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फिल्म एक नजर में : बजरंगी भाईजान

19 जुलाई 2015

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कबीर खान ने बतौर निर्देशक अपनी फिल्म ‘काबुल एक्सप्रेस ‘ से काफी प्रशंषा बटोरी थी , कुछ समय बाद वे सलमान के साथ ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘ एक था टाईगर ‘ में नजर आये जो उनकी पिछली फिल्म से एकदम अलग थी और मसालेदार एक्शन से भरी थी ! सलमान भी लगातार एक्शन भूमिकाओं में दिखने लगे जिसमे वे काफी जमते भी थे एवं हिट भी रहे ! ऐसे में जब सलमान एक एक्शन स्टार के रूप में अपनी इमेज मजबूत कर चुके है , ‘बजरंगी भाईजान ‘ जैसी भावुक फिल्म करना एक हिसाब से रिस्क ही कहा जायेगा ! फिल्म रिलीज के पहले काफी विवाद बटोर चुकी है ,कुछ संगठनों को इसके नाम पर ऐतराज था ! किन्तु यदि ये फिल्म और उसका कथानक देखा जाये तो आपको इसके नाम पर गर्व होगा न की विषाद . फिल्म की कहानी के केंद्र में है ‘मुन्नी ‘ ( हर्शाली मल्होत्रा ) जो एक छह साल की बालिका है , एवं एक दुर्घटना के कारण बोल नहीं सकती ! उसकी माता उसे भारत इसी सिलसिले में लेकर आती है ,और वापसी में ‘अटारी ‘ स्टेशन पर मुन्नी बिछड़ जाती है . और मिलती है ‘पवन चतुर्वेदी ‘ ( सलमान खान ) से जो ‘बजरंगी ‘ नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है ! पवन एक सीधा साधा व्यक्ति है और बजरंगबली जी का भक्त है , और वह इस बच्ची से पहले तो पीछा छुड़ाना चाहता है किन्तु जल्द ही वो इसे वापस अपने घर पहुँचाने की ठान लेता है ! उस वक्त उसे पता नहीं होता के मुन्नी पाकिस्तान से है , वह एक कट्टर परिवार के साथ रहता है जिसका प्रमुख ( शरत सक्सेना ) उसके स्वर्गीय पिता का मित्र है ,और जब उन्हें पता चलता है तो वह उसे पाकिस्तानी एम्बेसी छोड़ने के लिए कहते है , किन्तु एम्बेसी के सामने पवन मुन्नी को पाकिस्तानी नहीं साबित कर पाता और न ही उसके पास पासपोर्ट है जिसके कारण उसे भगा दिया जाता है ! सब रास्ते बंद देख कर पवन स्वयम मुन्नी को पाकिस्तान पहुँचाने की ठानता है ,जिसमे उसका साथ देती है ‘रसिका ‘ ( करीना ) जिनके यहाँ पवन मेहमान है अपने प्रयत्नों से पवन पाकिस्तान पहुँच तो जाता है ,किन्तु अवैध प्रवेश के कारण उसे बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ! वहा पहुँचते ही उसे भारतीय जासूस घोषित कर दिया जाता है ,और सारी पुलिस और मिलिट्री उसकी तलाश में लग जाती है , तब उनका साथ देता है ‘चाँदनवाज ‘ ( नवजुद्दीन सिद्दीकी ) जो एक लोकल पत्रकार है और किसी धमाकेदार खबर की तलाश में है ! पहले पहल वह पवन को भारतीय जासूस मान लेता है किन्तु उसकी कहानी जानकर वह उसकी सहायता करता है ! फिर क्या होता है ,मुन्नी वापस अपने घर पहुँच पाती है या नहीं ? पवन सुरक्षित भारत वापस आता है या नहीं ? यही अगली कहानी है , जिसे फिल्म में ही देखे तो अच्छा . कहानी सीधी है ,बिना किसी लागलपेट के ! और दर्शको के मन को छूने वाली , सलमान अपनी एक्शन इमेज से विपरीत रहे है ,एकाध एक्शन दृश्य है नाममात्र के , वे भी कहानी के हिसाब से सही है ! फिल्म की कहानी के हिसाब से यह एक जबरदस्त एक्शन फिल्म हो सकती थी ,किन्तु इससे बचा गया है और फिल्म में कही भी रंजकता को स्थान देने के बजे मानवीय मूल्यों को अधिक प्राथमिकता दी गयी है . पवन के चरित्र में सलमान काफी भावुक करते है ,तो मुन्नी के अभिनय में नन्ही हर्शाली सबका दिल जीत लेती है ! पूरी फिल्म में बिना एक भी संवाद के वे सबका दिल जीत लेती है ! फिल्म में कई भावनात्मक पल है जो बरबस ही पलके नम कर देते है तो कभी मुस्कुराने पर विवश कर देते है ! रसिका के अभिनय में करीना मात्र खानापूर्ति करती है ,वैसे भी उनका रोल ज्यादा नहीं है मध्यांतर के पश्चात लगभग नदारद रही है ! तो फिल्म में अपनी दमदार छाप छोड़ते है ‘नवाजुद्दीन सिद्दीकी ‘ जो एक लोकल मीडियाकर्मी की भूमिका में गुदगुदाते है , कही कही तो वे सलमान पर भी भारी पड़ते दिखे है , संगीत पक्ष में एकाद हिट गाने ही है ,बाकी बेवजह का कोई गीत हो ऐसा महसूस नहीं हुवा , केवल एक युगल गीत को अपवाद रखे तो ,साफ़ सुथरी मनोरंजक फिल्म है जिसे पुरे परिवार के साथ देखा जा सकता है ,फिल्म में न तो किसी धर्म का उपहास है और न ही किसी मजहब का मजाक ,कोई भाई भरकम उपदेश भी नहीं देती ! क्लाईमैक्स थोडा नाटकीय हो गया . चार स्टार देवेन पाण्डेय
शब्दनगरी संगठन

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देवेन जी, आप फिल्म समीक्षा बहुत अच्छी लिखते हैं, आपके अन्य लेख भी बहुत सुन्दर होते हैं, हम कामना करते हैं कि फिल्म या किसी अन्य क्षेत्र के लेखन में आप पूर्ण सफलता प्राप्त करें. धन्यवाद !

20 जुलाई 2015

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गहन खामोशी

7 मई 2015
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माँ और सिरका

10 मई 2015
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वो हमेशा माँ की नाक में दम किये रहता था। माँ हमेशा हैरान रहा करती थी। उसकी एक आदत बड़ी खराब थी, घर में रखे "सिरके" को चाटने की । सिरके का खट्टा स्वाद उसे बहुत पसंद था, जब भी मौका देखता दो चार चम्मच मार लेता । माँ ने इस तरह से सिरके को जूठा करने के लिये जमकर लताड़ा ,लेकिन उसे न समझना था। सो नही समझा

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बुफे सिस्टम

12 मई 2015
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गाँव कथा दिनांक 14 अप्रैल 2015 चंदनवा के यहाँ तिलक था ! राम आसरे यु तो न्योता खाने के बड़े शौक़ीन थे ,किन्तु उस दिन ज्यो न्योते में गए तो तुरंत ही वापस आ गए ! कल्लन ने भी सोचा न्योते में जाने के लिए राम आसरे को लेता चलु ,अकेले जाने से थोडा संकोच तो होता ही है खाने में ! दो जन रहेंगे तो थोड़ी बेफिक्

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फिल्म एक नजर में ( क्लासिक्स ) : गाईड ( १९६५ )

14 मई 2015
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निर्देशन: विजय आनंद निर्माता: देव आनंद कलाकार: देव आनंद, वहीदा रहमान, किशोर साहू,लीला चिटनिस लेखक: आर. के. नारायण (उपन्यास) संगीत: एस.डी.बर्मन

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धर्म के सेल्समैन !

19 मई 2015
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आज शाम को ऑफिस से आकर ज्यो ही आराम करने बैठा के दरवाजे पर दस्तक हुयी ! मैंने दरवाजा खोला तो सामने दो युवक खड़े थे ,दोनों के हाथ में हैंडबैग थे , मैंने पहले उन्हें देखा उन्होंने मुस्कुराहट दिखाई और न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा के ये या तो सेल्समैन है या किसी धर्म के प्रचारक ! मन तो किया के दरवाजा तुरंत ब

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फिल्म एक नजर में : बॉम्बे वेलवेट

20 मई 2015
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अग्ली ‘ के बाद अनुराग कश्यप अपनी नई फिल्म लेकर आये है , जो उनकी अब तक बनाई गई सभी फिल्मो से अलग है ! वैसे ‘बॉम्बे वेलवेट’ अनुराग का सपना रही है ,जिस पर उन्होंने वर्षो मेहनत की है , फिल्म देखते वक्त आपको वह मेहनत साफ़ नजर आती है ,उनकी लगन फिल्म में साफ़ झलकती है ! किन्तु सिर्फ फिल्मांकन तक ही ,कह

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पुस्तक समिक्षा : कोहबर की शर्त

28 मई 2015
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बड़े दिनों से इस पुस्तक की तलाश थी , बड़ी मुश्किल से मिली और मैंने एकाध पृष्ठ पलट कर देखे , पुस्तक कोई नया संस्करण नहीं था ! पुराना ही संस्करण था ,जिसमे से पुरानी पुस्तक की महक आ रही थी ,जो भीनी भीनी सी थी ! और इसी महक के कारण पुस्तक पढने का वातावरण भी तैयार हो गया , गंवई भाषा को देखकर पुस्तक से अप

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पुस्तक समीक्षा : बनारस टाकिज

10 जुलाई 2015
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बनारस टॉकीज : इस पुस्तक का मैंने हाल ही में बड़ा नाम सुना था ,काफी चर्चा हो रही थी शोशल जगत की आभासी दुनिया में ! हम तो ठहरे पुस्तक प्रेमी ,तो भला हम इससे कैसे अछूते रहते भला ! वैसे भी आजकल हिंदी लेखन भी अपनी पुख्ता पहचान बना रही है ,जो कुछ समय पहले तक लुप्तप्राय समझी जाती थी ,किन्तु नए लेखको ने इस

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फिल्म एक नजर में : बाहुबली दी बिगनिंग

12 जुलाई 2015
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एस राजामौली इ ऐसे निर्माता निर्देशक है जिनकी फिल्मो की प्रतीक्षा केवल टोलीवूड ही नहीं अपितु हिंदी दर्शक भी बेसब्री से करता है , उनकी पिछली फिल्मो के बारे में कुछ कहने की जरुरत नहीं है ! बाहुबली जैसी वरिश्द कथानक देने के पश्चात उनका नाम इसी फिल्म से जाना जायेगा यह कहना कोई आतिश्योक्ति नहीं ह

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फिल्म एक नजर में : बजरंगी भाईजान

19 जुलाई 2015
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कबीर खान ने बतौर निर्देशक अपनी फिल्म ‘काबुल एक्सप्रेस ‘ से काफी प्रशंषा बटोरी थी , कुछ समय बाद वे सलमान के साथ ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘ एक था टाईगर ‘ में नजर आये जो उनकी पिछली फिल्म से एकदम अलग थी और मसालेदार एक्शन से भरी थी ! सलमान भी लगातार एक्शन भूमिकाओं में दिखने लगे जिसमे वे काफी जमते

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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा

2 अगस्त 2015
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कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा कारवां : एक खुनी यात्रा , कुछ अरसे पहले कॉमिक्स जगत काफी सदमे झेल चूका था , बड़ी बड़ी दिग्गज कॉमिक्स कम्पनीज बंद हो रही थी ! वजह कुछ भी रही हो ,पाठको की बदलती रूचि ,मनोरंजन के बढ़ते साधन , पढने में रूचि कम होना , एवं बदलते समय के साथ कॉमिक्स पाठको के विचार बदलना .

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मांझी दी माउन्टन मैन : ‘शानदार ,जबरजस्त ,जिंदाबाद ‘

22 अगस्त 2015
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बिहार के अतिपिछडे इलाके में जन्मे ‘दशरथ मांझी ‘ की सत्य कथा पर आधारित इस फिल्म के निर्माण होने की घोषणा होने पर उत्सुकता जगी थी के अब बॉलीवूड में कुछ तो सार्थक देखने को मिलेगा .और फिल्म देखने के पश्चात यह बात सत्य प्रतीत हुयी ,वैसे भी बॉलीवूड की हवा आजकल कुछ बदली हुयी है ! काफी रचनात्मक प्रयास आ रहे

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टैक्सीवाले भाईजान

21 सितम्बर 2015
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कल कही से वापसी में ऑटो मिल नहीं रही थी ! बारिश की वजह से ट्रैफिक बहुत थी .रिक्शा मिल नहीं रही थी ,एक काली पिली वैगन मिली जिसमे बैठ गया .ड्राइवर चालु भाषा का इस्तेमाल कर रहा था ,,ट्रैफिक लगेली है ,मूड की माँ बहन हो रेली है !!!!!! वगैरह वगैरह .खैर बैठा और गाडी चल पड़ी , रस्ते में ट्रैफिक की वजह से काफ

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फिल्म एक नजर में : वजीर

13 जनवरी 2016
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वजीर के ट्रेलर ने ही काफी उत्सुकता जगा दी थी ,जिसकी मुख्य वजह इसकी स्टारकास्ट भी थी .अमिताभ बच्चन ,फरहान अख्तर ,जॉन अब्राहम ,नील नितिन मुकेश , आदि ,ऊपर से विधु विनोद चोपड़ा का प्रोडक्शन एवम बिजॉय  नाम्बियार का निर्देशन जिनके निर्देशन में हमेशा कुछ हटके मिला है बोलीवूड को ,किन्तु सफलता हमेशा औसत ही र

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नटसम्राट

13 जनवरी 2016
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नटसम्राट ‘’एक त्रासदीपूर्ण एवम मर्मान्तक कथानक का नाट्य रुपंतरण एवंम फिल्म संस्करण .‘’महाराष्ट्र ‘’ नाम लेते ही आँखों के सामने मुगलों को नाको चने चबवा देनेवाले शिवाजी का चेहरा सामने आता है , यहाँ का इतिहास गौरवशाली है ! यहाँ की संस्कृति में कला को जो सम्मान है वह शायद ही कही और देखने को मिले , यहाँ

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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्ट

25 जनवरी 2016
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फिल्म एक नजर में : एयरलीफ्टपिच्छले कुछ समय से अक्षय काफी बढ़िया फिल्मो में नजर आ रहे है जो लीक से हटकर और उम्दा होती है ,कुछ अपवादों को यदि छोड़ दिया जाए तो .यदि बॉलीवुड के पिछले कुछ सालो को खंगाला जाये तो बेशक अक्षय ऐसे सुपरस्टार के तौर पपर उभरते है जो बिना किसी शोरशराबे के अपनी जगह बना रहे है जिससे

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