- = + = दोराहा - = + =
हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा
हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा;
भटकन से भरा, स्थायित्व से भरा होता है दोराहा।
जिसे जो राह चलना है, चुन ले, सब देता है दोराहा;
होश में रहें, साफ साफ देखें, सब से भरा होता है दोराहा।
भटकते ही रहना है तो, बाहर बाहर रहें सदा, यह अवसर भी देता दोराहा;
स्थायित्व की राह अंदर की ओर है, स्वयं से जुड़ने का अवसर भी देता दोराहा।
हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा।
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हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा;
हित से भरा, अहित से भरा होता है दोराहा।
हम स्वयं जो चाहें चयन कर लें, अवसर देता दोराहा;
हम स्वयं का हित चुने, अहित चुने, अवसर देता दोराहा।
हित, अहित को खण्ड खण्ड करें तो हम कह सकते हैं कि;
भटकन से भरा, स्थायित्व से भरा;
खुशी से भरा, उदासी से भरा;
शांति से भरा, अशांति से भरा;
उत्थान से भरा, पतन से भरा;
मुक्ति से भरा, बंधन से भरा;
आनंद से भरा, दुख परेशानी से भरा;
इस तरह की जोड़ियों से भरा होता है दोराहा।
हम स्वयं जो चाहें चयन कर लें, अवसर देता दोराहा;
हम स्वयं का हित चुने, अहित चुने, अवसर देता दोराहा।
हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा।
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हम हर क्षण स्वयं का हित चुने, क्यों करें मन का चाहा;
हम विचारें, क्या होता है जब हम करतें हैं मन का चाहा।
सचेत रहें, तैयार रहें, हित चुनते रहें, यह सतत क्रिया है;
क्योंकि हर क्षण में सदा छिपा रहता है दोराहा;
हम सदा चुनेंगे हित, क्या हुआ जो हर क्षण में छिपा रहता है दोराहा।
हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा;
हर क्षण, नया क्षण, सदा साथ लाता है दोराहा।
उदय पूना