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एक ख्वाब

17 मई 2022

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पद्य का शीर्षक:- *एक ख़्वाब*

*पद्य:*-   *एक ख़्वाब .......*

कल! ख़्वाब देखते देखते सारी रात हो गई
सुनाता हूँ तुम्हें एक गज़ब बात हो गई ||

चुपके से आकर  तुम  बैठी  मेरी पास
फिर इशारों में वही पुरानी बात हो गई ||

करने लगे याद अपनी पहली मुलाक़ात
जब जाने अनजाने दिल की बात हो गई ||

हवा चलने लगी सर्द, बांहों में सिमट गए
कुदरत की बड़ी हसीन करामात हो गई ||

टूटकर बिखर गया बांहों में, होश खो बैठा
कल रात, मेरे यार, ऐसी वैसी बात हो गई ||

तूने सीने से लगा लिया मुझे होठों से चूमके
होश संभाला तो प्यार की बरसात हो गई||

बेशक़! खुदा ने दुनिया ख़ूबसूरत बनाई है
तुम मिली, और भी ख़ूबसूरत क़ायनात हो गई ||

मुद्दतों बाद लिखने बैठा कोई फ़साना मेरी 'बुलबुल'
देखा! बातों ही बातों में दिल की बात हो गई ||

  लेखक-लोकेश कुमार 'रजनीश'
9785233909

पता -कामा, भरतपुर, राजस्थान

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पारिजात
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पारिजात में मेरे द्वारा लिखी कुछ कविताओं का संकलन है जो कल्पना के विमान से यथार्थ की भूमि पर उतरता है!!!

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