मुझे ये कैसे पता चला कि मेरा तरीका काम करता है? क्योंकि इसने मेरे
लिए काम किया है इसलिए मैं इसे आपके साथ, पूरे भरोसे के साथ साझा
कर रहा हूं। मैं प्यासा था, मैं एक कुएं के पास आया और फिर मेरी प्यास
बुझ गयी। क्या और भी तरीके हैं? बिल्कुल हो सकते हैं। फिर मैंने क्यों
नहीं जाकर उन तरीकों को आजमाया? क्योंकि अब मैं प्यासा नहीं रहा।
आप जीवन के प्रति मेरे नजरिये का इस्तेमाल कर सकते हैं चाहे आप
किसी भी धार्मिक, नैतिक या राजनैतिक विचारधारा में आस्था रखते हों या
किसी भी राष्ट्रीयता, वर्ग, लिंग, आयु के क्यों न हों। आप जो भी विश्वास
करते हैं, यह उसकी जगह लेने के लिए नहीं है। क्योंकि यह जानने के बारे
में है, न कि मानने के बारे में। यह एक जरूरी; बुनियादी अंतर है जिसके
बारे में मैं आगे स्पष्ट करूंगा। जानना, आपको आपकी सबसे सुंदर मानवीय
भावना के साथ बहुत गहराई से जोड़ सकता है और यह आपको इस योग्य
बनाता है कि आप अपने स्वयं के हर पहलू का पूरी तरह से अनुभव कर
सकें। इसके बाद यह आप पर निर्भर करता है, आपको तय करना है कि
यह कैसे आपके विश्वासों से संबंधित है।
आप यह पायेंगेकि मैं आपको अपने हृदय पर विश्वास रखने और
उसे ध्यान से समझने के लिए कह रहा हूं। आप पूरी तरह से केवल अपने
मन के ही भरोसे न रह जायें। मन हमारे दिन-प्रतिदिन के अनुभवों को
रूप देता है और यह समझने में अच्छे तरीके से सहायक हो सकता है कि
यह कैसे सही अथवा गलत व्यवहार करता है। यह जरूरी है कि हम अपने
जीवन पर पड़ने वाले, मन के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को
पहचानें, अपनेविचारों को मजबूत करने और अपनी बुद्धि को तेज करने
के अवसरों को अपनायें। लेकिन अक्सर हमारा समाज, हृदय की कीमत
पर मन की तरफदारी ज्यादा करता है। दिमागी ताकत सबकुछ नहीं कर
सकती। उदाहरण के लिए—मुझे यकीन है कि हमारा दिमाग, अकेले इस
सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे सकता है कि “आप कौन हैं’‘? मेरे
मन ने मुझे कभी भी, अपने अंदर स्थित आंतरिक शांति के स्थान तक नहीं
पहुंचाया है। हमारा मन ठीक से काम करने के लिए, हर उस चीज पर बहुत
अधिक निर्भर करता है, जो इसमें डाली जाती है, जबकि हृदय की निर्भरता
मनुष्य के डीएनए से जुड़ी है।
जब मैं मन की बात कर रहा हूं तो एक पाठक के रूप में आपसे
मेरा एक अनुरोध है—इस पुस्तक में जो कुछ भी मैं लिख रहा हूं, उसे आप
केवल तभी स्वीकार करें, जब आप इसकी सच्चाई को अपनेलिए महसूस
कर पा रहे हों। क्या आपकी बुद्धि संदेह में है या मेरे संदेश को स्वीकार
कर रही है? और बुद्धि के साथ-साथ अपने अंदर की आवाज को भी सुनिये
और स्वीकार कीजिए। आप मेरे इस नजरिये को भी अपने जीवन में उचित
अवसर दें। आपको यह बताने के बजाय कि आपको क्या सोचना चाहिए,
इसके बाद आने वाले अध्याय आपको विचार करने के लिए कुछ संभावनाएं,
प्रस्तुत करेंगे। मैं आपको यहां तर्क के द्वारा यह विश्वास दिलाने के लिए नहीं
हूं बल्कि केवल अपने अनुभव, विचार और कहानियां साझा करने के लिए
हूं, जो आपको कुछ उपयोगी नजरिया प्रदान कर सकते हैं। हृदय सेनिकले
स्पष्ट शब्द, आपकी समझ को बदल देने वाले साबित हो सकते हैं और मैं
इस पुस्तक के शब्दों को, विचारों और उसके परे जाकर अंदर के अनुभव
की दुनिया तक पहुंचने के लिए एक मार्ग के रूप में रख रहा हूं। कृपया,