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drrakeshjoshi

डॉ. राकेश जोशी

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पुस्तक के भाग

1

डॉ. राकेश जोशी की ग़ज़लें

4 मई 2015
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1 आज फिर से भूख की और रोटियों की बात हो खेत से रूठे हुए सब मोतियों की बात हो जिनसे तय था ये अँधेरे दूर होंगे गाँव के अब अँधेरों से कहो उन सब दियों की बात हो इक नए युग में हमें तो लेके जाना था तुम्हें इस समुन्दर में कहीं तो कश्तियों की बात हो जो तुम्हारी याद लेकर आ गई थीं एक दिन धूप

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डॉ. राकेश जोशी की ग़ज़लें

30 अप्रैल 2015
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1 आज फिर से भूख की और रोटियों की बात हो खेत से रूठे हुए सब मोतियों की बात हो जिनसे तय था ये अँधेरे दूर होंगे गाँव के अब अँधेरों से कहो उन सब दियों की बात हो इक नए युग में हमें तो लेके जाना था तुम्हें इस समुन्दर में कहीं तो कश्तियों की बात हो जो तुम्हारी याद लेकर आ गई थीं एक दिन धूप

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डॉ. राकेश जोशी की हिंदी ग़ज़लें

4 मई 2015
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1 हमें हर ओर दिख जाएं, ये कचरा बीनते बच्चे भुलाए किस तरह जाएं, ये कचरा बीनते बच्चे यही है क्या वो आज़ादी कि जिसके ख़्वाब देखे थे ये कूड़ा ढूँढती माँएं, ये कचरा बीनते बच्चे तरक्की की कहानी तो सुनाई जा रही है पर न इसमें क्यों जगह पाएं, ये कचरा बीनते बच्चे ये बचपन ढूँढते अपना, इन्हीं कचरे

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