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फिल्म एक नजर में : बॉम्बे वेलवेट

20 मई 2015

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अग्ली ‘ के बाद अनुराग कश्यप अपनी नई फिल्म लेकर आये है , जो उनकी अब तक बनाई गई सभी फिल्मो से अलग है ! वैसे ‘बॉम्बे वेलवेट’ अनुराग का सपना रही है ,जिस पर उन्होंने वर्षो मेहनत की है , फिल्म देखते वक्त आपको वह मेहनत साफ़ नजर आती है ,उनकी लगन फिल्म में साफ़ झलकती है ! किन्तु सिर्फ फिल्मांकन तक ही ,कहानी के स्तर पर वह मेहनत नजर नहीं आती जो इसके लोकेशन ,साठ के दशक की मुंबई पर नजर आती है ! और यही इस फिल्म का कमजोर पक्ष है , यह अनुराग की अब तक की सबसे बड़ी बिग बजट फिल्म है ! और बड़े स्टार्स के साथ भी ,इससे पहले अनुराग कम बजट में एवं छोटी स्टार कास्ट के साठ फिल्म बनाते थे ,जिसमे कहानिया भी शशक्त होती थी एवं अभिनय भी ! बात करते है बॉम्बे वेलवेट की ,जिसकी कहानी को देखते हुए इसका नाम ‘वन्स अपन अ टाईम ईन मुम्बई 3 ‘ भी रखा जा सकता था ! फिल्म की कहानी की शुरुवात में दो बच्चे है जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान से मुंबई आते है , और एक बदनाम जगह रहकर जीवन यापन करते है , बलराज महत्वकांक्षी है ! वह जीवन में आगे बढ़ने के लिए किसी भी गलत तरीके को अपनाने से गुरेज नहीं करता , उम्र के साथ बलराज ( रणबीर ) का जूनून भी बढ़ता जाता है ! और ,इत्तेफाक से उसकी मुलाक़ात ‘कैजाद खंबाटा ‘ ( करन जोहर ) से होती है , जो एक बिजनेस टायकून है ,और हर गलत धंधे करता है ! वह बलराज से प्रभावित है और उसका इस्तेमाल करता है , बलराज को खंबाटा ‘बॉम्बे वेलवेट’ नाम के क्लब का मालिक बना देता है ,किन्तु वह इस क्लब की आड़ में अपने गैरकानूनी धंधो को अंजाम देता है ! वह मुंबई बनने के शुरुवाती दिन है ,जब मुंबई सात द्वीपों का समूह हुवा करती थी ,जिसेपाटकर एक महानगर बनाने की योजना परवान चढ़ रही थी ! इस निर्माण में बिल्डर , मंत्री ,भ्रष्ट अफसर ,उद्योगपतिहर सही गलत तरीको से अपनी तिजोरी भर रहे है , खंबाटा भी मुंबई का सरताज बनने की चाह रखे हुए है ,और बलराज उसके लिए एक मामूली प्यादा है ! दूसरी और बलराज अपने प्यार ‘रोजी ‘(अनुष्का शर्मा ) को क्लब की सिंगर बना देता है ,किन्तु उसका भी एक राज है ,जिसे वह बलराज से छिपा रही है ! इधर बलराज की इच्छाये भी बढती जा रही है, जिसके चलते खंबाटा से उसके रिश्ते में दरार आ जाती है , और रोजी के राज के कारण ‘खंबाटा ‘ उसकी जान का दुश्मन बन जाता है ,फिर बलराज और खंबाटा की लड़ाई का क्या अंजाम होता है ,यही बाकी कहानी है ! अब कहानी सुनकर तो अंदाजा लग ही गया होगा के यह कहानी बोलीवूड में न जाने कितनी बार सुनी सुनाई , देखि दिखाई है ! फिल्म में करन जोहर खंबाटा के रोल में खलनायक कम कॉमेडियन ज्यादा लगते है , फिल्म के बाकी कलाकारो ने बढ़िया अभिनय किया है ,केके मेनन को करने के लिए कुछ ख़ास नहीं था इसलिए वे वही करते नजर आये जो अब तक करते आये है ,अब उनमे दोहराव आने लगे है ,हर फिल्म में एक से भाव भी अच्छे नहीं लगते ! फिल्म जरुरत से ज्यादा डार्क है , फिल्म की नींव भले ही मुंबई है किन्तु फिल्म के परिदृश्य मुम्बई के कम और किसी अमरीकन गैंग्स्टर फिल्म की ज्यादा याद दिलाते है ! या फिर हो सकता है किसी फिल्म विशेष से प्रभावित हो ,फ़िल्मी जानकार यह बात देखते वक्त समझ भी जायेंगे , संगीत फिल्म के मुताबिक़ ही है ,कोई ऐसा गीत नहीं जिसे याद रखा जा सके ,हल्के पल न के बराबर ! वैसे फिल्म की बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट काफी डांवाडोल नजर आती है , जिससे फिल्म वितरको को घाटे का सौदा ही साबित हो सकती है ! अनुराग बेशक बोलीवूड के अलहदा निर्देशकों में से एक है , जुनूनी है , किन्तु कभी कभी यही जूनून घातक भी हो सकता है ! जिसका ताजा उदाहरण राम गोपाल वर्मा है जो एक समय बोलीवूड में सबसे अलग और उम्दा फिल्मकारों में गिने जाते थे , जीन्होने अपनी सनक में एक रौ में फिल्मे बनाई और काफी तारीफे बटोरी , किन्तु जल्द ही अति हो गई और अब उनकी फिल्मो से वितरक भी दूर भागते नजर आते है ! फ़िल्मी गलियारों में इस फिल्म को लेकर काफी नकारत्मकता देखि गई जिससे लगता है के कई लोग इस फिल्म के नकारात्मक रिजल्ट से खुश है , हां ये उनके लिए ख़ुशी की बात हो सकती है , क्योकि उन्होंने कभी भी कुछ हटकर देने का प्रयत्न नहीं किया और जिन्होंने किया उसकी असफलता स्वाभाविक रूप से उन्हें सुख देती हो ! राम गोपाल वर्मा भी ट्विटर पर फिल्म का मजाक बनाने से बाज नहीं आये जो स्वयम बोलीवूड में अपनी फिल्मो के जरिये मजाक बन चुके है ! हद तो कमाल खान ने की , स्वयम तो उलजलूल सी ग्रेड फिल्मो में अभिनय शब्द को शर्मा देनेवाला अभिनय करते है और अनुराग कश्यप को फिल्म बनाने का ढंग सिखाते फिरते है ! इस फिल्म के बहाने बोलीवूड के कुछ मसखरो की पहचान भी होती नजर आई ! उतार चढाव होते रहते है , अनुराग ने प्रयास किया ,किन्तु दांव नहीं चला , और वे उन फिल्मकारों में गिने जाते है जो अपनी असफलता से सीखते है न की बिफरते है ! ढाई स्टार देवेन पाण्डेय
शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

देवेन पाण्डेय जी, हमारे जो साथी फिल्मों में रूचि रखते हैं, उनके लिए अपने अच्छी जानकारी दी है...धन्यवाद !

20 मई 2015

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गहन खामोशी

7 मई 2015
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माँ और सिरका

10 मई 2015
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वो हमेशा माँ की नाक में दम किये रहता था। माँ हमेशा हैरान रहा करती थी। उसकी एक आदत बड़ी खराब थी, घर में रखे "सिरके" को चाटने की । सिरके का खट्टा स्वाद उसे बहुत पसंद था, जब भी मौका देखता दो चार चम्मच मार लेता । माँ ने इस तरह से सिरके को जूठा करने के लिये जमकर लताड़ा ,लेकिन उसे न समझना था। सो नही समझा

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बुफे सिस्टम

12 मई 2015
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गाँव कथा दिनांक 14 अप्रैल 2015 चंदनवा के यहाँ तिलक था ! राम आसरे यु तो न्योता खाने के बड़े शौक़ीन थे ,किन्तु उस दिन ज्यो न्योते में गए तो तुरंत ही वापस आ गए ! कल्लन ने भी सोचा न्योते में जाने के लिए राम आसरे को लेता चलु ,अकेले जाने से थोडा संकोच तो होता ही है खाने में ! दो जन रहेंगे तो थोड़ी बेफिक्

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फिल्म एक नजर में ( क्लासिक्स ) : गाईड ( १९६५ )

14 मई 2015
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निर्देशन: विजय आनंद निर्माता: देव आनंद कलाकार: देव आनंद, वहीदा रहमान, किशोर साहू,लीला चिटनिस लेखक: आर. के. नारायण (उपन्यास) संगीत: एस.डी.बर्मन

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धर्म के सेल्समैन !

19 मई 2015
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आज शाम को ऑफिस से आकर ज्यो ही आराम करने बैठा के दरवाजे पर दस्तक हुयी ! मैंने दरवाजा खोला तो सामने दो युवक खड़े थे ,दोनों के हाथ में हैंडबैग थे , मैंने पहले उन्हें देखा उन्होंने मुस्कुराहट दिखाई और न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा के ये या तो सेल्समैन है या किसी धर्म के प्रचारक ! मन तो किया के दरवाजा तुरंत ब

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फिल्म एक नजर में : बॉम्बे वेलवेट

20 मई 2015
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अग्ली ‘ के बाद अनुराग कश्यप अपनी नई फिल्म लेकर आये है , जो उनकी अब तक बनाई गई सभी फिल्मो से अलग है ! वैसे ‘बॉम्बे वेलवेट’ अनुराग का सपना रही है ,जिस पर उन्होंने वर्षो मेहनत की है , फिल्म देखते वक्त आपको वह मेहनत साफ़ नजर आती है ,उनकी लगन फिल्म में साफ़ झलकती है ! किन्तु सिर्फ फिल्मांकन तक ही ,कह

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पुस्तक समिक्षा : कोहबर की शर्त

28 मई 2015
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बड़े दिनों से इस पुस्तक की तलाश थी , बड़ी मुश्किल से मिली और मैंने एकाध पृष्ठ पलट कर देखे , पुस्तक कोई नया संस्करण नहीं था ! पुराना ही संस्करण था ,जिसमे से पुरानी पुस्तक की महक आ रही थी ,जो भीनी भीनी सी थी ! और इसी महक के कारण पुस्तक पढने का वातावरण भी तैयार हो गया , गंवई भाषा को देखकर पुस्तक से अप

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पुस्तक समीक्षा : बनारस टाकिज

10 जुलाई 2015
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बनारस टॉकीज : इस पुस्तक का मैंने हाल ही में बड़ा नाम सुना था ,काफी चर्चा हो रही थी शोशल जगत की आभासी दुनिया में ! हम तो ठहरे पुस्तक प्रेमी ,तो भला हम इससे कैसे अछूते रहते भला ! वैसे भी आजकल हिंदी लेखन भी अपनी पुख्ता पहचान बना रही है ,जो कुछ समय पहले तक लुप्तप्राय समझी जाती थी ,किन्तु नए लेखको ने इस

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फिल्म एक नजर में : बाहुबली दी बिगनिंग

12 जुलाई 2015
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एस राजामौली इ ऐसे निर्माता निर्देशक है जिनकी फिल्मो की प्रतीक्षा केवल टोलीवूड ही नहीं अपितु हिंदी दर्शक भी बेसब्री से करता है , उनकी पिछली फिल्मो के बारे में कुछ कहने की जरुरत नहीं है ! बाहुबली जैसी वरिश्द कथानक देने के पश्चात उनका नाम इसी फिल्म से जाना जायेगा यह कहना कोई आतिश्योक्ति नहीं ह

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फिल्म एक नजर में : बजरंगी भाईजान

19 जुलाई 2015
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कबीर खान ने बतौर निर्देशक अपनी फिल्म ‘काबुल एक्सप्रेस ‘ से काफी प्रशंषा बटोरी थी , कुछ समय बाद वे सलमान के साथ ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘ एक था टाईगर ‘ में नजर आये जो उनकी पिछली फिल्म से एकदम अलग थी और मसालेदार एक्शन से भरी थी ! सलमान भी लगातार एक्शन भूमिकाओं में दिखने लगे जिसमे वे काफी जमते

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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा

2 अगस्त 2015
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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा कारवां : एक खुनी यात्रा , कुछ अरसे पहले कॉमिक्स जगत काफी सदमे झेल चूका था , बड़ी बड़ी दिग्गज कॉमिक्स कम्पनीज बंद हो रही थी ! वजह कुछ भी रही हो ,पाठको की बदलती रूचि ,मनोरंजन के बढ़ते साधन , पढने में रूचि कम होना , एवं बदलते समय के साथ कॉमिक्स पाठको के विचार बदलना .

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मांझी दी माउन्टन मैन : ‘शानदार ,जबरजस्त ,जिंदाबाद ‘

22 अगस्त 2015
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बिहार के अतिपिछडे इलाके में जन्मे ‘दशरथ मांझी ‘ की सत्य कथा पर आधारित इस फिल्म के निर्माण होने की घोषणा होने पर उत्सुकता जगी थी के अब बॉलीवूड में कुछ तो सार्थक देखने को मिलेगा .और फिल्म देखने के पश्चात यह बात सत्य प्रतीत हुयी ,वैसे भी बॉलीवूड की हवा आजकल कुछ बदली हुयी है ! काफी रचनात्मक प्रयास आ रहे

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टैक्सीवाले भाईजान

21 सितम्बर 2015
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कल कही से वापसी में ऑटो मिल नहीं रही थी ! बारिश की वजह से ट्रैफिक बहुत थी .रिक्शा मिल नहीं रही थी ,एक काली पिली वैगन मिली जिसमे बैठ गया .ड्राइवर चालु भाषा का इस्तेमाल कर रहा था ,,ट्रैफिक लगेली है ,मूड की माँ बहन हो रेली है !!!!!! वगैरह वगैरह .खैर बैठा और गाडी चल पड़ी , रस्ते में ट्रैफिक की वजह से काफ

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फिल्म एक नजर में : वजीर

13 जनवरी 2016
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वजीर के ट्रेलर ने ही काफी उत्सुकता जगा दी थी ,जिसकी मुख्य वजह इसकी स्टारकास्ट भी थी .अमिताभ बच्चन ,फरहान अख्तर ,जॉन अब्राहम ,नील नितिन मुकेश , आदि ,ऊपर से विधु विनोद चोपड़ा का प्रोडक्शन एवम बिजॉय  नाम्बियार का निर्देशन जिनके निर्देशन में हमेशा कुछ हटके मिला है बोलीवूड को ,किन्तु सफलता हमेशा औसत ही र

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नटसम्राट

13 जनवरी 2016
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नटसम्राट ‘’एक त्रासदीपूर्ण एवम मर्मान्तक कथानक का नाट्य रुपंतरण एवंम फिल्म संस्करण .‘’महाराष्ट्र ‘’ नाम लेते ही आँखों के सामने मुगलों को नाको चने चबवा देनेवाले शिवाजी का चेहरा सामने आता है , यहाँ का इतिहास गौरवशाली है ! यहाँ की संस्कृति में कला को जो सम्मान है वह शायद ही कही और देखने को मिले , यहाँ

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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्ट

25 जनवरी 2016
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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्टपिच्छले कुछ समय से अक्षय काफी बढ़िया फिल्मो में नजर आ रहे है जो लीक से हटकर और उम्दा होती है ,कुछ अपवादों को यदि छोड़ दिया जाए तो .यदि बॉलीवुड के पिछले कुछ सालो को खंगाला जाये तो बेशक अक्षय ऐसे सुपरस्टार के तौर पपर उभरते है जो बिना किसी शोरशराबे के अपनी जगह बना रहे है जिससे

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