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सहज ज्योतिष

डॉ. आशा चौधरी

6 अध्याय
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8 पाठक
21 नवम्बर 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

आत्म-विकास के साथ-साथ लोक-कल्याण अर्थात मानव-कल्याण ही जयोतिष विद्या के विकास के मूल में विद्यमान माना गया है। इसमें माना गया है कि ग्रह वास्तव में किसी जातक को फल-कुफल देने के निर्धारक नहीं हैं बल्कि वे इसके सूचक अवश्य कहे जा सकते हैं। यानि ग्रह किसी मानव को सुख-दुख, लाभ-हानि नहीं पहुंचाते वरन वे मानव को आगे आने वाले सुख-दुख, हानि-लाभ व बाधाओं आदि के बारे में सूचना अवश्य देते हैं। मानव के कर्म ही उसके सुख व दुख के कारक कहे गए हैं। ग्रहों की दृष्टि मानो टॉर्चलाइट की तरह आती है कि अब तुम्हारे कैसे-कौन प्रकार के कर्मों के फल मिलने का समय आ रहा है। अतः मेरी नजर में ज्योतिष के ज्ञान का उपयोग यही है कि ग्रहों आदि से लगने वाले भावी अनुमान के आधार पर मानव सजग रहे। यह ध्यान रखना अत्यंत जरूरी है कि केवल ग्रह फल-भोग ही जीवन होता तो फिर मानव के पुरूषार्थ के कोई मायने नहीं थे, तब इस शब्द का अस्तित्व ही न आया होता। हमारे आचार्य मानते थे कि पुरूषार्थ से अदृष्ट के दुष्प्रभाव कम किये जा सकते हैं, उन्हें टाला जा सकता है। इसमें ज्योतिष उसकी मदद करने में पूर्ण सक्षम है। उनका मत था कि अदृष्ट वहीं अत्यंत प्रबल होता है जहां पुरूषार्थ निम्न होता है। इसके विपरीत, जब अदृष्ट पर मानव प्रयास व पुरूषार्थ भारी पड़ जाते हैं तो अदृष्ट को हारना पड़ता है। प्राचीन आचार्यों के अभिमत के आगे शीश झुकाते हुए, उनके अभिमत को स्वीकारते हुए मेरा भी यही मानना है कि ज्योतिष विद्या से हमें आने वाले समय की, शुभ-अशुभ की पूर्व सूचना मिलती है जिसका हम सदुपयोग कर सकते हैं। हाथ पर हाथ धर कर बैठने की हमें कोई आवश्यकता नहीं कि सब कुछ अपने आप ही अच्छा या बुरा हो जाऐगा। यह कोई विधान रचने वाला शास्त्र नहीं कि बस् अमुक घटना हो कर ही रहेगी, बल्कि यह तो सूचना देने वाला एक शास्त्र है ! यह बार-बार दोहराने की बात नहीं कि आचार्यों, मुनियों, ऋषियों ने ज्योतिष में रूचि इसलिये ली होगी कि मानव को कर्तव्य की प्रेरणा मिले। आगत को भली-भांति जान कर वह अपने कर्म व कर्तव्य के द्वारा उस आगत से अनुकूलन कर सके ताकि जीवन स्वाभाविक गति से चलता रह सके।  

sahaj jyotish

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पुस्तक के भाग

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सहज ज्योतिष

14 नवम्बर 2022
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सहज ज्योतिष सु-योग, राजयोग व धनयोग डॉ आशा चौधरी                       परम पूज्य मामाजी स्व श्री भैरवप्रसादजी ओझा                                         तथा गुरूदेव स्व.                       

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सहज ज्योतिष

15 नवम्बर 2022
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5- जन्म कुंडली तथा द्वादश भाव परिचय- जन्म कुंडली को मानव के पूर्व जन्मों में किये गए संचित कर्मों का बारह भावों में निबद्ध एक सांकेतिक लेखा-जोखा ही कहा जा सकता है। उसकी जन्म कुंडली यदि सही-सही बनी है

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सहज ज्योतिष

16 नवम्बर 2022
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10- राशि चक्र व राशि प्रसंग- यह ज्योतिष का एक सर्वथा मूल सिद्धांत है। इसमें कुल बारह राशियां मानी गई हैं। इन्हें प्रायः सब जानते हैं। संत तुलसीदास कह गए हैं - बड़े भाग मानुस तन पायो ! इस मानुस तन के

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सहज ज्योतिष

16 नवम्बर 2022
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11- ज्योतिष में राशि का प्रयोजन- ज्योतिष में राशि प्रयोजन को इस प्रकार समझा जा सकता है कि बारहों राशियों के स्वरूप केअनुसार ही इनके जातकों का उसी प्रकार का स्वरूप भी बताया गया है। किसी जन्म कुंडली मे

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सहज ज्योतिष

17 नवम्बर 2022
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16- जन्मकुंडली से शरीर का विचार- ज्योर्तिविज्ञान में माना गया है कि जातक के अंगों के परिमाण का विचार करने के लिये जन्म कुंडली को इस प्रकार अभिव्यक्त किया गया है। -लग्नगत राशि को सिर, -द्वितीय भाव म

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सहज ज्योतिष

17 नवम्बर 2022
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33- जन्म कुंडली में राजयोग इस अपनी पुस्तक मे बात करने जा रही हूँ  किन्हीं राजयोगों की। सु-योगों की ही तरह राजयोग भी वे योग होते हैं जो जातक को हर प्रकार से सुखी-संपन्न बनाते हैं। राजयोग अगर किसी कुं

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