कद छोटा, बढ़ाने की ख्वाहिश,
करता बढ़ने की आजमाइश,
माँ के रूप में पड़ोसन आई,
खाने को दी बढ़ने की दवाई,
कद बढ़ने का अर्थ खो गया,
पेट में भयंकर दर्द हो गया,
चीखते-चीखते ख़ामोशी छाई,
जीवन की आखिरी नींद आई,
जाने से पहले इतना बताया,
पड़ोसन आंटी ने दवा खिलाया,
बच्चे में कोई दुर्भावना न थी,
पड़ोसन में माँ की भावना न थी,
छोटी बात का था यह झगड़ा,
फिर यह कैसा हो गया रगड़ा,
ममता का यह क्रूर स्वरुप,
जैसे किसी दानवी का रूप,
छल से बच्चे को मार दिया,
ममता की गोद उजाड़ दिया,
ऐसी नारी को धित्कार…….
ममता में क्रूरता नहीं स्वीकार ।
विजय कुमार सिंह
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