डॉ. आशा चौधरी
शिक्षा-एम ए, दर्शनशास्त्र, पी-एच डी, एलएल बी। दर्शनशास्त्र विषय में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर, म प्र की गोल्ड मेडलिस्ट, पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर से तत्कालीन राष्ट्रपति महामहिम श्री एपीजे कलाम की गरिमामय उपस्थिति में पी-एच डी उपाधि प्राप्त करना गौरव के क्षण। कई कहानियां व व्यंग्य रचनाऐं पत्र पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशित। अनेक शोध पत्रिकाओं में शोधपत्रों का सतत प्रकाशन। बुद्ध सुदर्शन (अखिल भारतीय दर्शन परिषद द्वारा अहमदनगर पारनेर में अखिल भारतीय सम्मेलन में पुरस्कृत) आदिकालीन भारतीय दर्शन, संपूर्ण वास्तु-शास्त्र द्वारा भवन निर्माण, तर्कशास्त्र के सिद्धांत, तथा हरिबोल, हरा खजाना, ये दुनिया अपनी लीजे नामक उपन्यास, जा को राखे साइयां नामक एक सस्पेंस थ्रिलर, सहज ज्योतिषः मंगल व शनि प्रकरण, सहज ज्योतिषः सुयोग व राजयोग, अमेजॅन पर भूतकथा अनंत, देह-मुद्रा नामक ईबुक तथा Indian Cooking for Wellnes, A Book of Knitting Patterns प्रकाशित। भारतीय दर्शन, वास्तु तथा ज्योतिष में स्वाध्ययन। मधुबनी चित्रकला की शौकिया कलाकार। प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा के संग्रह में पांच मधुबनी पेंटिंग। asha.chaudhary100@gmail.com
अंगना परबत, देहरी बिदेस
लव मैरिज के पंद्रह सालों बाद परिवार की तीन भाइयों में इकलौती लाड़ली बहन को घर बुलाया गया है क्योंकि पापाजी बीमार हैं। एक भाई विदेश में बस गया है तो बाकी दो भाई देश में ही अस्पताल चलाते हैं। ये मेरा उपन्यास इतने अंतराल में बदल गए रिश्तों के समीकरण हल
अंगना परबत, देहरी बिदेस
लव मैरिज के पंद्रह सालों बाद परिवार की तीन भाइयों में इकलौती लाड़ली बहन को घर बुलाया गया है क्योंकि पापाजी बीमार हैं। एक भाई विदेश में बस गया है तो बाकी दो भाई देश में ही अस्पताल चलाते हैं। ये मेरा उपन्यास इतने अंतराल में बदल गए रिश्तों के समीकरण हल
कस्तूरी
कहानियों के इस संग्रह में मेरी नई व कुछ तो बेहद पुरानी कहानियां हैं जो समय के अंतराल का अनुभव तो अवश्य कराएंगी मगर मुझे यकीन है कि पाठक उनसे अभिभूत हुए बिना नहीं रहेंगे। कथा संग्रह का शीर्षक मैंने कस्तूरी रखा है क्योंकि कन्या भू्रण हत्या जैसे विषय पर
कस्तूरी
कहानियों के इस संग्रह में मेरी नई व कुछ तो बेहद पुरानी कहानियां हैं जो समय के अंतराल का अनुभव तो अवश्य कराएंगी मगर मुझे यकीन है कि पाठक उनसे अभिभूत हुए बिना नहीं रहेंगे। कथा संग्रह का शीर्षक मैंने कस्तूरी रखा है क्योंकि कन्या भू्रण हत्या जैसे विषय पर
ये दुनिया अपनी लीजे
एक ही कॉलोनी में अपने-अपने परिवारों के दायरे में सीमित रहने वाले दो युवा बाहर किसी अनजान शहर में दोस्तों की तरह मिलते हैं और कहा है किसी शायर ने-‘‘एक मंजिल राही दो फिर प्यार न कैसे हो ?‘‘ इसी एक मंजिल की ओर दोनों के कदम उन्हें ले चलते हैं, धन-दौलत के
ये दुनिया अपनी लीजे
एक ही कॉलोनी में अपने-अपने परिवारों के दायरे में सीमित रहने वाले दो युवा बाहर किसी अनजान शहर में दोस्तों की तरह मिलते हैं और कहा है किसी शायर ने-‘‘एक मंजिल राही दो फिर प्यार न कैसे हो ?‘‘ इसी एक मंजिल की ओर दोनों के कदम उन्हें ले चलते हैं, धन-दौलत के
सहज ज्योतिष
आत्म-विकास के साथ-साथ लोक-कल्याण अर्थात मानव-कल्याण ही जयोतिष विद्या के विकास के मूल में विद्यमान माना गया है। इसमें माना गया है कि ग्रह वास्तव में किसी जातक को फल-कुफल देने के निर्धारक नहीं हैं बल्कि वे इसके सूचक अवश्य कहे जा सकते हैं। यानि ग्रह किस
सहज ज्योतिष
आत्म-विकास के साथ-साथ लोक-कल्याण अर्थात मानव-कल्याण ही जयोतिष विद्या के विकास के मूल में विद्यमान माना गया है। इसमें माना गया है कि ग्रह वास्तव में किसी जातक को फल-कुफल देने के निर्धारक नहीं हैं बल्कि वे इसके सूचक अवश्य कहे जा सकते हैं। यानि ग्रह किस
लौंग का लश्कारा
उसका अंर्तमन न जाने कहां-कहां कुलांचे भरता था हिरन सा, ऐसे में वे पल उसके सामने थे कि जब दीपावली के बाद भाईजी व भाभीजी जनदर्शन के लिये झरोखे में आ कर बैठते थे। उस झरोखे को बनाया ही इस प्रकार गया था कि वे दोनों दूर तक नजर आते थे। उन दोनों के बैठने के
लौंग का लश्कारा
उसका अंर्तमन न जाने कहां-कहां कुलांचे भरता था हिरन सा, ऐसे में वे पल उसके सामने थे कि जब दीपावली के बाद भाईजी व भाभीजी जनदर्शन के लिये झरोखे में आ कर बैठते थे। उस झरोखे को बनाया ही इस प्रकार गया था कि वे दोनों दूर तक नजर आते थे। उन दोनों के बैठने के
पंचायत वाली वो लड़की
किसी लड़की के लिये पंचायत बैठना बेहद बुरा समझा जाता था तब, शायद अभी भी ऐसा ही है। ये घटनाक्रम जो मैं बताने जा रही हूं देश को आजादी मिलने के कुछ समय बाद का है। उत्तरप्रदेश के उस एक गांव के चौधरी जो कि मुखिया भी थे, उनकी इकलौती व सुंद
पंचायत वाली वो लड़की
किसी लड़की के लिये पंचायत बैठना बेहद बुरा समझा जाता था तब, शायद अभी भी ऐसा ही है। ये घटनाक्रम जो मैं बताने जा रही हूं देश को आजादी मिलने के कुछ समय बाद का है। उत्तरप्रदेश के उस एक गांव के चौधरी जो कि मुखिया भी थे, उनकी इकलौती व सुंद
जा को राखे साइयाँ
"मेरे बचपन का काफी समय मध्य प्रदेश के दूरदराज कस्बों गांवों में बीता क्योंकि तब मेरे पापा पुलिस विभाग में थानेदार थे। वे उनमें से थे जिनका ज़मीर सदा भरपूर जीवित रहा। इमानदारी व सच्चाई उनके खून में बहती थीं। इसलिए मेरे पास बचपन की याद के तौर पर रहस्य
जा को राखे साइयाँ
"मेरे बचपन का काफी समय मध्य प्रदेश के दूरदराज कस्बों गांवों में बीता क्योंकि तब मेरे पापा पुलिस विभाग में थानेदार थे। वे उनमें से थे जिनका ज़मीर सदा भरपूर जीवित रहा। इमानदारी व सच्चाई उनके खून में बहती थीं। इसलिए मेरे पास बचपन की याद के तौर पर रहस्य
सहज ज्योतिष
मैंने देखा है कि अनेक बार मंगल व शनि के बारे में अनेक प्रकार से, अनेक कारणों से जनमानस को डराया जाता रहा है। मैं प्रायः लोगों को इन दोनों ग्रहों से भयभीत होते देखती आई हूं जबकि ये दोनों ग्रह इतने डरावने व नुकसानकारी भी नहीं कि जितने बताए जाते हैं। इस
सहज ज्योतिष
मैंने देखा है कि अनेक बार मंगल व शनि के बारे में अनेक प्रकार से, अनेक कारणों से जनमानस को डराया जाता रहा है। मैं प्रायः लोगों को इन दोनों ग्रहों से भयभीत होते देखती आई हूं जबकि ये दोनों ग्रह इतने डरावने व नुकसानकारी भी नहीं कि जितने बताए जाते हैं। इस