* विश्वास,अविश्वास,और विज्ञान मार्ग गाथा *
( मनन - 3 )
विश्वास-मार्ग,अविश्वास-मार्ग,
जानना है, क्या हैं इनको करने के आधार-मार्ग, और समझना इनकी गाथा है।01।
बिना जाने ही स्वीकार कर लेना *विश्वास* है;
निज अनुभव में आधार नहीं है कि स्वीकार किया जाये;
फिर भी बिना आधार के ही स्वीकार कर के चलने लगना *विश्वास* है।
और, बिना जाने ही नकार देना *अविश्वास* है;
निज अनुभव में आधार नहीं है कि नकार दिया जाये,
फिर भी बिना आधार के ही नकारते हुये चलने लगना *अविश्वास* है।02-i।
दोनों में ही सचाई का द्वार बंद करते हैं हम;
और खोज करने का द्वार भी बंद करते हैं हम।
गलती से नया मिल जाये तो अलग बात है;
पर यैसा नहीं पहचानेंगे हम, इसे उपलब्धि के रूप में देखेंगे;
और अपनी मान्यता का प्रसाद मानेंगे हम।02-ii।
कुछ नया करने का मार्ग बंद है;
उन्नति करने का भी मार्ग बंद है।
संक्षेप में इतना ही सार है;
दो पहलू हैं पर सिक्का एक है।02-iii।
प्रगति का मार्ग खुलता गया वैज्ञानिक-सोच से;
नया करने का मार्ग खुलता गया वैज्ञानिक-सोच से।
वैज्ञानिक-सोच ने जानने का मार्ग अपनाया, जो मार्ग प्रमाणित किया जा सके उस पर आगे बढे;
जो कार्य पहले असंभव थे, संभव होने लगे;
तथ्य को लेकर चले तो प्रगति के द्वार पर द्वार खुलने लगे।04।
*विज्ञान-मार्ग*, मतलब विज्ञान करने का आधार मार्ग, की सफलता को देखकर;
क्या हम जीवन के दूसरे पहलुओं पर पुनर्विचार को तैयार नहीं ??
क्या हम *विज्ञान-मार्ग* पर अभी ही चलने को तैयार नहीं ??
क्या हमें वैज्ञानिक-सोच की उपलब्धियां दिखती नहीं ??
क्या यह हमें झकझोरने को पर्याप्त नहीं ??
क्या अभी भी हमारी नींद खुली नहीं ??
कितना जड़त्व (Inertia) है जो टूटेगा नहीं ??
न विशवास करना है, न अविश्वास करना है;
जानने का प्रयास करते जाना है;
जो जो प्रमाणित हो सके, सिद्ध हो सके उसे स्वीकारना है;
जो जो खंडित हो जाये उसे छोड़ना है;
*विज्ञान-मार्ग* से क्रांति होने का क्रम चलता जायेगा;
जीवन में अच्छे अच्छे बदलाव होने का क्रम चलता जायेगा।05।
जिसका ज्ञान नहीं, अनुभव नहीं, उससे जुडी कोई धारणा बनानी नहीं;
बिना जाने, न सहमत होना है, न असहमत होना है;
न स्वीकार करना है, न अस्वीकार करना है।
सभी तरह के अंध-विश्वासों से मुक्त होना है;
विश्वास और अविश्वास करके चलने से मुक्त होना है।
जानते जाना, जानते जाने का ही मार्ग अपनाना है;
और जीवन में क्रांति का क्रम चलाते जाना है।06।
उदय पूना,
92847 37432,