इन सालों में मैं ऐसे बहुत लोगों सेमिला और उनसे बात की, जो स्वयं की
खोज की यात्रा पर हैं। कुछ लोगों ने अपना जीवन ज्ञान की खोज में लगा
दिया है और इसके लिए वे लगातार दुनिया भर में विचारों और तरीकों
की खोज कर रहे हैं। और अन्य लोग, बस खुद को थोड़ा और बेहतर रूप
से जानना चाहते हैं या अपने जीवन में तृप्ति और आनंद का सुंदर अनुभव
करना चाहते हैं।
अपनी इस यात्रा में, थोड़े समय के लिए आप मेरे साथ यात्रा करें और
आप चकित हो जायेंगेकि हम कहां जा रहे हैं। हम विचारों और मान्यताओं
के दायरे से दूर जा रहे हैं और ज्ञान के एक अनोखे रूप की ओर बढ़ रहे
हैं—एक ऐसी जगह की ओर जो आपके अंदर मौजूद है और जो रोज की
उलझनों से मुक्त है। ऐसी जगह जहां आप वास्तव में स्पष्टता, तृप्ति और
आनंद का अनुभव कर पायेंगे। ऐसा स्थान जहां अंदर की शांति विराजमान
है। हमारा रास्ता हमें ले जायेगा—मन से हृदय की पूर्ति और हृदय से शांति
के अनुभव तक। आप जो भी हैं, शांति आपके अंदर है—आत्मज्ञान से आप
इसका अनुभव कर सकते हैं और यह पुस्तक आपको बतायेगी कि यह कैसे
होगा।
जब बात आती है अपने अपको जानने की तो मुझे लगता है इस
विषय को लेकर हमारे मन में दुविधा भरे विचार आना शुरू हो जाते हैं।
लेकिन आत्मज्ञान प्राप्त करने का उद्देश्य बहुत सरल है। यह हमारे द्वारा
उस ताजगी से भरी स्पष्टता, गहरी तृप्ति और अथाह आनंद के अनुभव
करने के बारे में तथा और ढेर सारे अचरजों के बारे में है जिसका अनुभव
तब होता है जब हम अपने अंदर स्थित उस परम शांति से जुड़ते हैं। जब
हम उस शांति का अनुभव करते हैं तब हम जान पाते हैं कि “हम सचमुच
में कौन हैं।”
मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मेरा उद्देश्य, आपको केवल शांति
के बारे में आपकी समझ बढ़ाने और आपके जीवन में आंतरिक शांति से
जुड़ने का क्या असर हो सकता है, इसे समझाना है। लेकिन बाहरी शोर से
आंतरिक शांति तक का सफर आपको स्वयं ही तय करना होगा। कोई भी
आपको शांति नहीं दे सकता। यह एक ऐसी चीज है जिसे केवल आप ही
अपनेलिए, अपने अंदर उजागर कर सकते हैं। जब आप ऐसा करते हैं तब
आप एक नए ढंग से यह समझ पाते हैं कि आप कौन हैं। हमारे जीवन में
बहुत सी चीजें अपने आप होती हैं—ऐसी चीजें जो हमारे लिए आसानी से
हो जाती हैं—लेकिन आंतरिक शांति पाने के लिए कोशिश करने की जरूरत
हो सकती है! पूरी तरह से सचेत होने के लिए प्रयास की जरूरत होती है।
जैसा कि आइन्स्टीन ने कहा था “विवेक स्कूली शिक्षा से प्राप्त नहीं होता
है बल्कि इसे पाने के लिए जीवन भर प्रयास करने की जरूरत होती है।”
जैसे-जैसे इस पुस्तक के अंदर कहानियां और नए विचार सामने आते
जायेंगे, मुझे आशा है कि आप उस चीज के बारे में उम्मीद से परे एक
नजरिये का आनंद लेना शुरू करेंगे जो हम सब में एक समान है। एक ऐसी
चीज जिसका मेरे ख्याल से, हम सब लोगों को और अधिक उत्सव मनाना
चाहिए; वह है—हमारी सुन्दर मानवता की भावना। एक और उल्लेखनीय
चरित्र है, जिसके बारे में मैं खासतौर से चाहता हूं कि आप उससेमिलें और
उसको जानें। लेकिन उसके बारे में थोड़ी देर बाद चर्चा करेंगे।
बहुत से लोग कहते हैं कि वे अपने आसपास बढ़ते हुए शोर के कारण
एक बेचैनी सी महसूस करते हैं। हमारे भीड़भाड़ वाले शहरों और व्यस्त
डिजिटल टेक्नोलॉजी से आगे बढ़ते जीवन में, केवल अपने जीवित होने की
सरलता को पाने के लिए, जरूरी समय और अवसर निकाल पाना, अक्सर
बहुत मुश्किल हो जाता है। विकास दूर-दराज और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी
लगातार पहुंच रहा है, जिससे लोगों को जरूरी फायदे और मौके तो मिल
रहे हैं परन्तु उसके साथ-साथ यह प्रगति लोगों पर और समुदायों पर, नयी
मांगों का बोझ भी डाल रही है। जीवित रहने के लिए यह कितना सुंदर
समय है, नये-नये आविष्कार किस तरह बेहतरीन संभावनाएं बना रहे हैं।
फिर भी, कभी-कभी इस प्रगति के साथ-साथ आने वाला शोर, बिन बुलाये
भटकाव जैसा लगता है।
दरअसल, बाहर का जो शोर होता है, वह उस शोर की तुलना में कुछ
भी नहीं है, जो अक्सर हम अपनेदिमाग में पैदा करते हैं। समस्याएं व ऐसे
विषय जिन्हें हमें लगता है कि हम हल नहीं कर सकते, चिन्ताएं व खुद पर
सन्देह जिन्हें हमें लगता है कि हम दूर नहीं कर सकते, इच्छाएं और उम्मीदें
जिन्हें हमें लगता है कि हम पूरा नहीं कर सकते। हम दूसरों के प्रति चिढ़,
आक्रोश और यहां तक कि क्रोध और स्वयं सेनिराशा भी महसूस कर सकते
हैं। शायद हमें लगता है कि हम ध्यान न देने की वजह से पीछे रह जाते हैं।
दुविधा और टालमटोल के कारण या आनंद की तलाश में प्रतिदिन जो हम
मानसिक रूप से जूझते हैं, उसके कारण हम दबाव महसूस करते हैं। इस
पुस्तक में नकारात्मक सोच का जो प्रभाव हम सब पर पड़ता है उसके बारे
में मैं बात करूंगा और एक ऐसा रास्ता बताऊंगा जिस पर चल कर हम
अपने उस गहरे, न बदलने वालेहिस्से तक पहुंच सकें जो विचारों से परे है।