टारकास्ट भी थी .अमिताभ बच्चन ,फरहान अख्तर ,जॉन अब्राहम ,नील नितिन मुकेश , आदि ,ऊपर से विधु विनोद चोपड़ा का प्रोडक्शन एवम बिजॉय  नाम्बियार का निर्देशन जिनके निर्देशन में हमेशा कुछ हटके मिला है बोलीवूड को ,किन्तु सफलता हमेशा औसत ही र

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नटसम्राट

13 जनवरी 2016
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नटसम्राट ‘’एक त्रासदीपूर्ण एवम मर्मान्तक कथानक का नाट्य रुपंतरण एवंम फिल्म संस्करण .‘’महाराष्ट्र ‘’ नाम लेते ही आँखों के सामने मुगलों को नाको चने चबवा देनेवाले शिवाजी का चेहरा सामने आता है , यहाँ का इतिहास गौरवशाली है ! यहाँ की संस्कृति में कला को जो सम्मान है वह शायद ही कही और देखने को मिले , यहाँ

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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्ट

25 जनवरी 2016
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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्टपिच्छले कुछ समय से अक्षय काफी बढ़िया फिल्मो में नजर आ रहे है जो लीक से हटकर और उम्दा होती है ,कुछ अपवादों को यदि छोड़ दिया जाए तो .यदि बॉलीवुड के पिछले कुछ सालो को खंगाला जाये तो बेशक अक्षय ऐसे सुपरस्टार के तौर पपर उभरते है जो बिना किसी शोरशराबे के अपनी जगह बना रहे है जिससे

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