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फिल्म एक नजर में : बाहुबली दी बिगनिंग

12 जुलाई 2015

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एस राजामौली इ ऐसे निर्माता निर्देशक है जिनकी फिल्मो की प्रतीक्षा केवल टोलीवूड ही नहीं अपितु हिंदी दर्शक भी बेसब्री से करता है , उनकी पिछली फिल्मो के बारे में कुछ कहने की जरुरत नहीं है ! बाहुबली जैसी वरिश्द कथानक देने के पश्चात उनका नाम इसी फिल्म से जाना जायेगा यह कहना कोई आतिश्योक्ति नहीं होगी . राजामौली की वर्षो की मेहनत एवं लगन का परिणाम है यह फिल्म ,जिसके हर दृश्य में वह मेहनत साफ़ नजर आती है ! इसे भारत की सबसे महंगी फिल्म बताया गया है जो फिल्म देखने के पश्चात सही भी लगती है ,और ऐसा एक भी दृश्य नहीं दिखता जिसमे ग्राफिक्स बर्बाद किये गए हो ,हां कहानी आपको जरुर नयी न लगे किन्तु इसका भव्य प्रस्तुतिकरण आपकी आँखे चौंधिया देगा और यह वजह पर्याप्त होगा इसे देखने के लिए ! ऐसी फिल्म के लिए दक्षिण के निर्माताओ की प्रसंशा करनी होगी , बोलीवूड को न जाने कब ऐसा सौभाग्य प्राप्त होगा . कहानी है एक ऐसे बालक की जो एक काबिले में पला बढ़ा है जो एक विशालकाय गगनचुम्बी जलप्रपात के परीसर में रहता है , उस बालक ‘शिविडू ‘ ( प्रभास ) के मन में हमेशा से उस जलप्रपात का आकर्षण बना हुवा है , वो उस जलप्रपात के ऊपर जाकर देखना चाहता है के वहा कौन रहता है और उसका उनसे क्या संबंध है ! उसकी माँ उसके इस व्यवहार से परेशान है और उसे प्रपात पर न जाने देने के लिए लिए तरह तरह यत्न करती है ! किन्तु एक दिन ‘शिविडू ‘ अपने प्रयत्न में सफल होता है और जलपर्वत के ऊपर पहुँच जाता है , वहा उसकी भेंट होती है ‘अवन्तिका ‘ ( तमन्ना ) से जो एक विद्रोही है, और एक विद्रोही संगठन से जुडी हुयी है जिनका राज्य ‘महिष्मति ‘ गुलामी की अवस्था में है और उनपर क्रूर शाषक ‘भल्लालदेव ‘ ( राणा दागुबति ) का राज है , शिविडू को अवन्तिका से प्रेम हो जाता है और इसी के साथ उसका संबंध भी खुलता है , वह महिष्मती राजपरिवार का वंशज है और उसके पिता ‘बाहुबली ‘ के राज्य के साथ ही उसकी ‘माँ ‘ ‘देवसेना ‘ ( अनुष्का ) को भी भल्लालदेव से स्वतंत्र कराना अब उसकी जिम्मेदारी है ! और यहाँ से खुलता है माहिष्मती इतिहास का रक्तिम अध्याय , जो शिविडू के अतीत के साथ उसके वर्तमान को भी प्रभावित करता है , अब आगे क्या होगा यह प्रश्न तो मात्र एक शुरुवात है ! फिल्म की कहानी एक विचित्र मोड़ पर आकर खत्म होती है , दुसरा भाग २०१६ में आना है जिसके पश्चात अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे ! सबसे पहले बात करूँगा फिल्म के ग्राफिक्स की ,जो इतने लाजवाब है के आपको लगेगा ही नहीं के आप कोई भारतीय फिल्म देख रहे है ! फिल्म के शुरुवाती दृश्यों में विहंगम जलप्रपात का दृश्य देखते ही हृदय कांप उठता है , अलौकिक सुन्दरता अप्रतिम दृश्य के दर्शक उस मनोरम वातवरण में खो जाए ! फिल्म का फिल्म का प्रथम भाग थोडा सुस्त लगता है , किन्तु मध्यांतर के पश्चात फिल्म द्रुत गति से आगे बढती है, फिल्म के अंत में बाहुबली और उसके भाई ‘भल्लाल देव ‘ की एक आदिम काबिले की विशालकाय सेना के साथ युद्ध के दृश्य आपको होलीवूड के समकक्ष दीखते है ,कुछ जगहो पर चर्चा थी के इसके युद्ध दृश्य हाल ही में आई ‘हरक्युलिस ‘ के युद्ध दृश्यों से प्रभावित है ! किन्तु आप फिल्म देखिये और आपको यह महसूस होगा के युद्ध के दृश्य होलीवूड की उस फिल्म के दृश्य से कई गुना अधिक प्रभावी है बेहतरीन है ! वैसे भी यह फिल्म काफी वर्षो से बन रही है और इसकी तुलना इससे नहीं की जा सकती ! कुछ दृश्यों में एवं स्टंट्स में अंग्रेजी फिल्म 300 की झलक दिखती है , किन्तु उनकी संख्या नगण्य है ,आसानी से नजरअंदाज कर सकते है ! फिल्म की लागत का 85 प्रतिशत भाग फिल्म के ग्राफिक्स पर खर्च किया गया जिसका असार परदे पर साफ़ दिखता है और उसकी भव्यता झलकती है ! आजकल थ्रीडी फिल्मो का चलन भी जोर पकड रहा है किन्तु यह फिल्म बिना थ्रीडी के भी बेहतरीन लगती है जिसे किसी थ्रीडी टेक्नोलोजी की जरुरत नहीं है ! फिल्म का कमजोर पक्ष केवल इसके गीत कह सकते है ( जो शायद हिंदी डब के कारण उकताहट भरे प्रतीत होते है ) जो न केवल फिल्म को बेवजह खींचते है बल्कि फिल्म की गति को भी बाधित करते है,केवल कैलाश खेर एवं शान के गाये गाने ही नेपथ्य में जमते है जो कहानी को आगे बढाते है ! एक्टिंग में प्रभास ,राणा प्रभावी रहे है तो अनुष्का एकदम अलग और ग्लैमर लैस किरदार में है , तमन्ना का एक अलग रूप देखने को मिलता है किन्तु कही कही अति की शिकार हो गयी लगता है ,’कट्प्पा ‘ के रूप में अभिनेता ‘सत्यराज ‘ भी प्रभावित करते है , एक किरदार के जिक्र के बगैर फिल्म अधूरी है वो है महारानी बनी ‘राम्या कृष्णन ‘ जो एक क्रूर महरानी से कब एक ममतामयी माँ में तब्दील हो जाती है इसका पता ही नहीं चलता !, जो एक तरफ से कुशल राजनीतीज्ञ है तो दूसरी ओर सौम्य हृदय माँ . एक ख़ास बात और हाल ही मे रिलीज हुई 'जुरासिक वर्ल्ड' और 'बाहुबली' फिल्मों मे एक ही विजुअल इफैक्ट टीम ने काम किया है ! बाहुबली को 4000 सिनेमा घरों मे रिलीज किया गया है जिनमें 135 अकेले अमेरिका मे हैं बाहुबली स्क्रीन काउंट के लिहाज से अब तक की सबसे बड़ी डबिंग की गई फिल्म है, बाहुबली फिल्म ऐसी पहली भारतीय फिल्म है जो भाषा के बंधन को तोड़कर पूरे देश में चर्चा एवं उत्सुकता बनाने में सफल हुयी है ,ओपनिंग के लिहाज से ये भारतीय फिल्मो की सबसे बड़ी ओपनिंग है ! पहले दिन के आंकड़े 60 करोड़ से 75 करोड़ तक बताये जा रहे है ,यदि यह सत्य है तो शायद ही कोई और भारतीय फिल्म अरसे तक इस रिकॉर्ड को ध्वस्त कर पाये . फिल्म दो भागो में बनी है जिस कारण कथानक सम्पूर्ण नहीं है , और यह मात्र शुरुवात थी ! जब शुरुवात ऐसी है तो अंत कैसा होगा ? यह उत्सुकता का विषय है . कुल मिला कर एक भरपूर पैसा वसूल फिल्म है ,जिसे निसंकोच होकर देखा जा सकता है ! मनोरंजन के लिहाज से और ग्राफिक्स के लिहाज से फिल्म को पांच में से पांच अंकन देने का कोई कारण नजर नहीं आता . देवेन पाण्डेय
मंजीत सिंह

मंजीत सिंह

मैंने जी हां ,शानदार है

13 जुलाई 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

बहुत सुन्दर समीक्षा लिखी है देवेन जी, शेष निर्णय तो दर्शक मित्र करेंगे...जानकारी हेतु धन्यवाद !

13 जुलाई 2015

योगिता वार्डे ( खत्री )

योगिता वार्डे ( खत्री )

जानकारी के लिए धन्यवाद देवेन जी

13 जुलाई 2015

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गहन खामोशी

7 मई 2015
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माँ और सिरका

10 मई 2015
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वो हमेशा माँ की नाक में दम किये रहता था। माँ हमेशा हैरान रहा करती थी। उसकी एक आदत बड़ी खराब थी, घर में रखे "सिरके" को चाटने की । सिरके का खट्टा स्वाद उसे बहुत पसंद था, जब भी मौका देखता दो चार चम्मच मार लेता । माँ ने इस तरह से सिरके को जूठा करने के लिये जमकर लताड़ा ,लेकिन उसे न समझना था। सो नही समझा

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बुफे सिस्टम

12 मई 2015
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गाँव कथा दिनांक 14 अप्रैल 2015 चंदनवा के यहाँ तिलक था ! राम आसरे यु तो न्योता खाने के बड़े शौक़ीन थे ,किन्तु उस दिन ज्यो न्योते में गए तो तुरंत ही वापस आ गए ! कल्लन ने भी सोचा न्योते में जाने के लिए राम आसरे को लेता चलु ,अकेले जाने से थोडा संकोच तो होता ही है खाने में ! दो जन रहेंगे तो थोड़ी बेफिक्

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फिल्म एक नजर में ( क्लासिक्स ) : गाईड ( १९६५ )

14 मई 2015
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निर्देशन: विजय आनंद निर्माता: देव आनंद कलाकार: देव आनंद, वहीदा रहमान, किशोर साहू,लीला चिटनिस लेखक: आर. के. नारायण (उपन्यास) संगीत: एस.डी.बर्मन

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धर्म के सेल्समैन !

19 मई 2015
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आज शाम को ऑफिस से आकर ज्यो ही आराम करने बैठा के दरवाजे पर दस्तक हुयी ! मैंने दरवाजा खोला तो सामने दो युवक खड़े थे ,दोनों के हाथ में हैंडबैग थे , मैंने पहले उन्हें देखा उन्होंने मुस्कुराहट दिखाई और न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा के ये या तो सेल्समैन है या किसी धर्म के प्रचारक ! मन तो किया के दरवाजा तुरंत ब

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फिल्म एक नजर में : बॉम्बे वेलवेट

20 मई 2015
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अग्ली ‘ के बाद अनुराग कश्यप अपनी नई फिल्म लेकर आये है , जो उनकी अब तक बनाई गई सभी फिल्मो से अलग है ! वैसे ‘बॉम्बे वेलवेट’ अनुराग का सपना रही है ,जिस पर उन्होंने वर्षो मेहनत की है , फिल्म देखते वक्त आपको वह मेहनत साफ़ नजर आती है ,उनकी लगन फिल्म में साफ़ झलकती है ! किन्तु सिर्फ फिल्मांकन तक ही ,कह

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पुस्तक समिक्षा : कोहबर की शर्त

28 मई 2015
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बड़े दिनों से इस पुस्तक की तलाश थी , बड़ी मुश्किल से मिली और मैंने एकाध पृष्ठ पलट कर देखे , पुस्तक कोई नया संस्करण नहीं था ! पुराना ही संस्करण था ,जिसमे से पुरानी पुस्तक की महक आ रही थी ,जो भीनी भीनी सी थी ! और इसी महक के कारण पुस्तक पढने का वातावरण भी तैयार हो गया , गंवई भाषा को देखकर पुस्तक से अप

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पुस्तक समीक्षा : बनारस टाकिज

10 जुलाई 2015
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बनारस टॉकीज : इस पुस्तक का मैंने हाल ही में बड़ा नाम सुना था ,काफी चर्चा हो रही थी शोशल जगत की आभासी दुनिया में ! हम तो ठहरे पुस्तक प्रेमी ,तो भला हम इससे कैसे अछूते रहते भला ! वैसे भी आजकल हिंदी लेखन भी अपनी पुख्ता पहचान बना रही है ,जो कुछ समय पहले तक लुप्तप्राय समझी जाती थी ,किन्तु नए लेखको ने इस

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फिल्म एक नजर में : बाहुबली दी बिगनिंग

12 जुलाई 2015
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एस राजामौली इ ऐसे निर्माता निर्देशक है जिनकी फिल्मो की प्रतीक्षा केवल टोलीवूड ही नहीं अपितु हिंदी दर्शक भी बेसब्री से करता है , उनकी पिछली फिल्मो के बारे में कुछ कहने की जरुरत नहीं है ! बाहुबली जैसी वरिश्द कथानक देने के पश्चात उनका नाम इसी फिल्म से जाना जायेगा यह कहना कोई आतिश्योक्ति नहीं ह

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फिल्म एक नजर में : बजरंगी भाईजान

19 जुलाई 2015
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कबीर खान ने बतौर निर्देशक अपनी फिल्म ‘काबुल एक्सप्रेस ‘ से काफी प्रशंषा बटोरी थी , कुछ समय बाद वे सलमान के साथ ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘ एक था टाईगर ‘ में नजर आये जो उनकी पिछली फिल्म से एकदम अलग थी और मसालेदार एक्शन से भरी थी ! सलमान भी लगातार एक्शन भूमिकाओं में दिखने लगे जिसमे वे काफी जमते

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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा

2 अगस्त 2015
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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा कारवां : एक खुनी यात्रा , कुछ अरसे पहले कॉमिक्स जगत काफी सदमे झेल चूका था , बड़ी बड़ी दिग्गज कॉमिक्स कम्पनीज बंद हो रही थी ! वजह कुछ भी रही हो ,पाठको की बदलती रूचि ,मनोरंजन के बढ़ते साधन , पढने में रूचि कम होना , एवं बदलते समय के साथ कॉमिक्स पाठको के विचार बदलना .

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मांझी दी माउन्टन मैन : ‘शानदार ,जबरजस्त ,जिंदाबाद ‘

22 अगस्त 2015
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बिहार के अतिपिछडे इलाके में जन्मे ‘दशरथ मांझी ‘ की सत्य कथा पर आधारित इस फिल्म के निर्माण होने की घोषणा होने पर उत्सुकता जगी थी के अब बॉलीवूड में कुछ तो सार्थक देखने को मिलेगा .और फिल्म देखने के पश्चात यह बात सत्य प्रतीत हुयी ,वैसे भी बॉलीवूड की हवा आजकल कुछ बदली हुयी है ! काफी रचनात्मक प्रयास आ रहे

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टैक्सीवाले भाईजान

21 सितम्बर 2015
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कल कही से वापसी में ऑटो मिल नहीं रही थी ! बारिश की वजह से ट्रैफिक बहुत थी .रिक्शा मिल नहीं रही थी ,एक काली पिली वैगन मिली जिसमे बैठ गया .ड्राइवर चालु भाषा का इस्तेमाल कर रहा था ,,ट्रैफिक लगेली है ,मूड की माँ बहन हो रेली है !!!!!! वगैरह वगैरह .खैर बैठा और गाडी चल पड़ी , रस्ते में ट्रैफिक की वजह से काफ

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फिल्म एक नजर में : वजीर

13 जनवरी 2016
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वजीर के ट्रेलर ने ही काफी उत्सुकता जगा दी थी ,जिसकी मुख्य वजह इसकी स्टारकास्ट भी थी .अमिताभ बच्चन ,फरहान अख्तर ,जॉन अब्राहम ,नील नितिन मुकेश , आदि ,ऊपर से विधु विनोद चोपड़ा का प्रोडक्शन एवम बिजॉय  नाम्बियार का निर्देशन जिनके निर्देशन में हमेशा कुछ हटके मिला है बोलीवूड को ,किन्तु सफलता हमेशा औसत ही र

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नटसम्राट

13 जनवरी 2016
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नटसम्राट ‘’एक त्रासदीपूर्ण एवम मर्मान्तक कथानक का नाट्य रुपंतरण एवंम फिल्म संस्करण .‘’महाराष्ट्र ‘’ नाम लेते ही आँखों के सामने मुगलों को नाको चने चबवा देनेवाले शिवाजी का चेहरा सामने आता है , यहाँ का इतिहास गौरवशाली है ! यहाँ की संस्कृति में कला को जो सम्मान है वह शायद ही कही और देखने को मिले , यहाँ

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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्ट

25 जनवरी 2016
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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्टपिच्छले कुछ समय से अक्षय काफी बढ़िया फिल्मो में नजर आ रहे है जो लीक से हटकर और उम्दा होती है ,कुछ अपवादों को यदि छोड़ दिया जाए तो .यदि बॉलीवुड के पिछले कुछ सालो को खंगाला जाये तो बेशक अक्षय ऐसे सुपरस्टार के तौर पपर उभरते है जो बिना किसी शोरशराबे के अपनी जगह बना रहे है जिससे

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